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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 2 अगस्त 2011 (21:21 IST)

अण्णा का खत सांसदों के नाम

कहा- पेश न होने दें 'गरीब विरोधी' लोकपाल बिल

लोकपाल विधेयक
सरकार जहां चार अगस्त को लोकसभा में लोकपाल विधेयक पेश करने वाली है, वहीं गांधीवादी अण्णा हजारे ने इस विधेयक को ‘कमजोर' और ‘गरीब विरोधी’ करार देते हुए इसे पेश नहीं होने देने की मंगलवार को सांसदों से अपील की।

लोकपाल के मुद्दे पर अपने आंदोलन को तेज करने के लिए हजारे ने 22 सदस्यीय कोर समिति का भी गठन कर दिया है। हजारे ने सभी सांसदों को लिखे खुले पत्र में कहा कि इतना कमजोर विधेयक लाना संसद और सांसदों, दोनों का अपमान है। इसमें ऐसे बहुत से मुद्दे मौजूद ही नहीं हैं, जिन पर संसद में बहस होनी चाहिए। गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि वे देश के गरीब लोगों के हितों की रक्षा के लिए लोकपाल मसौदा संयुक्त समिति में शामिल हुए थे।

उन्होंने कहा कि लेकिन अब मुझे अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिस लोकपाल मसौदा विधेयक को मंजूरी दी, उसमें आम आदमी को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने वाले अधिकतर मुद्दे नजरअंदाज कर दिए गए। सरकार ने जो लोकपाल मसौदा विधेयक तैयार किया है, उसमें गरीब आदमी को भ्रष्टाचार से राहत दिलाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

हजारे ने कहा कि अगर सरकार इस बारे में ध्यान नहीं देती है तो मैं 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन का एलान कर चुका हूं। मेरा यह अनशन संसद के विरोध में नहीं, बल्कि सरकार के कमजोर विधेयक के खिलाफ होगा।

उन्होंने सांसदों से कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि देश की संसद अपनी परंपरा और दायित्वों का निर्वाह करते हुए ऐसे गरीब विरोधी विधेयक को पेश होने से रोकेगी।

हजारे ने आरोप लगाया कि कैबिनेट ने हाल ही में जिस लोकपाल मसौदा विधेयक को मंजूरी दी है, उसमें ऐसे कई अहम मुद्दों का अभाव है, जिन पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। इस तरह के मुद्दों का जिक्र करते हुए उन्होंने सांसदों के नाम खुले पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री, संसद के भीतर सांसदों के आचरण और न्यायाधीशों को लोकपाल के दायरे में लाना इस प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी निकाय को मजबूती देने के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आम जनता की शिकायतों के निवारण के लिए एक प्रभावी व्यवस्था बनाने का प्रावधान विधेयक में होना चाहिए। तय समय के भीतर सेवाएं नहीं देने पर दोषी अधिकारी पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान होना चाहिए।

हजारे ने कहा कि लोकपाल के दायरे में गांव, तहसील और जिला स्तर के सरकारी कर्मचारियों को लाना जरूरी है क्योंकि देश की गरीब जनता, मजदूर और आम लोग इन्हीं कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से अपने रोजमर्रा के जीवन में जूझते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार के मसौदा विधेयक में केंद्र में लोकपाल के साथ ही राज्यों में लोकायुक्त का गठन करने का भी प्रावधान नहीं है।

इस बीच, हजारे ने 22 सदस्यीय कोर समिति का गठन कर दिया है ताकि लोकपाल के मुद्दे पर अपने आंदोलन को मजबूती दी जा सके। इस समिति की आज पहली बैठक हुई जिसमें गांधीवादी कार्यकर्ता के 16 अगस्त से अनशन पर जाने के फैसले का सर्वसम्मति से समर्थन किया गया।

इस समिति में हजारे के साथ ही उनके साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी, स्वामी अग्निवेश, मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास को शामिल किया गया है। समिति में कर्नाटक के लोकायुक्त न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े, अखिल गोगोई, पीवी राजगोपाल, राजिंदरसिंह, दिनेश वाघेला, दिल्ली के आर्क बिशप विसेंट एम. कॉनसेसाओ, संजयसिंह, देविंदर शर्मा, अरविंद गौड़ आदि भी शामिल हैं। (भाषा)