शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. Stephen hawking, Stephen hawking profile in hindi
Written By
Last Updated : बुधवार, 14 मार्च 2018 (16:40 IST)

जिंदादिली और जिजीविषा की मिसाल महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग

जिंदादिली और जिजीविषा की मिसाल महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग - Stephen hawking, Stephen hawking profile in hindi
- देवेंद्रराज सुथार

ईश्वर के अस्तित्व को चुनौती देने वाले व ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागार करने वाले महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का 76 वर्ष की उम्र में निधन होना विज्ञान जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था।

स्टीफन के पिता रिसर्च बायोलॉजिस्ट थे और मां एक गृहिणी थी। उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के चलते जन्म के बाद ही अपनी मां के साथ लंदन जाना पड़ा था। लंदन में ही पले-बढ़े हॉकिंग की बचपन से ही फिजिक्स और अंतरिक्ष के बारे में जानने में बहुत रुचि थी। उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड जेन वाइल्ड से शादी की थी। बाद में उनका तलाक हो गया। तलाक का कारण यह बताया जाता है कि जेन वाइल्ड एक धर्मालु व ईश्वर में आस्था रखने वाली महिला थीं और हॉकिंग नास्तिक प्रवृत्ति के इंसान थे।

हॉकिंग साल 1964 से ही मोटर न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी से बीमार चल रहे थे। इस बीमारी में शरीर का हिस्सा धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है और इंसान की बेहद ही दर्दनाक तरह से मौत हो जाती है। दरअसल जब इस बीमारी का हॉकिंग को पता चला और डॉक्टरों ने उन्हें यह कहा कि वे केवल दो साल के ही मेहमान है। तो उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने पचास साल जीने का दावा डॉक्टरों से कर दिया था। आखिरकार उनका यह दावा सच भी हुआ।

जब उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और जिजीविषा के दम पर जी कर और दुनिया को अपनी कई महान खोजों से अवगत कराकर दिखाया। भले व्हीलचेयर ने उन्हें शारीरिक रूप से अपंग कर दिया था, लेकिन वे मानसिक रूप से बिलकुल स्वस्थ थे। उन्होंने ब्लैक होल और बिग-बैंग थ्योरी को समझने में अपना अहम योगदान दिया। अपने जीवनकाल में 12 मानद डिग्रियों के साथ अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान हासिल किया। उनकी किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम‘ को. बेस्टसेलर का दर्जा भी मिला। केवल विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, हॉकिंग की टीवी शो की दुनिया में भी बड़ी धूम थी।

हॉकिंग को उनकी सिंथेटिक आवाज और खास अंदाज ने एक सेलेब्रिटी बना दिया था। वे बेहद ही जिंदादिल और विनोदप्रिय इंसान थे। हॉकिंग पूरी उम्र ब्लैक होल्स पर कम करते रहे। उनकी यह मान्यता थी कि ब्लैक होल में जो एक बार समा जाता है वो कभी बाहर नहीं निकलता। लेकिन हॉकिंग ने 1974 में खोज निकाला कि ब्लैक होल्स खुद एक तरह की किरणें या रेडिएशन निकालते हैं जिन्हें बाद में ‘हॉकिंग रेडिएशन‘ कहा गया। लेकिन हॉकिंस को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि जिस काम से मिली थी वो थी उनकी ‘थ्योरी ऑफ एव्रीथिंग‘।

ब्रह्मांड में होने वाली सभी घटनाओं को समझाने के लिए हॉकिंग ने कुछ नियम बताए थे। उनका कहना था कि ब्रह्मांड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इन नियमों के विरुद्ध चले। इस थ्योरी ने उन्हें आम जनता के बीच भी बहुत लोकप्रिय कर दिया था। हॉकिंग के जीवन पर आधारित एक हॉलीवुड फिल्म 2014 में रिलीज हुई थी, जिसका नाम ‘द थ्योरी ऑफ एव्रीथिंग‘ था। हॉकिंग कहा करते थे - ‘ईश्वर को पासों का खेल पसंद है वो उस समय अपने पासे फेंकता है, जब कोई देख नहीं रहा होता।‘ और इस तरह हॉकिंग भी ईश्वर के पासे में फंस गए और दुनिया को कह गए- अलविदा !