जब स्टेज पर गाते-गुनगुनाते ‘खूबसूरत मौत’ को जी गया ‘डेविड ओल्ने’
उसने पहले माफी मांगी, फिर अपनी आंखें बंद की, और फिर हमेशा के लिए एक गहरी नींद में सो गया, फिर कभी नहीं उठने के लिए। कोई मौत सुंदर नहीं होती है, लेकिन डेविड ने इसे अपने लिए खूबसूरत-सा बना दिया, वो गा रहा था, गाते- गुनगुनाते एक पल के लिए खूबसूरत मौत को जी गया डेविड ओल्ने। वो स्टेज पर गा रहा था, गिटार बजा रहा था और धीमे से मौत की गोद में बैठकर दुनिया छोड़कर चला गया। उसकी सबसे प्रिय जगह स्टेज से उसने दुनिया को अलविदा कहा।
71 साल के फोक सिंगर और सॉन्ग राइटर डेविड ओल्ने की पिछले शनिवार को मौत हो गई। वो शनिवार को फ्लोरिडा के सांता रोसा बीच पर 30ए सॉन्ग राइटर्स फेस्टिवल में परफॉर्म कर रहा था।
अपने शो के तीसरे गाने के दौरान डेविड ने ऑडिएंस से माफी मांगी और सिर झुकाकर आंखें बंद कर ली।
गायिका एमी रिग्बी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में डेविड की मौत के बारे में लिखा, उसकी उंगलियां गिटार को छू रही थीं, वो बिल्कुल शांत था, चुप सा। कैप और जैकेट में वो बेहद कूल नजर आ रहा था। यह दृश्य किसी बेहद सुंदर इमेज सा नजर आ रहा था और मैं सोच रही थी कि यह इमेज हमेशा ऐसे ही सुंदर और ग्रेसफूल बना रहे। डेविड को देखकर एकबारगी तो लगा कि जैसे वो किसी पल को जी रहा था। दरअसल, उस वक्त वो अपनी मौत को जी रहा था।
उस समय स्टेज पर मौजूद म्युजिशियन स्कॉट मिलर ने डेविड की मौत पर लिखा, डेविड गाना बजा रहा था, फिर वो अचानक रुका और उसने ‘आई एम सॉरी’ कहा, फिर उसने अपने सिर को नीचे झुकाकर अपनी ठोढी को छाती से लगा लिया। इस दौरान न तो उसके हाथ से गिटार गिरा और न ही वो खुद ही गिरा। यह बहुत आसान और नाजुक सी घटना जैसा गला, जैसा डेविड खुद था, ठीक उसी तरह।
जब हमें समझ आया कि क्या हुआ है तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हम उसे स्टेज से नीचे लेकर आए और उसकी सांसों को रिवाइव करने की कोशिश की, लेकिन शनिवार की रात को दुनिया डेविड को खो चुकी थी। शायद डेविड को हार्टअटैक आया था।
23 मार्च 1948 को पैदा हुए अमेरिकन फोक सिंगर डेविड चार्ल्स ओल्ने ने 1980 में एक रॉक बैंड बनाया था, जिसका नाम था ‘एक्स रे’। अपने करीब 50 साल के करियर में डेविड ने करीब 20 से ज्यादा एल्बम तैयार किए। उसके गानों को कई प्रसिद्ध सिंगर्स ने गाया, इनमें एमिलो हैरिस, स्टीव आर्ले, स्टीव यंग, लॉरी लिवाइज आदि शामिल हैं।
लेखक निर्मल वर्मा ने कहा था-
मृत्यु में ग्रेस होना चाहिए। जैसे कोई पीपल का सूखा पत्ता धीमे से टूटकर लहराता हुआ जमीन पर गिर जाए और किसी को पता भी न चले। क्या डेविड की मौत ऐसे ही किसी सूखे पत्ते के टूटकर गिरने की तरह थी?