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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 29 अप्रैल 2024 (18:24 IST)

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त - Vaishakh amavasya Snan and puja muhurat
Vaishakha amavasya
Vaishakh amavasya Snan and puja muhurat : चैत्र माह के बाद बैशाख माह प्रारंभ हो गया है। 24 अप्रैल 2024 से बैशाख मास प्रारंभ हुआ है। इस माह की अमावस्या और पूर्णिमा के दिन स्नान और दान के साथ ही श्रीहरि विष्णु की पूजा का खास महत्व रहता है। देव पूजा, दान और पुण्य के लिए यह मास श्रेष्ठ है।
अमावस्या तिथि प्रारंभ : 7 मई 2024 को 11:43:03 से।
अमावस्या तिथि समाप्त : 8 मई 2024 को 08:53:47 पर।
कब है वैशाख कृष्ण अमावस्या :- उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, वैशाख अमावस्या 8 मई बुधवार को रहेगी और दर्श अमावस्या 7 मई को है।
 
7 मई को पितृ कर्म और पूजा करें : यदि पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर रहे हैं तो 7 मई की दोपहर में करें। यानी 12 बजे के बाद पूजा करें। अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इसलिए पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इससे आरोग्य और मोक्ष प्राप्त होता है।
 
8 मई को स्नान दान करें : यदि स्नान कर रहे हैं तो 8 मई को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में करें। ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04:10 से 04:52 तक रहेगा। इसके बाद प्रात: 04:31 से 05:35 तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
Darsha amavasya 2024
Darsha amavasya 2024
वैशाख मास के 6 महत्वपूर्ण कार्य:-
  1. इस माह में प्याऊ लगाकर पशु पक्षियों के लिए अन्न- जल की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना पुण्य का कार्य माना गया है। ऐसा करने से सीधे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
  2. इस माह में छायादार वृक्ष की रक्षा करना, वृक्ष लगाना और उन्हें नित्य जल अर्पण करना भी पुण्य का कार्य है। इससे सभी तीर्थों की यात्रा का फल मिलता है।
  3. इस माह में जरूरतमंदों को पंखा दान करना चाहिए इससे श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होकर पापों से मुक्त कर देते हैं।
  4. कहते हैं कि इस माह में यदि जो व्यक्ति किसी जरूरतमंद को पादुका यानी जूते चप्पल दान करता हैं, वह यमदूतों का तिरिस्कार करके श्रीहरि के लोक को प्राप्त करता है।
  5. इस माह में जरूरतमंदों व गरीबों को वस्त्र, फल और शरबत दान करना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  6. इस माह घी का दान करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है।