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सतना अपहरण कांड, लापरवाह पुलिस अफसरों पर होगी बड़ी कार्रवाई, जांच पर भी उठे सवाल

सतना अपहरण कांड, लापरवाह पुलिस अफसरों पर होगी बड़ी कार्रवाई, जांच पर भी उठे सवाल - Case of Murder of children in Satna
भोपाल। सतना में मासूम भाइयों के अपहरण और हत्या मामले में मुख्य आरोपी पदमकांत शुक्ला बारह दिनों तक मध्यप्रदेश की हाईटेक पुलिस को इधर से उधर घुमाता रहा और पुलिस खाक छानती रही। पूरे मामले को लेकर अब सतना पुलिस सवालों के घेरे में है।
 
ऐसे में कई सवाल ऐसे खड़े हो रहे हैं, जिनका जवाब न तो पुलिस के पास है और सरकार के जिम्मेदार अफसरों के पास। ऐसे में अब सूत्र बताते हैं कि पूरे मामले में लापरवाह अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होने जा रही है।
 
पुलिस को चकमा देने में सफल हुए अपहरणकर्ता : बारह फरवरी को स्कूल बस से दोनों मासूमों के अपहरण के बाद अपहरणकर्ताओं ने पुलिस को हर बार चकमा दिया। उन्होंने पहले दो दिन तक दोनों मासूमों को चित्रकूट में रखा। उसके बाद यूपी ले जाने के बाद पुलिस के उस बयान पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है जिसमें अपहरण के बाद जिले की सीमा सील करने और आरोपियों की तलाश में सघन चैकिंग अभियान चलाने का दावा पुलिस ने किया था।


आरोपियों तक पहुंची फिरौती की रकम : सतना के चित्रकूट से स्कूली बच्चों के अपहरण के बाद पुलिस ने खुद माना है कि अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की रकम मिलने के बाद दोनों बच्चों की हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि खुद के पहचाने जाने के डर से आरोपियों ने मासूमों को मार डाला। 
 
पुलिस के इस बयान के बाद सतना पुलिस सवालों के घेरे में है। पहला सवाल- क्या पुलिस को अपहरणकर्ताओं तक फिरौती की रकम पहुंचने का पता था? अगर पुलिस को पूरी जानकारी थी तो पुलिस क्या मूकदर्शक बनी बैठी रही। अपहरणकर्ताओं तक पुलिस क्यों नहीं पहुंच पाई और अगर जानकारी नहीं थी तो पुलिस कैसे मामले की जांच कर रही थी।

खुद की सोशल मीडिया पर अपील : अपहरण और हत्या के मुख्य आरोपी पदमकांत शुक्ला ने पुलिस को बरगालने के लिए खुद सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट से लोगों से अपील कर श्रेयांश और प्रियांश की गुमशुदगी की सूचना देने को कहा। इसके साथ सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखने की बात कही। पुलिस आरोपियों के बीच तार को खुद जोड़ने में क्यों नहीं समय रहते सफल हो पाई?

मोबाइल लोकेशन ट्रेस करने में क्यों असफल रही पुलिस : अपहरणकर्ताओं ने पुलिस को झांसा देने के लिए खुद के मोबाइल की जगह राहगीरों के मोबाइल का इस्तेमाल कर परिजनों से फिरौती की रकम मांगी। अपहरणकर्ताओं के परिजनों से संपर्क करने के बाद पुलिस कॉल को ट्रेस और आरोपियों तक पहुंचने में क्यों सफल नहीं हुई।