मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. Shrinking yellow gold cultivation in MP
Written By
Last Updated : बुधवार, 7 सितम्बर 2022 (19:10 IST)

मध्यप्रदेश में सिकुड़ी पीले सोने की खेती, किसान नेताओं का घटिया बीज की बिक्री का आरोप

मध्यप्रदेश में सिकुड़ी पीले सोने की खेती, किसान नेताओं का घटिया बीज की बिक्री का आरोप - Shrinking yellow gold cultivation in MP
इंदौर। देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान इस प्रमुख तिलहन फसल के रकबे में करीब 5 लाख हैक्टेयर की कमी दर्ज की गई है। नवीनतम सरकारी आंकड़े बताते हैं कि राज्य में इस तिलहन फसल की बुवाई घटकर 50.18 लाख हैक्टेयर पर सिमट गई है।
 
आंकड़ों के मुताबिक 2021 के खरीफ सत्र के दौरान राज्य में 55.14 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था। गौरतलब है कि राज्य में देश का आधे से ज्यादा सोयाबीन पैदा होता है। किसान नेताओं के मुताबिक राज्य में सोयाबीन का रकबा घटने के प्रमुख कारणों में ऊंचे दामों पर कथित रूप से घटिया बीज की बिक्री और भारी बारिश के बाद खेतों में जल जमाव से सोयाबीन की फसल बिगड़ने का खतरा शामिल है।
 
राज्य के कृषक संगठन किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने बुधवार को बताया कि इस बार भी बाजार में सोयाबीन का बीज महंगे दामों में बिका। इससे सोयाबीन को लेकर किसानों के रुझान में कमी आई और उन्होंने अन्य फसलें बोना मुनासिब समझा। मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान सूबे के अधिकांश इलाकों में भारी वर्षा हुई और इस कारण कई किसानों ने कोई जोखिम न लेते हुए सोयाबीन के बजाय धान की बुवाई की।
 
उन्होंने कहा कि अगर भारी बारिश के कारण खेत में जलजमाव होता है तो सोयाबीन की फसल खराब होने का खतरा होता है। प्रमुख नकदी फसल होने के चलते सूबे के किसानों में सोयाबीन पीले सोने के नाम से मशहूर है, लेकिन इस फसल को लेकर उनका जोखिम साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है।
 
भारतीय किसान एवं मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने दावा किया कि राज्य में ऊंचे दामों पर घटिया बीज बिकने के चलते सोयाबीन की पैदावार घट रही है जिससे किसानों का इस तिलहन फसल से मोहभंग हो रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार को राज्य में बीज माफिया पर लगाम लगानी चाहिए। कृषि विभाग के संयुक्त संचालक आलोक कुमार मीणा ने दावा किया कि अगर विभाग को किसानों की ओर से घटिया बीजों की शिकायतें मिलती है तो इन पर तत्काल कार्रवाई की जाती है।
 
इस बीच इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने भी माना कि राज्य में सोयाबीन के परंपरागत रकबे का एक हिस्सा धान और दलहनी फसलों की ओर मुड़ गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में कुपोषण दूर करने और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सोयाबीन की खेती को बढ़ावा दिया जाना बेहद जरूरी है।
 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पिछले साल के 3,950 रुपए से बढ़ाकर 4,300 रुपए प्रति क्विंटल किया है।(भाषा)
ये भी पढ़ें
दिल्ली में 1 जनवरी तक सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध