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Written By Author मुस्तफा हुसैन
Last Updated : शनिवार, 16 फ़रवरी 2019 (12:58 IST)

ओले और पाले ने मालवा के किसानों की कमर तोड़ी, फसल बर्बाद

ओले और पाले ने मालवा के किसानों की कमर तोड़ी, फसल बर्बाद - rain in Malwa damages crops
मालवा के नीमच, मंदसौर और रतलाम जिलों में हुई बारिश, ओलावृष्टि और पाला गिराने की घटना से अफीम, गेहूं, धनिए और चने की फसल में नुकसान की खबरें हैं, जिसको लेकर तीनों जिलों का प्रशासन गेहूं, चने और धनिए में फसल नुकसानी का आकलन करवा रहा है, जबकि अफीम में नुकसानी के आकलन का कोई प्रावधान नहीं है।
 
ऐसे में जिस किसान को लगता है वह सरकार द्वारा तय औसत नहीं दे पाएगा तो उसे अपनी फसल हकवाने का आवेदन सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो को देना होगा 
 
मालवा में 13 और 14 फरवरी की दरमियानी रात्रि को ओलावृष्टि हुई और उसके बाद पाला गिरा। मालवा में इस समय अफीम, गेहूं, चना और धनिए की फसल अपने पूरे शबाब पर है। इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों की कमर तोड़ दी।
 
नीमच जिले के रेवली देवली निवासी अफीम किसान मोहन नागदा कहते हैं कि ओले गिराने से डोडे फट गए, उनमें से दूध बाहर निकल गया, ऐसे में अब जब हम चीरा लगाएंगे तो अफीम की पैदावार उतनी नहीं होगी। नागदा कहते हैं कि अफीम में करीब 20 प्रतिशत तक नुकसान का अनुमान है।
 
मंदसौर जिले के गरोठ के किसान गोपाल का कहना था कि हमारे यहां अफीम में 40 प्रतिशत तक नुकसान होने की संभावना है। अब हमारे पास चारा क्या है यदि फसल हंकवाएंगे (नष्ट करवाना) तो किसान को भारी नुकसान होगा और यदि औसत काम बैठी तो अगले साल पट्टा नहीं मिलेगा 
 
सबसे ख़ास बात यह है की अफीम में प्राकृतिक आपदा से नुकसानी का आकलन का प्रावधान नहीं है। जब हमने सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो के उपायुक्त प्रमोदसिंह से बात की तो उनका कहना था हमने फसल हंकवाने के आवेदन की तारीख 5 मार्च दी है, यदि कोई किसान नुकसानी के कारण फसल हंकवाना चाहे तो हमें आवेदन दे सकता है।
 
गौरतलब है की इस बार मध्यप्रदेश में 34 हज़ार 521 किसानों को अफीम के पट्टे मिले हैं और कुल 3425 हेक्टेयर में अफीम बोई गई है अब यह 5 मार्च के बाद ही पता चल पाएगा कि कितने किसान अपनी फसल हंकवाने का आवेदन देते हैं। उधर गेहूं, चना और धनिए में फसल नुकसानी का आकलन जिला प्रशासन ने शुरू कर दिया है।
 
नीमच कलेक्टर राजीव रंजन मीणा ने बताया की विस्तृत सर्वे के निर्देश दे दिए हैं। राजस्व विभाग की टीम सर्वे कार्य में लग चुकी है। नुकसानी के प्रतिशत के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। नीमच जिले में इस बार 49 हज़ार हेक्टेयर में गेहूं की फसल और 42 हज़ार हेक्टेयर में चने की बुवाई की गई है। 
 
इस मामले में जब हमने गांव जाकर किसानों से बात की तो पता चला कि किसान इस प्राकृतिक आपदा से मायूस है। ओला वृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है।
 
हमने नीमच जिले की रामपुरा तहसील के किसान हेमंत धनगर से बात की तो उनका कहना था गेहूं में 70 प्रतिशत तक नुकसानी हुई है। धनिया किसान पप्पू गुर्जर से बात की तो उनका कहना था करीब 40 प्रतिशत तक नुकसान धनिए में हुआ है। रेवली देवली के चना किसान नागेश नागदा का कहना था कि सर्वाधिक नुकसान चने में हुआ है, जो करीब 70  प्रतिशत अनुमानित है।
 
किसान नागदा ने कहा की सरकार का मुवाअजा किसान के लिए ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है। पहले ही हम मंदी की मार झेल रहे हैं उसके ऊपर इस नुकसानी ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा है।
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