अपूर्ण साक्ष्यों पर भी हो सकती है सजा
उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि एक आरोपी को अपूर्ण साक्ष्यों के आधार पर भी दोषी ठहराया जा सकता है। हालाँकि ऐसे साक्ष्य विश्वसनीय एवं अकाट्य होने चाहिए।न्यायमूर्ति अरिजित पसायत और न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालत का दायित्व है कि वह अनाज से भूसी को अलग करे। इसी तरह भले ही साक्ष्य अपूर्ण पाया जाता है तो भी अदालत के पास आरोपी को दोषी करार देने का विकल्प खुला है।उच्चतम न्यायालय ने उक्त व्यवस्था मणि उर्फ उद्दतु मान और छह अन्य की अपील याचिका खारिज करते हुए दी। तमिलनाडु के एक सत्र न्यायालय ने प्रभा नाम की महिला की हत्या के मामले में मणि एवं अन्य छह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।इस मामले में वादी पक्ष के सात गवाहों के मुकरने के बावजूद सत्र न्यायालय ने घटना की चश्मदीद गवाह और मृतक की माँ मुरुगम्मल के गवाह के आधार पर उक्त आरोपियों को दोषी करार दिया था।हालाँकि उक्त आरोपियों में से एक को बरी कर दिया गया। मद्रास उच्च न्यायालय ने सजा को बरकरार रखा जिसके बाद आरोपियों ने उच्चतम न्यायालय में अपील की।