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Last Modified: गुरुवार, 17 मार्च 2022 (14:21 IST)

जम्मू में शुरू हुआ उत्तर भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र

जम्मू में शुरू हुआ उत्तर भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र - Central University of Jammu, Space technology, Startups,
नई दिल्ली, नई पीढ़ी को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ने और इस बारे में समाज में वैज्ञानिक चेतना विकसित करने के उद्देश्य से अब देश के विभिन्न हिस्सों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

एक नई पहल के अंतर्गत उत्तर भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र विख्यात भारतीय अंतरिक्ष-वैज्ञानिक सतीश धवन के नाम पर जम्मू में शुरू किया गया है।

जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्थापित सतीश धवन अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र का उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने किया है।

डॉ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को देश के दूरदराज हिस्सों तक ले जाने के लिए दृढ़-संकल्पित है।

उल्लेखनीय है कि एक अन्य अंतरिक्ष केंद्र पहले ही प्रधानमंत्री के समर्थन से त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में स्थापित किया जा चुका है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा– “अधिकांश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थान लंबे समय तक देश के दक्षिणी राज्यों तक सीमित रहे हैं। इंजीनियरिंग, वैमानिकी और अन्य विशिष्ट पाठ्यक्रम प्रदान करने वाला अपनी तरह का एकमात्र संस्थान - भारतीय अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी संस्थान; भी केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित है।

स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में; जम्मू-कश्मीर में अंतरिक्ष केंद्र, और भारत के अपनी तरह के दूसरे अंतरिक्ष प्रशिक्षण संस्थान का आरंभ; प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केरल से कश्मीर तक अंतरिक्ष विज्ञान की यात्रा को चिह्नित करता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि “जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुरू किये गए अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र का नामकरण सतीश धवन केंद्र के रूप में किया जाना भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापकों में शामिल एक ऐसे व्यक्ति को श्रद्धांजलि है, जिनका संबंध जम्मू-कश्मीर से रहा है।

लेकिन, यह एक विडंबना है कि जम्मू-कश्मीर में एक भी संस्थान का नामकरण अब तक उनके नाम पर नहीं किया गया।” उन्होंने कहा कि अब यह केंद्र कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने का काम करेगा।

जेईई के माध्यम से इस संस्थान के बीटेक इन एविएशन ऐंड एरोनॉटिक्स के पाठ्यक्रम में साठ छात्रों को लिया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में करियर के व्यापक अवसर हैं। यहां से एविएशन और एरोनॉटिक्स का अध्ययन करने के बाद छात्र न केवल भारत; बल्कि नासा जैसे संस्थानों में भी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में करियर बनाने की ओर अग्रसर हो सकेंगे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जम्मू क्षेत्र में स्टार्ट-अप और नवाचार के लिए नये रास्ते खुलेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया का भविष्य काफी हद तक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष सहयोग और अंतरिक्ष कूटनीति पर निर्भर करेगा। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत पहले ही विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के माध्यम से लाखों यूरोपीय यूरो और अमेरिकी डॉलर का राजस्व प्राप्त कर रहा है।

अंतरिक्ष सहयोग का उल्लेख करते हुए, उन्होंने सार्क उपग्रह का उदाहरण दिया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों पर विकसित किया गया है, जो बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, नेपाल सहित अधिकांश पड़ोसी देशों की जरूरतों को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को निजी क्षेत्र के लिए खोलने का श्रेय पूरी तरह से प्रधानमंत्री मोदी को जाता है।

जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में 'फ्रंटियर्स ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी ऐंड एप्लीकेशंस फॉर ह्यूमैनिटी' सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि देश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इस स्तर पर पहुँच गई है कि अब नासा जैसे प्रमुख अंतरिक्ष संस्थान भी इसरो द्वारा संचालित अंतरिक्ष अभियानों के फुटेज के लिए अनुरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को प्रमुख महत्व दिया जा रहा है, जिसका परिणाम हमारे सामने हैं। डॉ सिंह ने कहा कि भारत के चंद्रयान द्वारा चंद्रमा पर पानी की खोज दर्शाती है कि भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है।

इस अवसर पर, इसरो प्रमुख, श्री एस. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अब जीवन का एक अभिन्न अंग है, और राष्ट्र की रक्षा और सुरक्षा अब इस बात पर निर्भर करेगी कि अंतरिक्ष क्षेत्र में राष्ट्र कितना मजबूत है।
इसरो प्रमुख ने कहा कि संचार क्रांति, जो कि उद्योगों के विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, के समर्थन में भी अब अंतरिक्ष विभाग को तत्पर रहना होगा। (इंडिया साइंस वायर)
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