॥ भगवान महावीर ने कहा है ॥
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डॉ. विनोदबाला जैन 'वीनू'दुनिया एक झमेला है, आने-जाने का एक मेला हैअनन्त बार जन्म लिए अनन्त बार मरण किए।न पापी सच्चे सुख की बेला है, दुनिया एक झमेला है॥1॥पूर्व में वर्धमान महावीर ने भी, जन्म लिए मरण किए।चौरासी लाख के चक्कर में भटक गए।भटक-भटककर निरंतर अटक गए।क्योंकि आत्मानुभूति के बिना काललब्धि मिली ना।अभिमान में आकर जगत में गोते खा-खाकर।त्रिभुवन में लटक गए॥2॥सिंह की पर्याय में आकर, काललब्धि पाकर।अमित गति मुनिवर का संयोग पाकर।आकाश मार्ग से विमान अटक कर।देशना लब्धि पाकर अंततः स्वयं संबोधन पाकर।अरे केहरि-जीव! अब तो सुलझ, अपना आत्महित कर।जागी अंतर बेला सिंह की पर्याय में।मिली आत्म जागृति जीवन की उलझन से।सुलझने की पावन बेला है,दुनिया एक झमेला है॥3॥आवागमन की क्रिया से रहित दसवें भव में।सिंह से महावीर वीर वन सुलझ गए।जगत के प्रपंच से मुक्त हो गए।सत्य-अहिंसा-ब्रह्मचर्य और अपरिगृह का दान जगत को दे गए॥4॥पर हम मानव होकर दानव हो गए। ज्यों के त्यों रह गए।हिंसा-झूठ-चोरी-कुशील-परिग्रह के फंदे में धँस गए।और हम अपनी आत्मा को पतन की ओर ले गए॥5॥भैया अब तो चेतो, महावीर के पथ की सोचो।जीवन महावीर के, अनुशीलन से सींचो।दुनिया एक झमेला है- आने-जाने का मेला है।महावीर ने कहा- दुनिया एक झमेला है॥6॥