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गोद में गांव, शहर बने स्मार्ट

गोद में गांव, शहर बने स्मार्ट - My Blog
भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी के बहाने देश को स्मार्ट बनाने का बीड़ा उठाया है। यह उसकी महत्वाकांक्षी वाली परियोजना है। शहरों के नामों की घोषणा अगले चुनाव तक पूरी हो जाएगी, तब तक योजना बनाने वाले काफी स्मार्ट तरीके से कागजी शहरों को बसा चुके होंगे। बस अब कुछ ही सालों का तो इंतजार करना है। क्या ख्याल है आपका?

 
'भाई मेरे अब जमाना बदल रहा है। जब स्मार्ट फोन, स्मार्ट टी.वी और स्मार्ट लोग हो सकते हैं, तो स्मार्ट सिटी भी बन जाने पर कम से कम कुछ लोगों का तो भला होगा ही। उनसे ही रिस-रिसकर विकास की गंगा गांवों तक आएगी और भारत गांवों वाला देश नहीं वह स्मार्ट सिटी वाला देश कहलाएगा। जैसे बनारस टोकियो बन गया, जैसे दिल्ली स्विट्जरलैंड बन गई है। जैसे शाइनिंग इंडिया बना, जैसे स्वच्छ भारत बन गया है। यही वजह है कि स्मार्ट सिटी योजना में नए शहरों को शामिल कर लिया है, जो अब तक शामिल नहीं हुए है वो आगे कभी भी शामिल नहीं होंगे और गांवों की शुद्धता से भी भला क्या समझौता करना?
 
'हां भाई तुम सच कह रहे हो। गांव स्मार्ट की श्रेणी में क्यों आए। गांव तो अभी गोद लेने के लिए हैं, और गोद तो नाजायज या निराश्रित को लिया जाता है। अब उन्हें भी कोई शिकवा शिकायत करने का मौका न मिले। वैसे भी यहां तो अभी शौचालय ही बन जाएं वही काफी है।'
 
'सिटी स्मार्ट होगी तभी तो यहां पर इंवेस्टमेंट करने वाले लोगों को फायदा होगा। बड़े-बड़े मोल, सिनेमा हाल, काम्प्लेक्स, चार लाइन, सिक्स लाइन सड़कें बनेगी तो उन्हें खूब फायदा होगा।'
 
'मैं एक बात सोच रहा हूं, अगर गांवों को भी ...'
'हां हां मैं अच्छी तरह समझ रहा हूं, तुम्हारा इशारा कहां है। भाई गांवों के लिए भी कई योजनाएं हैं, बड़े किसानों के लिए फसल बीमा योजना है, अस्पताल हो न हो लेकिन एक रुपए में जीवन बीमा योजना है, गरीब से गरीब भी अपना पैसा जमा कर सके उसके लिए जनधन योजना है, लाइट बिना ही डिजिटल योजना है। वैसे भी आजकल गांव में रहता ही कौन है। देखना सब दौड़े आएंगे इन शहरों की तरफ।' 'देखा नहीं इस योजना की घोषणा करने से ही बड़े-बड़े निवेशक दौड़े चले आए।'
 
'हां कह तो सही रहे हो। अभी तक रियल स्टेट मंदी का शिकार थी, अब जिसे देखो वही पैसा लगाने को तैयार है। कुछ नहीं तो आने वाले कुछ सालों के लिए इस संकट से उबर गए। और हां जो सातवां वेतन आयोग के तहत पैसा ले रहे हैं उन्हें भी तो इन्वेस्ट करने के लिए कोई न कोई जरिया चाहिए।'
 
वैसे भी भारत को इंडिया बनाने के लिए ये सब जरूरी है। यदि रियल स्टेट को नहीं बचाया जाएगा तो विदेशों में आई मंदी से कैसे उबरा जाएगा। भारत एक उभरता हुआ देश है, जिसमें 20 रुपए कमाने वालो की संख्या 84 करोड़ है, एक लाख युवक बेरोजगारी से मरते हैं। इस योजना से रोजगार का सर्जन बहुत होगा - जैसे काम करने वाली बाई...होमगार्ड, प्रेस करने वाले, रेडी पटरी वाले कामों से देश की जीडीपी में बढ़ोतरी होगी।
 
अच्छा ये बताओ कि स्मार्ट सिटी में इंसानों के रहने की जगह तो होगी ही।
हां! क्यों नहीं होगी। संवेदनहीन स्वार्थी उपभोक्तावादी लोगों को बनाने के लिए बाजार अपना काम कर रहा है। लाभ आधारित स्मार्ट सिटी बेकार के मानवीय संबंधों को जल्द ही खत्म कर देगी। स्मार्ट फोन से ही सरकार को बनाएगी उससे संचालित होगी। स्मार्ट सिटी इन लोगों के बिना संभव नहीं।
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