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Last Modified: गुरुवार, 4 दिसंबर 2025 (14:42 IST)

अब भोपाल में लें सकेंगे डल झील की तर्ज पर सैर का आनंद, शिकारे कराएंगे लहरों से आपकी दोस्ती

सीएम डॉ. मोहन यादव ने बोट क्लब पर किया 20 शिकारों का लोकार्पण

Bhopal Lake Shikara
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल आने वाले टूरिस्ट अब कश्मीर की डल झील जैसा आनंद उठाएंगे। वे भोपाल के बोट क्लब पर बड़ी देर तक लहरों अटखेलियों में खो जाएंगे। उन्हें नजदीक से देख और छू सकेंगे। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 4 दिसंबर को शिकारा सेवा का लोकार्पण किया। इसके तहत 20 शिकारे बड़े तालाब में उतारे गए। इससे अब स्थानीय और बाहरी टूरिस्टों को प्रीमियम बोटिंग का अनुभव होगा। साथ ही, यह नई पहल राजधानी भोपाल को वॉटर-टूरिज्म हब के रूप में स्थापित करेगी।

इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज हमने कश्मीर की डल झील की तरह भोपाल झील में शिकारे का उद्घाटन किया है। कश्मीर में शिकारा पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। देश का केंद्र बिंदु होने की वजह से पर्यटकों का मध्यप्रदेश के प्रति आकर्षण रहता है। प्रदेश में वन्यजीवों की बड़ी संख्या है। पिछले साल देश में सबसे ज्यादा पर्यटन मध्यप्रदेश में हुआ। हमारा पर्यटन सभी क्षेत्रों में बढ़ रहा है। उज्जैन में पिछले साल 7 करोड़ से अधिक पर्यटक आए। उन्होंने कहा कि वन्य संपदा-धार्मिक व्यवस्था-देवस्थान के साथ-साथ अब वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी के माध्यम से वॉटर टूरिज्म भी बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में नर्मदा वैली सहित कई बड़ी जल परियोजनाएं बन रही हैं। ये भी पर्यटन का केंद्र बन सकती हैं। हमारी मंशा है कि इनके माध्यम से लोगों को रोजगार मिले। इसलिए ये मौका अद्भुत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश और मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है। गौरतलब है कि इन शिकारों का संचालन प्रदेश में पहली बार बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। इससे भोपाल की अपर लेक नेशनल टूरिज्म के नक्शे पर और अधिक प्रमुखता से उभरेगा।

पर्यटन विकास से स्थानीय स्तर पर बढ़ेंगे रोजगार के अवसर-इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि राजधानी की इतनी बड़ी झील में शिकारा सेवा की शुरुआत बहुत आकर्षक है। इससे पर्यटन के अवसर बढ़ेंगे, पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी तो स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। शिकारा सेवा के शुभारंभ कार्यक्रम में हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि भोपाल हम सभी के दिल के करीब है, यह शहर देशभर में अलग ही दर्जा हासिल किए हुए है। बड़े तालाब में शिकारे चलते देखने का दृश्य अविस्मरणीय है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव सहित अन्य अथितियों ने टेलीस्कोप से सूर्य के दर्शन किए। यह टेलीस्कोप बोट क्लब पर आंचलिक विज्ञान केंद्र भोपाल की ओर से लगाया गया है।

पर्यावरण के अनुकूल शिकारे-बता दें, यह शिकारे कश्मीर की डल लेक की तर्ज पर इसलिए बनाए गए हैं, ताकि भोपाल में वॉटर-टूरिज्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके। शिकारों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है। इसमें प्रदूषण रहित सामग्री फाइबर रिइनफोर्स्ड पॉलीयूरिथेन (FRP) का इस्तेमाल किया गया है। यह सामग्री पूरी तरह नॉन-रिएक्टिव है। इससे न जुल प्रदूषित होता है, न ही तालाब के जैव-वातावरण को कोई नुकसान पहुंचता है। अत्याधुनिक तकनीक से बने इन शिकारों को वॉटर टूरिज्म के लिए अधिक सुरक्षित, टिकाऊ तथा आकर्षक बनाया गया है।
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