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Last Updated : सोमवार, 22 जून 2020 (22:21 IST)

jagannath rath yatra 2020 : उच्चतम न्यायालय ने पुरी में रथ यात्रा की सशर्त अनुमति दी

jagannath rath yatra 2020 : उच्चतम न्यायालय ने पुरी में रथ यात्रा की सशर्त अनुमति दी - agannath rath yatra 2020
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ओडीशा के पुरी में कड़ी शर्तों के साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति सोमवार को प्रदान कर दी। यह रथ यात्रा कल शुरू होगी और इसमें जनता की भागीदारी नहीं होगी।
 
शीर्ष अदालत ने ओडिशा सरकार के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अपने 18 जून के आदेश में संशोधन किया। राज्य सरकार ने कहा था कि जनता की उपस्थिति के बगैर ही सीमित तरीके से रथ यात्रा का आयोजन किया जा सकता है। न्यायालय ने इससे पहले कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कहा था कि इस साल ऐतिहासिक रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
 
प्रधान न्यायाधीश एस बोबडे, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले में दायर कई आवेदनों पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में ओडिशा सरकार को निर्देश दिया कि रथ यात्रा का जुलूस निकाले जाने के दौरान पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाए और शहर में प्रवेश के सभी रास्ते बंद किए जाएं।
 
प्रधान न्यायाधीश ने नागपुर में अपने आवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ की अध्यक्षता की। पीठ ने कहा कि प्रत्येक रथ को 500 से ज्यादा लोग नहीं खींचेंगे और ऐसा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की कोविड-19 संक्रमण की जांच होगी तथा उसका पूरा मेडिकल विवरण सुरक्षित रखा जाएगा। यही नहीं, रथ खींचने में शामिल व्यक्ति रथ खींचने से पहले, इस दौरान और बाद में भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करेंगे।




पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘निश्चित ही, यदि यह सुनिश्चित करना संभव हो कि इसमें जनता की उपस्थिति नहीं होगी, तो हमें ऐसी कोई वजह नजर नहीं आती कि मंदिर से मंदिर तक के सामान्य मार्ग पर सुरक्षित तरीके से रथ यात्रा का आयोजन क्यों नहीं किया जा सकता।’
 
इससे पहले, कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये न्यायालय ने 18 जून को अपने आदेश में इस ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन करने की अनुमति नहीं दी थी। साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी की थी, ‘अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।’
 
शीर्ष अदालत ने ओडिशा स्थित एक गैर सरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘रथ यात्रा के लिये इतनी बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं के एकत्र होने से उत्पन्न खतरे को देखते हुये हम सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों के मद्देनजर प्रतिवादियों को इस वर्ष रथ यात्रा का आयोजन करने से रोकना उचित समझते हैं।’

पीठ ने आदेश में यह भी कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25(1) लोक व्यवस्था और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए सभी को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है।
 
इस आदेश के एक दिन बाद ही ‘जगन्नाथ संस्कृति जन जागरण मंच’ और भाजपा नेता संबित पात्रा और अन्य ने न्यायालय में आवेदन दायर कर कोरोना महामारी के मद्देनजर कुछ शर्तो के साथ रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति देने का अनुरोध किया।
 
सुनवाई के दौरान केन्द्र ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार और मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से नागरिकों के स्वास्थ से समझौता किए बगैर ही रथ यात्रा का आयोजन किया जा सकता है। यह रथ यात्रा महोत्सव 23 जून से शुरू होकर 10 से 12 दिन चलता है और रथ यात्रा की वापसी ‘बहुदा जात्रा’ की तारीख 1 जुलाई निर्धारित है।
 

इस महोत्सव के लिए भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए लकड़ी के तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं और पुरी में नौ दिनों के दौरान श्रृद्धालु इसे दो बार तीन किलोमीटर से ज्यादा दूर तक खींचते हैं। उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के साथ ही राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक तीन भव्य रथों के निर्माण कार्य में डेढ़ महीने से लगे 372 लोगों को पृथक किया गया था।
 
सुनवाई के दौरान न्यायालय में यह दलील भी दी गई कि अगर भगवान जगन्नाथ को कल बाहर नहीं लाया गया तो परंपरा के मुताबिक उन्हें अगले 12 साल तक बाहर नहीं निकाला जा सकता है।
 
केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर इस साल लोगों की भागीदारी के बिना पुरी की ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा को आयोजित करने की अनुमति दी जा सकती है। उनका कहना था कि यह करोड़ों श्रृद्धालुओं की आस्था से जुड़ा महोत्सव है और सदियों की परंपरा को तोड़ा नहीं जा सकता।
 
मेहता का कहना था कि न्यायालय रथ यात्रा के आयोजन में शामिल होने वाले लोगों को मंदिर के उन सेवारत और पंडों तक सीमित कर सकता है जिनमें जांच के बाद कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं मिले हैं।
 
उन्होंने कहा कि इन सभी को श्री शंकराचार्य के निर्णय के अनुरूप अनुष्ठानों में हिस्सा लेने की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही यह शर्त लगायी जा सकती है कि इस आयोजन में लोग एकत्र नहीं हों और वे रथ यात्रा कार्यक्रम के सीधे प्रसारण के दौरान टीवी पर दर्शन कर सकते हैं। पुरी के राजा और मंदिर समिति इन अनुष्ठानों के प्रबंधों का पर्यवेक्षण कर सकती है।
ओडिशा सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि रथ यात्रा का आयोजन पूरे राज्य में नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन रथों को वे सेवायत या पुलिसकर्मी खींचेंगे, जिनमें जांच के दौरान कोविड-19 के लक्षण नहीं मिले हैं।
 
ओडिशा स्थित गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि अगर न्यायालय रथ यात्रा की अनुमति देता है तो इस कार्यक्रम में मंदिर के कम से कम संख्या में लोगों को हिस्सा लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।
 
पीठ ने भी सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वह ओडिशा के अन्य स्थानों पर आयोजन के लिए नहीं बल्कि सिर्फ पुरी में रथ यात्रा के आयोजन पर विचार कर रही है।
 
इस मामले में ‘जगन्नाथ संस्कृति जन जागरण मंच’ ने अपने अलग आवेदन में कहा था कि उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के साथ ही राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक तीन भव्य रथों के निर्माण में डेढ़ महीने से लगे 372 लोगों को पृथक किया गया था और उनकी मेडिकल जांच में किसी में भी कोविड-19 की पुष्टि नहीं हुई है।

रथ यात्रा के लिए पुरी में ‘कर्फ्यू जैसा’ बंद लागू : ओडिशा सरकार ने भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा से पहले पुरी में ‘कर्फ्यू जैसा’ बंद लागू कर दिया और लोगों से अपील की कि वे 23 जून को रथ यात्रा निकाले जाने के समय कोविड-19 महामारी की वजह से अपने घरों से बाहर न निकलें।
 
राज्य के पुलिस महानिदेशक अभय ने कहा कि समूचे जिले में सोमवार रात 9 बजे से बुधवार अपराह्न 2 बजे तक ‘कर्फ्यू जैसा’ बंद लागू रहेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कोविड-19 महामारी के बीच रथयात्रा का जश्न मनाने के दौरान उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करें।

भाजपा ने फैसले का स्वागत किया : भाजपा ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने ट्वीट किया, ‘सदियों से चल रही महाप्रभु जगन्नाथ जी की पावन रथयात्रा को उसी भक्ति भाव से संचालित करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हार्दिक स्वागत करता हूं।’
 
उन्होंने कहा, ‘यह हमारी आस्था का प्रतीक है। सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं। सभी से अनुरोध है, इस समय स्वास्थ्य नियमों का पूरा ध्यान रखें। जय जगन्नाथ!’