सियासत में अजेय रहे वाईएसआर
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वेबदुनिया डेस्क आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री 60 वर्षीय वाईएसआर रेड्डी न केवल चुनावी अखाड़ों और राजनीति में ही अजेय रहे हैं वरन जब विपरीत परिस्थितियों की बात आती है तो भी वाईएसआर को आसानी से नहीं हराया जा सकता था, लेकिन वे भी मौत से नहीं जीत सके। बुधवार की सुबह उनका हेलिकॉप्टर गायब हो गया था लेकिन गुरुवार की सुबह वह जली हुई अवस्था में जंगल में पहाड़ी की चोटी पर मिला। डॉ. येदीगुड़ी सांदीनती राजशेखर रेड्डी, जिन्हें लोकप्रिय नाम वाईएसआर से जाना जाता है, का जन्म-आठ जुलाई,1949 को रायलसीमा क्षेत्र के पुलिवेंदुला में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय वाईएस राजा रेड्डी खुद एक करिश्माई नेता थे। जहाँ तक उनकी शिक्षा का प्रश्न है तो वाईएसआर ने एमआर मेडिकल कॉलेज गुलबर्गा, कर्नाटक से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। छात्र जीवन से ही राजनीति में रहे रेड्डी कुछ समय के लिए जमालगुडुगु मिशन अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी भी रहे। वे एसवी मेडिकल कॉलेज तिरुपति की हाउस सर्जन्स एसोसिएशन के नेता भी रहे। वर्ष 1973 में उन्होंने अपने पिता के नाम पर 70 बिस्तरों वाला एक अस्पताल भी बनवाया था जो पुलिवेंदुला में उनके पिता के नाम पर है। यहीं पर उनके परिवार ने एक पॉलिटेक्निक और डिग्री कॉलेज भी खुलवाया जिसे बाद में लॉयला ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स को सौंप दिया गया। वर्ष 1978 में वे सक्रिय राजनीति में आए और उन्होंने राज्य विधानसभा के लिए चार बार चुनाव जीता। चार बार ही वे लोकसभा के लिए भी चुने गए। साफ-सुथरी सार्वजनिक छवि के वाईएसआर अपने राजनीतिक जीवनकाल तक कोई चुनाव नहीं हारे। जब वे लोकसभा में चुने गए थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव ने उन्हें ऐसी कोई जिम्मेदारी दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जिससे वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो पाते। इसलिए वे मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश में ही अधिक सक्रिय रहे। अपने पच्चीस वर्ष के राजनीतिक जीवन में रेड्डी ने सरकार और पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया। कई बार राज्य सरकार में मंत्री पदों पर रहने वाले वाईएसआर विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। रायलसीमा क्षेत्र में उन्होंने समाज उत्थान के लिए बहुत कुछ किया। वर्ष 2003 में उन्होंने 1400 किमी की पदयात्रा की थी ताकि लोगों की मुश्किलों को जान सकें। उन्हें चौदह मई, 2004 में मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई गई थी और बाद में वर्ष 2009 में हुए चुनावों में भी वे जीते और फिर से मुख्यमंत्री बने। हैंडलूम की धोती और कमीज पहनने वाले वाईएसआर को जनता का नेता माना जाता रहा और निजी तथा सार्वजनिक जीवन में उन्हें ऐसे राजनेता के रूप में जाना जाता है जो दिखावे और पाखंड से कोसों दूर रहा, पर उन्होंने अपने विरोधियों को सबक सिखाने में कभी कोई कसर नहीं दिखाई। पाँच फीट सात इंच लंबे वाईएसआर ने अपनी पदयात्रा के दौरान लोगों से उनके ही दरवाजे पर उनकी समस्याओं को सुना था। इसी आधार पर उन्होंने बहुत सारी योजनाओं की नींव रखी थी। वाईएसआर जननेता रहे जो सत्ता में रहे हों या सत्ता से बाहर उन्होंने हमेशा ही लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए संघर्ष किया। वे अंतिम समय तक लोगों से सीधे उनके मुँह से समस्याएँ सुनने में दिलचस्पी रखते थे। इतना ही नहीं, वाईएसआर का पसंदीदा मनोरंजन भी राजीव पल्ले बाटा नाम का सार्वजनिक संपर्क कार्यक्रम था जिसके तहत मुख्यमंत्री ऐसे स्थानों पर पहुँचते थे जहाँ किसी भी साधन के जरिये पहुँचना दुर्गम होता था। पिछले तेईस से अधिक घंटों से लापता मुख्यमंत्री वाईएसआर के हेलिकॉप्टर को कुरनूल के पास दुर्गम इलाके में पहाड़ी की चोटी पर पाया गया और इस दौरान लोगों के मध्य आशंका बनी रही कि वाईएसआर जिंदा भी हैं या नहीं, लेकिन आंध्रप्रदेश के इस नेता को खराब मौसम या दुर्गम जंगल ने लील लिया। भरोसा किया जा रहा था कि आंध्र के लाखों लोगों की दुआओं का असर होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वाईएसआर सुरक्षित नहीं मिल सके।