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लाइफ स्टाइल
उर्दू साहित्य
इसलिए रूठ रहे हैं कि
सोमवार,जनवरी 4, 2010
दिलों में फासले लब पर मगर आदाब
मुझको हँसते हुए इस दुनिया से रुखसत कीजे
मैं उसकी चाहतों को नाम कोई
किसी की याद को दिल में बसाना ठीक है
मैं ज़िंदगी तुझे कब तक बचा के रक्खूँगा
सोमवार,जनवरी 4, 2010
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
सोमवार,जनवरी 4, 2010
किनारे वाले सफ़ीना मेरा डुबो देते
सोमवार,जनवरी 4, 2010
ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है
सोमवार,जनवरी 4, 2010
9
इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
सोमवार,जनवरी 4, 2010
ग़ालिब बुरा न मान जो ज़ाहिद बुरा कहे
सोमवार,जनवरी 4, 2010
उसको कुछ याद दिलायें, तो दिलायें कैसे
सोमवार,जनवरी 4, 2010
मेरा दिल निकाल लेना
सोमवार,जनवरी 4, 2010
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है
सोमवार,जनवरी 4, 2010
ना सुनो, गर बुरा कहे कोई
सोमवार,जनवरी 4, 2010
जाने क्या एहसास-सा इस दिल के
सोमवार,जनवरी 4, 2010
अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं,
सोमवार,जनवरी 4, 2010
17
आग़ाजे़-आशिक़ी का मज़ा आप जानिये
सोमवार,जनवरी 4, 2010
बग़ैर तुम्हारे नहीं गुज़रती है
शनिवार,जनवरी 2, 2010
जितने लिखे थे गीत, वो अश्कों में ढल गए
शनिवार,जनवरी 2, 2010
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