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‘गालि‍ब और गुलफाम हसन’ से लेकर ‘विद्या बालन के आशि‍क’ तक कोई है तो वो ‘नसीरउद्दीन शाह’ ही हैं

‘गालि‍ब और गुलफाम हसन’ से लेकर ‘विद्या बालन के आशि‍क’ तक कोई है तो वो ‘नसीरउद्दीन शाह’ ही हैं - Naseeruddin shah
नसीरउद्दीन शाह अपने जमाने के बेहतरीन एक्‍टर रहे हैं। एक से एक फि‍ल्‍में उनके खाते में दर्ज हैं। लेकिन हाल ही में देश का माहौल बदलने के बाद वे इन दिनों वि‍वादों में भी खूब आ रहे हैं। कई बार वे अपने बयान की वजह से सोशल मीडि‍या में ट्रोल भी हो चुके हैं। 20 जुलाई को उनका जन्‍मदि‍न है। आइए जानते हैं उनके फि‍ल्‍मी सफर के बारे में।

साल 1994 में ‘मोहरा’ नाम की एक फिल्म आई थी। इस फि‍ल्‍म में ‘तू चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त’ बोल से गाना जबरदस्‍त हि‍ट हुआ था। इस फि‍ल्‍म में अक्षय कुमार और रवीना टंडन की के साथ नसीरुद्दीन शाह भी थे। जिसने भी यह फि‍ल्‍म देखी थी वो नसीर का दीवाना हो गया था, उन्होंने फि‍ल्‍म में एक अंधे व्‍यक्‍त‍ि का किरदार निभाया था।

उस दौर में युवाओं ने जब नसीर की पिछली फि‍ल्‍मों पर नजर डाली तो उन्‍हें पता चला कि नसीरउद्दीन शाह तो एक बेहतरीन एक्‍टर रहे हैं, मोहरा तो उनकी अदायगी का बस एक नमूनाभर है। युवाओं के लिए नसीर अभिनय का एक पूरा संस्‍थान निकले।

आज (20 जुलाई) को नसीरुद्दीन शाह आज 70 साल के हो गए हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 20 जुलाई 1950 को उनका जन्म हुआ था। सामान्‍य चेहरे मुहरे वाले नसीर के पास अगर कुछ था तो वो उनकी आवाज, अंदाज और अभि‍नय। इसी के दम पर वे एक पूरा एक्‍ट‍िंग स्‍कूल बन गए।

जब आमिर के साथ नसीर की ‘सरफरोश’ फिल्म आई तो गुलफाम हसन नाम के पाकिस्तानी गज़ल गायक के किरदार में इतनी गहराई में उतर गए कि लगा कि ये नसीर नहीं गुलफ़ाम हसन ही है।

नसीर थियेटर से आए थे। 1971 में अभिनेता बनने का सपना लिए उन्होंने दिल्ली नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा स्कूल का रुख किया। 1975 में जब उनकी मुलाकात निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई तब श्याम बेनेगल उन दिनों ‘निशांत’ बनाने की तैयारी में थे। इस फि‍ल्‍म के लिए जैसा चेहरा चाहि‍ए था वो नसीर के पास था। उन्होंने तुंरत नसीर को साइन कर लिया।

1976 दुग्ध क्रांति का दौर था। इस साल मंथन फिल्म आई। कोई निर्माता इस पर पैसा नहीं लगाना चाहता था, ऐसे में यह फिल्म के लिए गुजरात के करीब 5 लाख किसानों ने रोज मिलने वाली मजदूरी में से दो-दो रुपए की मदद की थी। मंथन बनी और बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। इससे नसीर के करियर को भी नई ऊंचाई मिली।

इजाज़त, आक्रोश, पार, मिर्च मसाला, बाजार, स्पर्श, मासूम, जाने भी दो यारो, त्रि‍देव, सरफरोश, हीरो हीरालाल, मालामाल, कथा, भूमिका और इसी तरह की तमाम फिल्मों में बेहतरीन अदकारी से हिंदी सिनेमा के पर्दे पर अपनी छाप छोड़ चुके नसीर ने जब दूसरी पारी के लिए वापसी की तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि सरफरोश, वेडनेसडे, जॉन डे जैसी फिल्मों में फिर से अपना कमाल दिखाएंगे। इश्किया में निभाए उनके आशिक के रोल ने  तो सभी को चौंका दिया।

‘डर्टी पिक्चर’ में उन्होंने अपने से करीब 28 साल छोटी विद्या बालन से इश्क लड़ाया और रुमानि‍यत से भरे उनके रोल ने सबको दीवाना बना दिया। 62 की उम्र में उन्होंने विद्या के साथ बोल्ड सीन किए। ‘डेढ़ इश्किया’ में जब वो माधुरी के साथ आए तो भी छा गए।

कमर्शियल और कला फिल्मों के बीच नसीर अपने मन का काम भी किया। गुलजार ने मिर्जा ग़ालिब पर टीवी सीरियल बनाया तो सबसे पहले उनके दिमाग में नसीर का ही चेहरा आया। जगजीतसिंह की आवाज में मिर्जा ग़ालिब की गज़लें और नसीर का चेहरा ऐसा फीट हुआ कि ग़ालिब फिर से जिंदा हो उठे।
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