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बच्चे की माँ
सलासी-तीन मिसरों की छोटी-छोटी नज़्में उस माँ की नज़्र जिसकी मोहब्बत का ज़िक्र क्या... (समर्पित) धुंधला सा अक्स भी न हुआ देखना नसीब... (छवि) 1.
एक मेहमान आने वाला है इस क़दर खुश है उसकी माँ घर में जैसे भगवान आने वाला है 2.
क्या ये आँखों को खोलता भी है तुमने पूछा था पहले दिन मुझ से अब ये तुतला के बोलता भी है 3.
कितना सुन्दर है, कितना प्यारा है माँ के हाथों में खेलता बच्चा चाँद के पास जैसे तारा है 4.
अपने चहरे को ढांकता बच्चा उफ़ वो कितना हसीन लगता है माँ के आँचल से झाँकता बच्चा5.
माँ की आँखों की रोशनी तू है जब से तू खेलता है बगिया में भीनी-भीनी सी फैली ख़ुशबू तू है6.
अपने बेटे का वो जोड़ा बनकर खेलती माँ है साथ में उसके कभी बन्दर, कभी घोड़ा बनकर 7.
ज़िन्दगी भर का मेरा साथी है सिर्फ़ बेटा नहीं है तू मेरा तू बुढ़ापे की मेरे लाठी है 8.
मुश्किलें माँ की कम नहीं होंगी तू हँसेगा नहीं तो दुनिया में उलझनें माँ की कम नहीं होंगी9.
माँ के जीवन को ये संवारेगा नाव हो जाएगी पुरानी जब पार बेटा ही तो उतारेगा 10.
अब संभलना बहुत ज़रूरी है माँ की उंगली पकड़ के चल बेटे तेरा चलना बहुत ज़रूरी है 11.
ग़म को इस तरहा झेलती है माँ जब ये हद से ज़्यादा बढ़ जाए साथ बच्चे के खेलती है माँ