• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. Astrologer And Me

ज्योतिषी और मैं...

ज्योतिषी और मैं... - Astrologer And Me
प्रातः समाचार पत्र हाथ में था। ज्योतिषियों के अनुसार आज मेरा अनिष्ट होना तय था। तभी परम मित्र मालवी जी द्वार पर अनचाहे एसएमएस की भांति प्रगट हो कर बोले - "आपकी कॉलोनी में इतने बड़े विद्वान रहते हैं इस बात का आपने हमें ईल्म भी नहीं होने दिया'। इस अनायास हुए हमले से मेरी स्थिति कमोबेश वैसी ही थी, जैसी उछाल भरे विकेटों पर हमारे बल्लेबाजों की होती है।
मैंने कहा 'आप किस विद्वान की बात कर रहे हैं साहब, ऐसी कौन सी बात छुपा ली मैंने आपसे? ' वे तल्खी वाला अपना सुर बरकरार रखते हुए बोले - 'आपको  कबसे ये बात पता है कि मुझे नौकरी के अलावा को साईड बिजनेस करना है, फिर भी आपने यह नहीं बताया कि आपकी कॉलोनी में रहने वाले टेलर साब ज्योतिष  विद्या के धनी हैं '। 
 
मैंने उन्हें समझाने की असफल चेष्टा करते हुए कहा - "आप तो समझदार हैं, अरे जस्ट कुछ किताबें पढ़कर ज्योतिषी होने का थोथा दावा है उसका, वो कोई  जानकार-वानकार नहीं है"। वे बोले-  "देश की शिक्षा मंत्री ज्योतिषियों को हाथ दिखा चुकी हैं और आपको इस विद्या पर शक है?
 
मैं समझ चूका था कि मुझे सुरक्षात्मक खेलना होगा, सो मैंने समुचित नरमी का प्रदर्शन कर कहा - 'आपको  लगता है कि उनसे सलाह लेकर ही बिजनेस शुरू  करना है, तो चलिए अभी  मिलवा  देता  हूं '। मेरी ये बात सुनकर उनका चेहरा उस अल्पमत सरकार की तरह खिल गया जिसे बिना शर्त बाहर से समर्थन मिल  गया हो।  
 
कुछ ही समय पश्चात हम टेलर साब के समक्ष बैठे हुए थे। मैंने मित्र का परिचय कराते हुए कहा-  "भाईसाब ने किसी से आपके बारे में सुना है, इनको कुछ पूछना था '। समीप की रैक में रखी ज्योतिष संबंधी एक भारी-भरकम पुस्तक को हाथ में उठाकर वे बोले -  'क्या पूछना है निःसंकोच पूछिए ? मित्र बोले-  'महंगाई इतनी है कि नौकरी की कमाई पूरी नहीं पड़ती छोटा-मोटा साईड बिजनेस शुरू करना था। 'वे बोले" कुंडली लाए हो? मित्र ने तुरंत कुंडली निकाल कर समक्ष रख दी और याचक की मुद्रा में बैठ गए।
 
कुंडली को सरसरी तौर पर देख कर वे बोले 'कुंडली चीख-चीख कर बोल रही है कि पैसा आता तो है परंतु रुकता नहीं है आपके पास।' मेरे मित्र सहमति सूचक सर  हिलाकर विजयी मुद्रा में मेरी और देखते हुए बोले - 'सत्य कहा आपने आप तो अंतर्ज्ञानी हैं कुछ उपाय बताइए? ज्योतिषी महोदय बोले - "देखिए सब बातों का योग होता है। यहां स्पष्ट लिखा है, संतान से आपके विचार मेल नहीं खाते, अधिकारी आपको योग्य नहीं समझते और जितना आप लोगों के लिए करते हैं उतना प्रतिफल आपको वापस नहीं मिलता।" मेरे मित्र इस जानकारी से अभिभूत हो उठे और बोले "सौ फीसदी सच कहा आपने, आप तो जल्दी से उपाय बताइए महाराज।"
 
वे तोते को अपने पिंजरे में फंसा देख गर्वोक्ति वाली मुद्रा अख्तियार कर बोले - "पुखराज और नीलम एक साथ धारण करना है और प्रति  मंगलवार  हनुमान जी  के मंदिर में दि‍या लगाना है। " मैंने देखा सामने की दीवार पर कम्प्यूटर से निकले कागज पर पुखराज और नीलम के चार डिजिट वाले भाव अंकित थे। 
 
अंगूठियां बनाने के मोल भाव तय होने के बाद हम घर की ओर चल दिए। मित्र के चेहरे पर संतुष्टी के भाव थे। मेरे पास शब्दों का अभाव था। मैंने उनके कंधे पर  हाथ रख पुछा "कब ओपनिंग कर रहे हो बिजनेस की। "वे बोले -"जब  महाराज महूरत निकाल देंगे तभी होगा ओपनिंग।"
ये भी पढ़ें
बाल कविता : मीठी बातें...