न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
पंकज मुकाती (राजनीतिक विश्लेषक)न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में
मशहूर शायर अल्लामा इक़बाल का ये शेऱ आज के हिंदुस्तान पर अलग अर्थों में मौजूं साबित हो रहा है। इकबाल ने ये शेर किसी और सन्दर्भ में लिखा होगा।
आज के हिन्दुस्तान में ये कोरोना संक्रमण पर भी इतना ही लागू होता दिख रहा है। पूरे देश में 12 लाख के करीब संक्रमित हो चुके हैं।
जुलाई में ये आंकड़ा तेज़ी से बढ़ा और 6 लाख से ज्यादा मामले इसी महीने के हैं। हम दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर की तरफ दौड़ रहे हैं। देर, सवेर सरकार ने मान ही लिया कि हम सामुदायिक संक्रमण से घिर रहे हैं।
लॉकडाउन के सौ दिन हमने बहुत एहतियात बरती। खूब सम्भले। पर अनलॉक होते ही हम बाज़ारों में टूट पड़े। हमने मान लिया कि कोरोना खत्म हो गया। दूसरी हम हिन्दुस्तानियों की एक और आदत है, हम ये मानकर चलते है कि हमें कुछ नहीं होगा। उसे हुआ क्योंकि उसका सिस्टम कमजोर था। उसने एहतियात न रखी। मैं तो आज तक बीमार नहीं हुआ। ऐसे जुमले ज़िंदगी के लिए खतरा है।
प्रदेश के इंदौर और भोपाल में भी मरीज बढ़ रहे हैं। वायरस किसी का सगा नहीं और आपके सगों से भी आप तक चिपकने से वो पीछे नहीं हटेगा। झारखंड के धनबाद के एक परिवार की कहानी आपको रुला देगी। आपके परिवार के लिए कितना बड़ा खतरा है, कोरोना संक्रमण ये आप इससे समझेंगे। धनबाद में एक महिला की मौत के बाद उनके टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
4 जुलाई को इस महिला की मौत हुई। 19 जुलाई तक उस महिला को कांधा देने वाले पांच बेटों की संक्रमण से मौत हो गई। छठे नंबर का बेटा भी गंभीर है, अस्पताल में भर्ती है। देखते ही देखते 15 दिन में इस परिवार के 9 लोगों की मौत हो गई। यानी ये संक्रमण कितना घातक है।
मां को कंधा देने में भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करने के चलते पांच बेटे अपनी ज़िंदगी खो चुके। इनके पीछे अपना-अपना परिवार रहा होगा जो अब पूरी ज़िंदगी मुश्किल में गुजारेगा। कोरोना की लापरवाही सिर्फ आप पर ही नहीं पूरे परिवार, समाज और देश तक को प्रभावित करता है। एक संक्रमित की चूक पूरे हिंदुस्तान के लिए परेशानी बन सकती है। इस खबर को जानकर बेचैन हो जाइए, संकल्प कर लीजिए कि अपने परिवार के लिए आप कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन करेंगे।
बहुत से लोग कह रहे हैं लॉकडाउन लागू कर दीजिए। ये भी हल नहीं है। आपको कोरोना के साथ ही जीना है और पूरी सतर्कता से। इस बात का भरोसा कर लीजिए कि 2020 का पूरा साल इस खतरे के बीच ही रहना है। ऐसे में इतने लम्बे समय तक देश को बंद रखना भी संभव नहीं। सरकार पहले दौर में अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी। अब इलाज की सुविधा अप्रैल, मार्च से बेहतर है।