FBI की टीम इंदौर में क्या जांच कर रही है? क्या है 100 करोड़ की ठगी का मामला?
इंदौर। डेढ़ वर्ष पूर्व क्राइम ब्रांच ने जिस फर्जी कॉल सेंटर को पकड़ा, उसकी जांच करते हुए अमेरिका की एफबीआई की टीम इंदौर पहुंच गई। अमेरिका की सबसे तेजतर्रार जांच एजेंसी एफबीआई ठग के विरुद्ध सबूत और उन अमेरिकी नागरिकों के कथन भी लेकर आई है जिनके साथ ठगी की गई है। पीड़ित अमेरिकी नागरिकों की जांच पूरी होने के बाद ऑनलाइन गवाही भी करवाई जाएगी। पुलिस के अनुसार मामला कुल 100 करोड़ की ठगी का है।
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने नवंबर 2020 में लसूड़िया क्षेत्र से फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर पर छापा मारा था जिसके कर्मचारी खुद को सोशल सिक्योरिटी कार्ड डिपार्टमेंट का अफसर बताकर अमेरिकी नागरिकों से रुपए वसूलते थे। जब आरोपियों के लेपटॉप व कम्प्यूटर की पुलिस द्वारा जांच की गई तो 10 लाख से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों का डेटा मिला। ठग ने खुद कबूला कि गिरोह के सदस्य रोजाना 15 हजार डॉलर तक की ठगी कर लेते थे। पुलिस के अनुसार मामला कुल 100 करोड़ की ठगी का है।
सीपी के मुताबिक क्राइम ब्रांच ने पुलिस मुख्यालय (सीआईडी) के माध्यम से अमेरिकी दूतावास को रिपोर्ट भेजी और बताया कि अमेरिकी नागरिक ठगी का शिकार हो रहे हैं तब एफबीआई सकते में आ गई और क्राइम ब्रांच अफसरों से संपर्क कर केस की जानकारी मांगी। एफबीआई यह देखकर चौंक गई कि भारतीय ठग अमेरिकी उच्चारण (एक्सेंट) कर लेते हैं और इंटरनेशनल कॉलिंग के माध्यम से ठगी कर रहे हैं। ठग उनके नागरिकों को देशविरोधी गतिविधियों, ड्रग ट्रैफिकिंग जैसे मामलों में लिप्त होने की धमकी देकर रुपए मांगते थे।
फर्जी कॉल सेंटर का सरगना गुजरात का करण भट्ट है, जो अभी तक फरार चल रहा है जबकि एक कर्मचारी की कोरोना के दौरान मौत हो चुकी है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया लेकिन पर्याप्त सबूत और फरियादी न होने के कारण जमानत हो गई थी। एफबीआई अब उन लोगों के बयान लेकर आई है जिनसे आरोपियों ने रुपए वसूले हैं। उनके बैंक स्टेटमेंट और अन्य सबूत भी एफबीआई क्राइम ब्रांच को सौंपेगी जिन्हें कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। ट्रॉयल के दौरान अमेरिकी गवाहों की ऑनलाइन गवाही भी करवाई जाएगी।