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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 (11:36 IST)

इंदौर का राजवाड़ा, जानिए इस क्षेत्र के आसपास के 6 दर्शनीय स्थल

Rajwada
- ईशु शर्मा
 
इंदौर शहर में करीब 200 साल पुराना राजशाही महल राजवाड़ा पर्यटकों के लिए एक बेहतरीन आकर्षक स्थल है। इस महल का वास्तुकला फ्रेंच, मराठा और मुग़ल शैली का मिश्रण इसको सबसे ख़ास बनता है। होल्कर राजाओं द्वारा बनाए गए इस बेहतरीन महल राजवाड़ा का अर्थ है राजे- रजवाड़े का क्षेत्र। यह सात मंज़िल इमारत इंदौर शहर के बीचों-बीच मौजूद है। रजवाड़े के आस-पास कई ऐसे क्षेत्र है जिन्हे देखें और जाने बिना आप कभी इंदौर को पूरी तरह से नहीं पहचान पाएंगे। जानिए इससे 6 क्षेत्र जो इंदौर को बनाते हैं ख़ास।
 
1. सराफा बाज़ार : अगर आपको लज़ीज़ इंदौरी ज़ायक़ा का आनंद उठाना है तो सराफा बाजार से बेहतर कुछ भी नहीं। यहाँ 56 दुकान का समूह लोकल फ़ूड की अध्भुत वैरायटी को पर्यटकों और स्थानियां लोगों की बीच पेश करता है। इस बाज़ार की खासियत है कि यह शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक ही खुलता है। अगर आप इंदौर शहर के नाईट कल्चर से रुबा रू होना चाहते है तो सराफा बाज़ार आपके लिए एक अध्भुत विकल्प है।
 
2. गोपाल मंदिर : राजबाड़ा के पास की गली में श्रीकृष्ण का एक पुराना मंदिर है जिसे गोपाल मंदिर कहते हैं। यह भी रियासतकाल में बनाया गया था।
3. महात्मा गांधी हॉल : गांधी हॉल का निर्माण 1904 में किया गया था जिसका आर्किटेक्चर इंडो-गॉथिक स्टाइल का है। इस ईमारत को शुरुआत में किंग हार्डवर्ड नाम दिया गया था पर आज़ादी के बाद इसका नाम बदलकर गाँधी हॉल कर दिया गया। यहां फ़िलहाल आर्ट और सोशल इवेंट होते हैं।
 
4. कृष्णपुरा छतरी : कृष्णपुरा छतरी प्रसिद्ध होल्कर संस्था के पास स्थित है और इंदौर के लिए यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जगह है। यहां 3 छतरियां और 5 कब्रें हैं। इसकी ख़ास बात ये है की यहां होल्कर वंश के मृत सदस्यों के अवशेष हैं इसलिए इसे होल्कर छतरियों के नाम से भी जाना जाता है।
5. कांच मंदिर : कांच मंदिर 20 वी सदी का प्रसिद्ध जैन मंदिर हैं। यहाँ दीवारों से लेकर फर्श और छत सिर्फ कांच से बनाई गयी है। यह भले ही बहुत विशाल मंदिर नहीं है पर इसकी खूबसूरती देखने लायक है।
 
6. बड़ा गणपति मंदिर : बड़ा गणपति मंदिर इंदौर का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां गणपति की दुनिया की सबसे ऊंची २५ फ़ीट की मूर्ति स्थापित है। इसका निर्माण 1875 में किया गया था। यहां हर साल हज़ारों श्रद्धालुं दर्शाने के लिए आते हैं।