भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ, बोले CM डॉ. मोहन यादव वन, वनोपज और वन्य-प्राणी प्रदेश की पहचान
'भोपाल। आज राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में 10वें अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के शुभारंभ राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मध्यप्रदेश वन संपदा की दृष्टि से समृद्ध राज्य है। यहां पर औषधीय जड़ी-बूटियों का समृद्ध भंडार है। कोविड महामारी ने विश्व को आयुर्वेद के महत्व से पुन: परिचित कराया है। उन्होंने महामारी के दौरान मरीजों के ईलाज के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा वितरण कार्य के लिए प्रदेश सरकार की सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि वन मेले का आयोजन, वन संसाधनों की महत्ता, उनके संरक्षण और संवर्धन की जागरूकता प्रसार की दिशा में सुखद संकेत है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का अपना महत्व है, लेकिन वनों से प्राप्त औषधियों की विशेष उपयोगिता है। कोरोना के कठिन समय में आयुर्वेद ने लोगों के जीवन बचाने में मदद की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया है। अब चिकित्सा जगत में फिर से आयुष का महत्व बढ़ा है। वन मेले जैसे आयोजन इस नाते बहुत महत्व रखते हैं। वास्तव में यह अंतर्राष्ट्रीय वन मेला अनोखा है। इस मेले की शुरूआत 2001 से हुई और धीरे-धीरे यह प्रदेश से आगे बढ़कर देश तक और फिर वैश्विक हो गया। मेले ने अपनी अलग पहचान बनाई है। आम तौर पर वन और वन-सम्पदा से मेलों का इतना विस्तार होना हम सब के लिए गौरव की बात है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हमारे प्रदेश की वन सम्पदा विशिष्ट है। हम तो सौभाग्यशाली हैं कि हमारे यहां वन सम्पदा, वनों का आंतरिक वातावरण भी विशेष है और प्रदेश के वनों की अलग पहचान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य प्राणी हमारे जंगल के आभूषण होते हैं, जिनके कारण जंगल की शोभा होती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश चीतों को पुनर्स्थापित करने में सफलता प्राप्त हुई है। वन्य जीव परम्परा में सभी प्रकार के टाइगर, तेंदुआ, चीता का महत्व है। टाइगर में हम देश में नम्बर वन पर है। वास्तव में पुनर्स्थापना में मध्यप्रदेश की भूमि का चयन होना हमारे लिये गर्व की बात है। जो चीते सम्पर्णू एशिया से ही गायब हो गए थे। इसके लिए वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी बधाई के पात्र हैं। वन विभाग ने यह अनोखा प्रयोग किया है। इस प्रयोग के अच्छे परिणाम उनके लिये आ रहे हैं। धीरे-धीरे हमारे यहाँ नए-नए मेहमान आ रहे हैं। ऐसा लग रहा है वे कि मध्यप्रदेश का वातावरण अनुकूल हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के वनवासी भी वनों की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 11 दिसम्बर से प्रारंभ हुए जनकल्याण पर्व की गतिविधियां 26 दिसम्बर तक चलेंगी। प्रतिदिन प्रदेशवासियों को एक नई सौगात दी जा रही है। हाल ही में राजधानी के निकट लोकार्पित अभ्यारण का नाम पुरातत्वशास्त्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नागरिकों से आहवान किया कि वे वन मेले में प्रदर्शित औषधियों को खरीदें और लाभ प्राप्त करें। उन्होंने वन विभाग को श्रेष्ठ आयोजन के लिए बधाई दी।
कार्यक्रम को वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने संबोधित करते हुए कहा कि यह मेला दिव्यता और भव्यता का प्रतीक है। राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय तीन हजार रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया है। विभाग में अनुकंपा नियुक्ति, दुर्घटना पर राहत राशि के महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।