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मकर संक्रांति विशेष :देखिए पतंग पर रचे 6 लाजवाब गीत

मकर संक्रांति विशेष :देखिए पतंग पर रचे 6 लाजवाब गीत - makar sankranti special songs
मकर संक्रांति यानी स्वादिष्ट खान-पान, गुड़ और तिल के लड्डू, पतंग उड़ाने और ढेर सारी मस्ती करने का दिन। पतंगबाजी के दौरान अगर मकर संक्रांति के उत्सव से जुड़े गाने चला दिए जाएं तो पतंग उड़ाने का जोश ही दुगना हो जाता है। 
 
हमारी भारतीय फिल्मों में हर वार, त्योहार, हर परिस्थिति और अवसर को बयां करते हजारों गीत फिल्माए जाते रहे हैं। और जब मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का विशेष महत्व है, तो ऐसे में भला पतंग के संबोधन वाले गानों पर एक नजर कैसे न डाली जाए?
 
जानते हैं बॉलीवुड के कुछ ऐसे गीत, जो इस दिन की मस्ती, उड़ती पतंग के उतार-चढ़ाव को हमारी जिंदगी से जोड़कर बेहद ही खूबसूरती से बयां करते हैं। तो आपके लिए प्रस्तुत हैं 5 ऐसे गीत के लीरिक्स, जो पतंगबाजी पर फिल्माए गए हैं जिसे पढ़कर आप इस त्योहार का सार कल्पना कर महसूस कर पाएंगे। 
 
1. 1999 में बनी सुपरहि‍ट फि‍ल्‍म 'हम दि‍ल दे चुके सनम' का गीत 'ऐ ढील दे, ढील दे दे रे भैया'
 
इस गाने में पतंगबाजी की मस्‍ती को हूबहू फि‍ल्‍माया गया है। गाने को लि‍खा है महबूब ने और गाया है शंकर महादेवन, दमयंती बरदाई, ज्‍योत्‍स्ना हर्डीकर और साथी कलाकारों ने। संगीत है इस्‍माइल दरबार का। 

ऐ हे...
 
आआ SSS SSS आआ हो हो SSS
 
काईपोछे
 
हो हो SSS
हो हो SSS
 
ऐ ढील दे ढील दे दे रे भैया
ऐ ढील दे ढील दे दे रे भैया
उस पतंग को ढील दे
जैसे ही मस्‍ती में आए
अरे जैसी ही मस्‍ती में आए
उस पतंग को खींच दे
डील दे डील दे दे रे भैया
 
तेज तेज तेज है मांजा अपना तेज है
तेज तेज तेज है मांजा अपना तेज है
उंगली कट सकती है बाबू
तो पतंग क्‍या चीज है
ऐ ढील दे ढील दे दे रे भैया
हे ढील दे ढील दे दे रे भैया
 
उस पतंग को ढील दे
जैसे ही मस्‍ती में आए
अरे जैसी ही मस्‍ती में आए
उस पतंग को खींच दे
डील दे डील दे दे रे भैया
 
हे...SSSSS हे...SSSSS
काईपोछे
ऐ लपेट
 
तेरी पतंग तो गई काम से
कैसी कटी उड़ी थी शान से
चल सरक अब खि‍सक
तेरी नहीं थी वो पतंग
वो तो गई कि‍सी के संग संग संग
हो गम ना कर घुमा फि‍रकी तू फि‍र से गर्र गर्र
आसमान है तेरा प्‍यार हौंसला बुलंद कर
दम नहीं है आंखों में न मांजे की पकड़ है
टन्‍नी कैसे बांधते हैं इसको क्‍या खबर है
लगाले पेंच फि‍र से तू होने दे जंग
नजर सदा हो ऊंची सि‍खाती है पतंग
सि‍खाती है पतंग
 
होSSSSSS होSSSSSS
 
ढील दे ढील दे दे रे भैया
ढील दे
ढील दे ढील दे दे रे भैया
ढील दे
ढील दे ढील दे दे रे भैया
 
उस पतंग को ढील दे
जैसे ही मस्‍ती में आए
अरे जैसी ही मस्‍ती में आए
उस पतंग को खींच दे
डील दे डील दे दे रे भैया
 
हे..
हे
होSSSSSS
काईपोछे
 
2. रुत आ गई रे- 1947 अर्थ फि‍ल्‍म का गीत  
 
इस गीत में आमिर खान फिल्म की नायिका नंदिता दास को पतंग उड़ाना सिखाते हैं और पतंगबाजी के मर्म को उनके बीच सूक्ष्म रोमांस के जरिए बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया है। इस गीत के गीतकार हैं सुखविंदर सिंह। गीत लिखा है जावेद अख्तर ने और म्यूजिक दिया है एआर रहमान ने।

रुत आ गई रे
रुत छा गई रे
 
पीली-पीली सरसों फूले
पीले-पीले पत्ते झूमे
पीहू-पीहू पपीहा बोले
चल बाग़ में
 
धमक-धमक ढोलक बाजे
छनक-छनक पायल छनके
खनक-खनक कंगना बोले
चल बाग़ में
 
चुनरी जो तेरी उड़ती है
उड़ जाने दे
बिंदिया जो तेरी गिरती है
गिर जाने दे
 
गीतों की मौज आई
फूलों की फौज आई
नदियां में जो धूप घुली
सोना बहा...
 
अम्बवा से है लिपटी
एक बेल बैले की
तू ही मुझसे है दूर
आ पास आ...
 
मुझको तो सांसों से छु ले
झूलूं इन बाहों के झूले
प्यार थोड़ा सा मुझे दे के
मेरे जानों दिल तू ले ले...
 
तू जब यूं सजती है
इक धूम मचती है
सारी गलियों में
सारे बाजार में...
 
आंचल बसंती है
उसमें से छनती है
जो मैंने पूजी है
मूरत प्यार में...
 
जान कैसी है ये डोरी
मैं बंधा हूं जिससे गोरी
तेरे नैनों ने मेरी नींदों की
कर ली है चोरी...
 
रुत आ गई रे
रुत छा गई रे
 
3. 2017 की फिल्म 'रईस' का गीत 'उड़ी-उड़ी जाए'
 
इस गीत में बड़ी खूबसूरती से पतंग को दिल की संज्ञा दी गई है और मांझे को नजर कहा  है और बताया है कि कैसे नजरों के मांझे से दिल की पतंग गोते खाती है। गीत को गाया है भूमि त्रिवेदी ने और सुखविंदर सिंह ने। राम संपत ने गीत को लिखा है और लीरिक्स दिया है जावेद अख्तर ने। 

उड़ी उड़ी जाये
उड़ी उड़ी जाये
दिल की पतंग देखो उड़ी उड़ी जाए
उड़ी उड़ी जाये
उड़ी उड़ी जाये
दिल की पतंग देखो उड़ी उड़ी जाए
 
कहने को तू खेल है ये तेरा मेरा साँझा
पर मेरा दिल है पतंग
और तेरी नज़र मांझा
मांझे से लिप्टी है पतंग
जुडी जुडी जाए
 
उड़ी उड़ी जाये
उड़ी उड़ी जाये
दिल की पतंग देखो उड़ी उड़ी जाए
 
दो दिल उड़े, दो दिल उड़े
ऊँचे आसमानों में जुड़े..
 
मुझे कब था पता इसका
तेरे प्रेम का इक तारा
मन में यूँ पल पल बाजेगा
 
मुझे कब थी खबर इसकी
मेरे मन की सिंघासन पर तू
सदा को यूँ बिराजेगी
 
कोई भी कठिनाई हो
या कोई हो मज़बूरी
तेरे मेरे इक भी पल होवे नहीं दूरी
 
माझे से लिप्टी ये पतंग
जुडी जुडी जाए
 
उड़ी उड़ी जाये
उड़ी उड़ी जाये
दिल की पतंग देखो उड़ी उड़ी जाए
 
ये जो पतंग है तेरे ही संग है
तेरी ही और देख मुड़ी मुड़ी जाए
 
दो दिल उड़े, दो दिल उड़े
ऊँचे आसमानों में जुड़े..
दो दिल उड़े, दो दिल उड़े
ऊँचे आसमानों में जुड़े..
 
4. 2013 में आई फिल्म 'फुकरे' का गीत 'अम्बरसरिया'
 
ये गीत पूरी तरह तो पतंग पर आधारित नहीं है, लेकिन यह भारतीय भावनाओं को अच्छी तरह दिखाता है और पतंग के माध्यम से नायक पुलकित सम्राट, फिल्म की नायिका प्रिया आनंद को अपना संदेश भेजता है। यह दृश्य आपको मकर संक्रांति के दिन की उन खुशियों और जवानी के लापरवाह दिनों तक ले जाएगा। इस गीत को गाया है सोना महापात्र ने। म्यूजिक दिया है राम सम्पत ने और लीरिक्स लिखे हैं मुन्ना धीमन ने।

गली में मारे फिरे
पास आने को मेरे
गली में मारे फिरे 
पास आने को मेरे 
कभी फड़कता नैन मेरे तो
कभी फड़कता तोरे 
कभी फड़कता नैन मेरे तो 
कभी फड़कता तोरे
 
अम्बरसरिया..मुंडयावे कचिया कलियां ना तोड़ 
अम्बरसरिया..मुंडयावे कचिया कलियां ना तोड़ 
तेरे मां ने बोले हैं मुझे तीखे से बोल 
तेरे मां ने बोले हैं मुझे तीखे से बोल 
अम्बरसरिया..
हो अम्बरसरिया..
 
गोर गोर मेरे कलाई
गोर गोर मेरे कलाई 
चूड़ियां काली काली
मैं शर्माती रोज लगाती
काजल सुरमा लाली 
 
नहीं मैं सुरमा पाडा 
रूप ना मैं चमकाना 
नहीं मैं सुरमा पाडा 
रूप ना मैं चमकाना
नैन नशीली हूं अगर 
तो सुरमे दी की लोड
 
अम्बरसरिया..मुंडयावे कचिया कलियां ना तोड़
अम्बरसरिया..मुंडयावे कचिया कलियां ना तोड़
तेरे मान ने बोले हैं मुझे तीखे से बोल 
तेरे मान ने बोले हैं मुझे तीखे से बोल
अम्बरसरिया.. 
अम्बरसरिया..
 
5. 2013 में आई फिल्म : काई पो चे का गीत 'मांझा' 
 
फिल्म का शीर्षक ही पतंगबाजी या कह लें कि पतंग उड़ाने के त्योहार पर आधारित है- काई पो चे। गुजरात में उत्तरायन के आसपास बनी हुई इस फिल्म के एक गीत 'मांझा' में पतंग उड़ाते हुए कुछ मजेदार दृश्य हैं, जो आपको इस त्योहार की याद ताजा करते हैं। इस गीत के गायक हैं अमित त्रिवेदी। संगीत भी इन्होंने ही दिया है और गीत लिखा है स्वानंद किरकिरे ने।

रूठे ख्वाबों को मना लेंगे
कटी पतंगों को थामेंगे
हां हां है जज्बा
हो हो है जज्बा 
सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा
हम्म का मांझा, हम्म का मांझा …
 
सोई तकदीरे जगा देंगे
कल को अम्बर झुका देंगे
हा हा है जज्बा 
हो हो है जज्बा 
सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मंझा हम्म मंझा …
 
हो हो बर्फीली, आंखों में
पिघला सा देखेंगे 
हम कल का चेहरा 
हो हो पथरीले, सीने में 
उबला सा देखेंगे हम लावा गहरा
अगन लगी, लगन लगी
टूटे ना, टूटे ना जज्बा ये टूटे ना
मगन लगी, लगन लगी 
कल होगा क्या कह दो किस को है परवाह परवाह …. 
 
परवाह रूठे ख्वाबों को मना लेंगे
कटी पतंगों को थामेंगे 
हां हां है जज्बा
हो हो है जज्बा 
सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा 
हम्म का मांझा, हम्म का मांझा …
 
6. फिल्म कटी पतंग (1970) का गीत : 'ना कोई उमंग है...'
 
इस गीत में नायिका ने अपने जीवन की तुलना आसमान से कटकर गिरी हुई पतंग से की है और बड़ी ही खूबसूरती से इस गीत के माध्यम से जीवन के एक अलग पहलू को पतंग से जोड़कर नायिका ने अपने जीवन का एक अलग दौर और भावनाएं दर्शाई हैं। इस गीत को लिखा है आनंद बक्षी ने। आवाज दी है लता मंगेशकर ने और संगीत है राहुल देव बर्मन का। 

ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है
ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है
मेरी जिंदगी है क्या, एक कटी पतंग है
 
आकाश से गिरी मैं एक बार कट के ऐसे
दुनिया ने फिर न पूछो, लूटा है मुझको कैसे
ना किसी का साथ है, ना किसी का संग है
 
लग के गले से अपने, बाबुल के मैं ना रोयी
डोली उठी यूं जैसे, अर्थी उठी हो कोई
यही दु:ख तो आज भी मेरे अंग-संग है
 
सपनों के देवता क्या तुझको करूं मैं अर्पण
पतझड़ की मैं हूं छाया, मैं आंसुओं का दर्पण
यही मेरा रूप है, यही मेरा रंग है