नई दिल्ली। ‘गरिमापूर्ण’ जीवन जीने के लिए वित्तीय मदद को जरूरी बताते हुए दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को अपने बुजुर्ग माता-पिता को 15 हजार रुपए प्रतिमाह का अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीके जैन ने कहा कि बुढ़ापे में केवल आश्रय और परिवार का ध्यान ही नहीं बल्कि ‘गरिमापूर्ण जीवन’ जीने के लिए वित्तीय मदद की भी जरूरत होती है।
अदालत ने व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 84 वर्षीय पिता और माता को हर महीने 15 हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने के मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा कि व्यक्ति ने खुद स्वीकार किया है कि उसके भाई द्वारा प्रतिवादियों (माता-पिता) को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। बुढ़ापे में गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए आश्रय ही एकमात्र जरूरत नहीं है।
अदालत ने कहा कि इस अवस्था में केवल परिजनों का ध्यान ही नहीं बल्कि गरिमापूर्ण जीवन के लिए वित्तीय मदद की भी जरूरत होती है।
अदालत ने व्यक्ति की यह याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने कहा था कि वह आश्रय उपलब्ध करा रहा है और उसके माता-पिता की यह याचिका स्वीकारयोग्य नहीं है, क्योंकि उन्होंने इस मामले में उसके दो भाई-बहनों को अभियोजित नहीं किया है। (भाषा)