बड़ी खबर, मध्यप्रदेश में उपचुनाव से पहले सिंधिया समर्थक 2 मंत्रियों का इस्तीफा
भोपाल। मध्यप्रदेश के जल संसाधन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री तुलसीराम सिलावट और परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत के मंत्री पद से त्यागपत्र आज स्वीकार कर लिए गए।
दोनों मंत्री वर्तमान में विधायक नहीं हैं और इस लिहाज से वे अधिक छह माह तक ही मंत्री रह सकते थे, जिसकी अवधि पूरी हो गई। इस बीच दोनों मंत्रियों ने अपने त्यागपत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिए। चौहान ने त्यागपत्र स्वीकार करने की सिफारिश के साथ राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के समक्ष भेज दिए और उन्होंने त्यागपत्र स्वीकार कर लिए।
वरिष्ठ भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक सिलावट और राजपूत 21 अप्रैल को मंत्री बने थे।
सिलावट वर्तमान में इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू से है। सिलावट वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सांवेर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसके बाद वे तत्कालीन कमलनाथ सरकार में मंत्री बने थे।
इस वर्ष के राजनीतिक घटनाक्रमों के चलते सिलावट ने मार्च माह में विधायक पद से त्यागपत्र देकर सिंधिया के नक्शेकदम पर चलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था।
इसी तरह राजपूत सागर जिले के सुरखी विधानसभा सीट से उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं। उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस की पारूल साहू से है। राजपूत वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सुरखी से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए थे।
इसके बाद वे भी तत्कालीन कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे थे। मार्च माह में ही राजपूत ने भी विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान 3 नवंबर को और मतगणना 10 नवंबर को होगी।
मंत्रियों के मामले में सरकार को नोटिस : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के गैरविधायक मंत्रियों के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायाधीश राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने छिंदवाड़ा निवासी एक महिला अधिवक्ता की ओर से लगभग एक पखवाड़े पहले दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ता ने अदालत को याचिका के माध्यम से बताया कि मौजूदा सरकार में 14 गैरविधायक व्यक्तियों को मंत्री बनाया गया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं। इसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 164 (4) का उपयोग अपवाद स्वरूप विरले मामलों में ही किया जा सकता है।