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Motivational Story: घटनाओं को ढोते रहने का तुक नहीं

Motivational Story: घटनाओं को ढोते रहने का तुक नहीं - Zen Story in Hindi
यह कहानी ओशो रजनीश ने अपने किसी प्रवचन में सुनाई थी। वैसे जो जेन भिक्षुओं की कई कहानियां हैं और वह बड़ी ही प्रेरक होती है। आओ इस बार पढ़ते हैं दो भिक्षुओं की कहानी।
 
 
संध्या का समय था। दो जेन भिक्षु भिक्षा के बाद अपने आश्रम लौट रहे थे। तभी आंधी तूफान के साथ जोरदार वर्षा हुई और देखते ही देखते मार्ग पर पानी भर गया। चलते-चलते ही उन दोनों भिक्षुओं ने देखा कि एक सुंदर युवती सड़क के उस पार जाने का प्रयास कर रही है परंतु पानी का बहाव इतना तेज था कि वह ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं थी।
 
दोनों भिक्षुओं में से पहला उसके पास गया और उस युवती को अपनी गोद में उठाया और दूसरी और ले जाकर खड़ा कर दिया। युवती ने उसे धन्यवाद दिया। इसके बाद वह अपने दूसरे भिक्षु के साथ आश्रम की ओर चल पड़ा।
 
आश्रम पहुंचकर ध्यान के समय दूसरा वाला भिक्षु बोला, 'भाई, भिक्षुक होने के नाते हम किसी महिला को छू नहीं सकते हैं।'
 
पहले भिक्षु ने कहा कि 'हाँ यह बात तो सही है।
 
तब दूसरे भिक्षु ने कहा, 'परंतु तुमने तो उस सुंदर युवती को अपनी गोद में उठा लिया था?
 
यह सुनकर पहला भिक्षु मुस्कुराते हुए बोला, 'मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था, छोड़ते वक्त यह नहीं सोचा कि यह सुंदर है या युवती है। पर तुम अभी भी उसे उठाए हुए हो।'
 
यह सुनकर दूसरा वाला भिक्षु शर्मिंदा हो गया।
 
शिक्षा : हमें जीवन में कभी भी किसी भी चीज को को ढोते नहीं रहना चाहिए चाहे वह बुरी घटना हो या अच्छी। वर्तमान में जिते हुए जिंदगी गुजारने से कभी भी किसी भी प्रकार की ना तो आसक्ति बनती है और ना ही दु:ख और पीड़ा होती है।