• इंटरनेशनल ज़ूम डांस कम्पटीशन’ से मनाया लॉकडाउन गेट-टुगेदर
• वीडियो कॉल के अलावा क्वालिटी-टाइम साथ बिताने के लिए हुई ऑनलाइन डांस कॉम्पटीशन
• 21डांस पार्टीसिपेंट्स का निर्णय लिया विदेश से तीन जज ने
6 साल की छोटी सी मासूम हो या 54 वर्ष की परिपक्व उम्र। अगर जीने का जज्बा हो तो किसी भी उम्र में जीने के उत्साह औी जज्बे को जिंदा रखा जा सकता है। फिर चाहे पूरी दुनिया ही कोरोना जैसे संकट से ही क्यों न गुजर रही हो। हमें अपने जीने, उसके उत्साह और जज्बे के लिए रास्ते खुद ही खोजना होते हैं।
जूम डांस कॉम्पिटिशन में कुछ जिंदादिल लोगों ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। जब हर कोई लॉकडाउन में कैद हैं, अपनों से मिल नहीं पा रहे हैं। ऐसे में उन्होंने नृत्य जैसी विधा में जीने का सलीका और उत्साह खोज लिया है। उत्साह भी ऐसा कि यह आयोजन इंटरनेशनल बन गया।
मंगलवार को ऐसी ही एक अनूठी ‘ज़ूम डांस कॉम्पटीशन’ का आयोजन हुआ, जिसमें 21 प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी पसंद के गाने पर ‘लाइव’ डांस किया। इनमें 4 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक के प्रतिभागी शामिल हुए।
प्रतियोगिता के निर्णायक दल में सोमालिया, अफ्रीका से सुनीता शर्मा, भारत से शीला शर्मा और अमेरिका से क्लेयर मार शामिल थीं।
शाम को 6 बजे भारतीय समय पर शुरू हुई इस कॉम्पटीशन की तैयारियां पिछले पंद्रह दिन से चल रही थी। सुनीता ने बताया की व्हॉट्सएप्प पर एक ग्रुप बनाकर सभी प्रतिभागियों को पहले से नियम समझा दिए गए थे। सभी प्रतिभागियों को तीन केटेगरी में विभाजित किया गया था- सीनियर, इंटर-मीडीएट और जूनियर। इनमें एक सबसे छोटी प्रतिभागी केन्या से भी है। सभी को अपनी परफॉरमेंस के लिए चार मिनट का समय दिया गया।
क्या कहते हैं जज?
‘हम कुछ भारतीय विदेश में हैं और हमारे परिवार भारत में। हमारे कुछ सहकर्मी भी लॉकडाउन के पहले अपने-अपने देश जा चुके थे। सभी से जुड़े रहने के लिए हम वीडियो कॉल तो करते ही हैं, लेकिन ‘क्वालिटी टाइम’ साथ में बिताने के लिए इससे बेहतर तरीका नहीं है।
हर केटेगरी में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी के लिए इनाम भी
प्रतियोगिता में एमबीए स्टूडेंट्स, एमसीए स्टूडेंट, डॉक्टर, इंजीनियर, स्कूल के स्टूडेंट्स, प्रोफेसर, स्पोर्ट्स शॉप के मालिक और तीन किंडरगार्टन के भी बच्चे शामिल हुए। कुछ ने वेस्टर्न, तो कुछ ने क्लासिकल डांस किया। बच्चों ने हिप-हॉप और बॉलीवुड गानों पर भी डांस किया। निर्णायक दल ने डांस के स्टेप्स के साथ ही मेकअप, प्रॉप्स का उपयोग, हाव-भाव पर भी अंक दिए।
जूनियर कैटेगरी के विजेता
जूम डांस कॉम्पिटिशन में जूनियर कैटेगरी में नमन चंसोलिया प्रथम, दक्ष शर्मा दूसरे स्थान पर जबकि तीसरा स्थान निशि चंसोलिया और कृष्णवी अडातिया ने हासिल किया।
इंटरमिडिएट कैटेगरी के विजेता
इसमें पहले स्थान पर अक्षत शर्मा, अलीना खान,दूसरे स्थान पर कृतिका व्यास और निधि प्रजापति रहीं। प्रिया व्यास तीसरे स्थान पर रहीं।
अमोल शर्मा, प्रबल बाफना को पहला और दूसरा कंसोलेशन प्राइज जबकि उदित शर्मा और रिमझिम प्रजापति को दूसरा कंसोलेशन प्राइज दिया गया।
सीनियर कैटेगरी के विजेता
सीनियर कैटेगरी में छाया मंगल मिश्रा और नेहा शर्मा ने पहला स्थान हासिल किया। डॉ संगीता मिश्रा और किरण व्यास दूसरे स्थान पर रहीं। अंतिम शर्मा तीसरे स्थान पर। संगीता शर्मा और सुधा बाफना को इस कैटेगरी में कंसोलेशन प्राइज दिया गया।
ये थे पार्टिसिपेंट
निधि, सोनू, रिमझिम, छाया मंगल मिश्रा, निशि शर्मा, किरण व्यास, मिंटू, अलिना, चीनू, संगीता मिश्रा, प्रिया,अमोल, उदित, अक्षत, संगीता शर्मा, अनुराधा शर्मा, सुधा बाफना, नेहा, दक्ष, कृष्णवी और प्रबल। इसमें इंदौर, भोपाल और नैरोबी के प्रतियोगी शामिल थे।
और क्या कहते हैं पार्टिसिपेंट
इंदौर की डॉ छाया मंगल मिश्रा इस आयोजन की प्रतिभागियों में एक थीं। उन्होंने इस आयोजन के बारे में अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया,
इस समय जबकि पूरी दुनिया में भय है। लोगों के माथे पर शिकन की लकीरें गहरा रहीं है, बच्चे सदमे में हैं। चारों तरफ गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है। ये सन्नाटा, भय, सदमा और चिंता इस कदर सबको अपनी गिरफ्त में जकड़ रहा है कि इससे बाहर निकलने के उपाय भी समझ नहीं आ रहे। ऐसे में नृत्य जैसी विधा कई शहरों और देशों के प्रतिभागियों को एक मंच पर ले आई। एक ऐसा मंच जो सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में भी मन के सबसे करीब हो गया। जिससे मासूम जीवन मुस्कुरा उठा और एक दूसरे के मुरझाए चेहरे प्रफुल्लित हुए, झूमते गाते नाचते मिल गए। बुजुर्गों को आनंद मिला और बच्चों को राहत।
सोमालिया से सुनीता शर्मा ने सभी को एक साथ एक स्क्रीन पर ला इकठ्ठा किया। दूरियों को नजदीकियां बना डाला और आयोजन कर डाला एक इंटरनेशनल ज़ूम डांस कॉम्पीटिशन पार्टी का।
कोर्डिनेशन का सारा जिम्मा बखूबी सम्हाला इंदौर से निधि प्रजापति ने। और शुरू हो गया कोरोना से लड़ने का एक अनूठा, निराला पर मजेदार मिशन। जिसमें छोटे से लेकर सभी बड़े भी शामिल हुए। पार्टिसिपेट तो किया ही सभी ने पर बुजुर्गों के चेहरे खिल गए सभी प्रियजन को हंसता-नाचता देख। एक दूसरे से एक साथ हंसी-ख़ुशी मिलना भी कभी कभार ही तो होता है। फिर इस कोरोना बेताल का झाड़ा इस इंटरनेशनल ज़ूम डांस कॉम्पिटिशन पार्टी से बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता था।