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शरीरिक रूप से कमजोर बच्चा इस तरह बन गया दुनिया का महान फुटबॉलर

शरीरिक रूप से कमजोर बच्चा इस तरह बन गया दुनिया का महान फुटबॉलर - Lionel messi life
उस बच्चे का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम नहीं था, परंतु वो सभी फुटबॉल प्रेमी थे। उसी की वजह से उनके बच्चे में भी फुटबॉल के प्रति प्रेम जागृत हुआ। वह बच्चा जब 10 साल का हुआ तो स्थानीय फुटबॉल क्लब में खेलने लगा था। उसकी लगन और जुनून को देखकर हर कोई अपने क्लब में शामिल करना चाहता था। लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी घोर निराशा में डूब गई।
 
एक दिन उसके माता-पिता ने ध्यान दिया कि उसका बच्चा अन्य बच्चों की अपेक्षा कमजोर, कम हाईट का और असमान है। उसकी सामान्य रूप से ग्रोथ नहीं हो पा रही है तो उन्होंने डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने जांच करने के बाद कहा कि इसकी शारीरिक ग्रोथ रूक गई है क्योंकि इसमें विकास हार्मोन की कमी है। यानि इसे हार्मोन डेफिशियेंसी की बीमारी है। इस विकास की प्रक्रिया को पुनः शुरू करने के लिए हर महीने ग्रोथ हार्मोन इंजेक्शन देने की आवश्यकता है। प्रति इंजेक्शन का खर्चा करीब 1000 डॉलर रहेगा। 
 
यह सुनकर माता पिता के पैरों के नीचे की जमीन हिल गई। उनके पास तो इतना पैसा नहीं था कि वे अपने बच्चे को हर माह हार्मोंस के इंजेक्शन लगा सके। हालांकि पिता स्टील फैक्ट्री में वर्कर थे और उनकी माता भी एक कामकाजी महिला थी। फिर भी उस जमाने में 1000 डॉलर बहुत भारी रकम होती थी।
 
वह बालक एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी था। खेल के प्रति उसकी लगन को देखकर हर कोई उसे अपने क्लब में शामिल करने को आतुर था, परंतु यह रोग उसकी सफलता में रोड़ा बन रहा था। एक बार उस लड़के को अर्जेंटीना के रिवर प्लेट एफसी नामक क्लब ने अपने क्लब में शामिल करने की इच्छा जाहिर की तब उसे उस बालक की सेहत संबंधी स्थिति के बारे में पता चला। तब उस लड़के की उम्र 11 साल थी। स्थानीय क्लब ने उसे अपनी टीम में चुनने का निर्णय बदल दिया और कहा कि वे किसी खिलाड़ी के इलाज के लिए इतने पैसे खर्च नहीं कर सकते हैं।
 
उस लड़के के माता पिताहतोत्साहित हो गए थे, लेकिन उस लड़के ने हार नहीं मानी वह तो अपने जुनून और लगन के चलते खेलता रहा और उसने अपना खेल कभी नहीं छोड़ा। शायद उसे विश्वास था कि एक दिन में सफल हो जाऊंगा।
 
उस लड़के के जीवन में 13 साल की उम्र में उस समय सुखद मोड़ आया जब एफसी बर्सिलोना के निर्देशक कार्लेक्स रेक्चस ने उसके खेल के प्रति जुनून और लगन को देखा। उन्होंने उस लड़के के इलाज का खर्च उठाने की मंजूरी दे दी। कहा जाता है कि कोच रेक्साच उस लड़के से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने उसको एक पेपर नैपकिन में कॉन्ट्रैक्ट लिखकर ऑफर किया, जिसमें स्पेन में इलाज के लिए भुगतान शामिल था। इसके बाद वह लड़का अपने पिता के साथ बार्सिलोना चला गया और प्रतिष्ठित एफसी बार्सिलोना युवा अकादमी का हिस्सा बन गया।
 
अटूट विश्‍वास दृढ़ संकल्प और फुटबॉल के प्रति अपने जुनून के कारण महज 16 साल की उम्र में वह लड़का पहली बार बार्सेलोना की तरफ से आधिकारिक तौर पर मैदान में उतरा और इस मैच में बार्सिलोना की जीत हुई।
 
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह लड़का लियोनेल मेसी है। जिनका जन्म  24 जून 1987 को हुआ था और जिनके पिता का नाम जॉर्ज मेसी है और माता का नाम सेलिना जो पार्टटाइम काम करती थीं। मेसी जीवन की सभी तरह की बाधाओं को पार करके दुनिया का सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी बन गया।
 
लियोनेल मेसी अर्जेंटीना के प्रसिद्ध फुटबॉलर हैं। ये अर्जेटीना की राष्ट्रीय टीम और एफसी बार्सिलोना के लिए मैदान में उतरते हैं। इन्होंने 5 बार गोल्डन शू जीतकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। साथ ही इन्होंने 4 बार फीफा वर्ल्ड प्लेयर ऑफ दी ईयर का खिताब भी जीता। इन्होंने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए और तोड़े भी।
 
इससे यह सीख मिलती है कि चुनौतियां या परिस्थितियां कैसी भी हो लेकिन यदि आपमें जुनून और विश्‍वास है तो आपको कोई नहीं रोक सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेसी आज अरबपति है। खास बात यह है कि वे अपने सपने को साकार करने में कामयाब हो गए, क्योंकि उन्होंने अपनी कमियों के बजाया खूबियों पर ध्यान दिया। बुरा वक्त तो सभी पर आता है परंतु कौन इसे किस तरह लेता है फर्क इससे ही पड़ता है।