मकर संक्रांति मनाने के 5 पौराणिक कारण
मकर संक्रांति हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से है। इस पर्व के बारे में पुराणों में भी वर्णन मिलता है। जानिए, 5 प्रमुख कारण जो हमें पुराणों में मिलते हैं।
1. इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव जो मकर राशि का स्वामी है के घर मिलने जाते है। ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं है, लेकिन सूर्य खद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता पुत्र के संबंध में निकटता के रूप में मनाया जाता है।
2. इसी दिन भगवान विष्णु ने मधु कैटभ से युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने मधु के कंधों पर मंदार पर्वत रख कर उसे दबा दिया था। इसलिए भगवन विष्णु इस दिन से मधुसुदन कहलाए।
3. गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा के शांति के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद ही गंगा समुद्र में जा मिली थी। इसलिए गंगा सागर में मेला लगता है।
4. दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए इसी दिन धरती में कदम रखा था।
5. पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायन होने पर स्वेच्छा से शरीर त्याग किया था। क्योंकि उत्तरायन में शरीर त्यागने वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलता है या देवलोक में रहकर आत्मा पुनः गर्भ में लौटती है।