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एक दिन की बारिश में फटे पोस्टर से निकली स्मार्ट सिटी की हकीकत

एक दिन की बारिश में फटे पोस्टर से निकली स्मार्ट सिटी की हकीकत - reality of smart city was revealed in one day rain
  • 30 मिनट की दूरी में तय करने में लगा एक घंटा
  • कहीं नज़र नहीं आई नगर निगम की आपदा टीम
  • कई जगह जाम और जल भराव से आम लोग परेशान
Heavy rain in Indore: करोड़ों की इन्फ्रास्ट्रक्चर की योजनाएं और स्मार्ट सिटी बनाने की यह कवायद महज एक भ्रम या एक ख्वाब ही नजर आ रहा है। क्योंकि शुक्रवार को हुई भारी बारिश ने शहर में कई तरह के लूप होल को उजागर कर दिया है। तकरीबन पूरे शहर में हुई बारिश में कई जगह जल भराव और सड़कें पानी से लबालब मिलीं। इस बारिश ने यह पोल खोल दी है की शहर में जल निकासी की कहीं कोई व्यवस्था नहीं है। सड़कों से लेकर फुटपाथ तक डूब गए।
 
स्थिति यह थी की 15 मिनट की दूरी 40 से 45 मिनट और 30 मिनट की दूरी तय करने में एक घंटा लगा। केशर बाग रोड से विजय नगर पहुंचने में वाहन चालकों को एक घंटे का समय लगा। विजय नगर चौराहे पर लंबा जाम लग गया, जिससे निकलने में लोगों को कई घंटे लग गए। तीन इमली, परदेशीपुरा, पाटनीपुरा और कई अन्य स्थानों पर भी जाम की स्थिति रही। 
 
दिल्ली की घटना से सबक नहीं : कई जगह वाहन चालक जाम और जल भराव की वजह से परेशान हुए। लेकिन कहीं कोई नगर निगम की टीम नजर नहीं आई। न ही आपदा जैसी स्थिति से बचने के लिए कोई टीम या निगम के कर्मचारी नजर आए। कई जगह लबालब भरे पानी में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर निकले। कुछ जगहों पर चेंबर खुले थे, जिनसे बचने के लिए आम लोग राहगीरों को सतर्क कर रहे थे। राजधानी दिल्ली में मुख्य सड़क पर बारिश के पानी में डूबने से से एक 15 साल के लड़के की दर्दनाक मौत हो गई, लेकिन इंदौर निगम प्रशासन ने इस घटना से कोई सबक लेकर व्यवस्था नहीं की। 
 
एक दिन की बारिश में स्थिति यह थी की करीबन पूरा शहर पानी में लबालब हो गया। पंढरीनाथ पर जलजमाव, परदेशीपुरा पानी में लबालब। मालवा मिल और एलआईजी के आसपास के निचले इलाकों में भी पानी भर गया। यहां तक की 78 और 74 इलाके के साथ नक्षत्र, ब्रिलियंट कन्वेंशन के आसपास के कई इलाकों में घुटनों तक पानी जमा हो गया। वहीं, सयाजी होटल और विजय नगर के आसपास कई इलाके तालाब की तरह नजर आने लगे।
 
बदहाल सड़कें और खुले चेंबर : जिस शहर को स्मार्ट बनाने के ख्वाब देखे जा रहे हैं, उस शहर की सड़कें इतनी बदहाल हो चुकी हैं कि वाहन चालक अपनी रिस्क पर ही इनसे गुजर रहे हैं। इन सड़कों पर आम दिनों में ही चलना हादसों को बुलावा देना होता है तो ऐसे में जब पानी में डूबी सड़कों पर चलने पर तो सोचिए क्या आलम होगा? जगह जगह फटी हुई सड़कें। खुले और बदहाल चेंबर्स। गड्डे और औपचारिकता में किए गए पेचवर्क भी दुर्घटनाओं को ही बुलावा दे रहे हैं। शुक्रवार की बारिश में ऑफिस से आने वाले लोगों के साथ ही कई आम लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए। कुछ जाम में फंसे रहे तो हजारों लोग रास्ते बदलकर अपने घर पहुंचे।
 
बारिश शुरू बत्ती गुल : शुक्रवार की यह बारिश सुबह से ही जारी है। इस दौरान इंदौर के कई इलाकों में बत्ती गुल हो गई। 78 से लेकर, सुखलिया, प्राइम सिटी, स्कीम नंबर 54, विजय नगर, मालवीय नगर, मेघदूत नगर जैसे तमाम इलाकों में बत्ती गुल रही। स्ट्रीट लाइट भी कई जगह बंद मिलीं। 
 
कुल मिलाकर शुक्रवार की बारिश ने यह साफ कर दिया की इंदौर जिला प्रशासन और नगर निगम के पास कोई व्यव्यस्था नहीं है। ट्रैफिक को लेकर कोई इंजीनियरिंग नहीं है, आज भी आए दिन जाम लगते हैं, बारिश में हालात बेकाबू हो जाते हैं, जैसे आज हुए। अगर स्थिति इससे ज्यादा भयावह होती है तो निगम के पास हाथ पर हाथ धरकर देखने के अलावा कोई चारा नहीं नजर आता है। सबसे स्वच्छ शहर का दम भरने वाला इंदौर सड़कों के ट्रैफिक को मैनेज करने में पूरी तरह से फेल है। न जल जमाव से निपटान के तरीके हैं न ही पानी की निकासी की कोई तरकीब। पेचवर्क और सड़कों की रिपेयरिंग महज एक दिखावा है। स्मार्ट सिटी का ख्वाब और इसके लिए नजर आने वाली ये कवायद सिर्फ एक भ्रम है।
 
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