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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : सोमवार, 11 नवंबर 2019 (11:54 IST)

गुरुनानक जयंती 2019 : गुरु नानक देवजी के ये 4 शिष्य, उनकी उदासियों में रहते थे उनके साथ

गुरुनानक जयंती 2019 : गुरु नानक देवजी के ये 4 शिष्य, उनकी उदासियों में रहते थे उनके साथ - Guru Nanak Jayanti 2019
सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देवी जी के चार शिष्य थे। यह चारों ही हमेशा बाबाजी के साथ रहा करते थे। बाबाजी ने अपनी लगभग सभी उदासियां अपने इन चार साथियों के साथ पूरी की थी। इन चारों के नाम हैं- मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ पुरी की थी।
 
 
कहते हैं कि 1499 में उनकी सुल्तानपुर में मुस्लिम कवि मरदाना के साथ मित्रता हो गई। मरदाना तलवंड से आकर यहीं गुरु नानक का सेवक बन गया था और अन्त तक उनके साथ रहा। गुरु नानक देव अपने पद गाते थे और मरदाना रवाब बजाता था।
 
 
मरदाना ने गुरुजी की चार प्रमुख उदासियों में उनके साथ यात्रा की। मरदाना ने गुरुजी के साथ 28 साल में लगभग दो उपमहाद्वीपों की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने तकरीबन 60 से ज्यादा प्रमुख शहरों का भ्रमण किया। जब गुरुजी मक्का की यात्रा पर थे तब मरदाना उनके साथ थे।
 
 
गुरुजी के दो और शिष्य थे जिसका नाम बाला और रामदास था। मरदाना, बाला और रामदास तीनों ने ही गुरुजी की उदासियों में उनका साथ दिया और वे हरदम उनकी सेवा में लगे रहे।
 
 
लहना नाम के भी गुरुजी के एक प्रसिद्ध शिष्य थे। कहते हैं कि लहना जी माता रानी ज्वालादेवी के परमभक्त थे। एक दिन उन्होंने गुरुनानक के एक अनुयायी भाई जोधा सिंह खडूर निवासी से उन्होंने गुरुनानक के शबद सुने और वे उससे बहुत ही प्रभावित हुए और वे बाबाजी से मिलने जा पहुंचे। लहणा जी गुरुजी से मिलकर धन्य हो गए। 25 सितंबर, 1539 को गुरुनानक देवजी ने अपना शरीर त्याग दिया। इससे उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए।
 
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