शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. dhurandhar 2025 ranveer singh review action thriller
Last Updated : शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 (15:28 IST)

धुरंधर रिव्यू: दुश्मन को घर में घुसकर मारने की कहानी

Dhurnandhar movie review in Hindi
धुरंधर नए भारत के उस रूप की कहानी है जो दुश्मन को उसके घर में घुसकर जवाब देने में यकीन रखता है। भारत और पाकिस्तान जैसे दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव और अविश्वास की लंबी दास्तान किसी से छिपी नहीं है और ‘धुरंधर’ इसी संघर्ष को बड़े कैनवास पर पेश करती है। फिल्म उस गुप्त मिशन की परतें खोलती है जिसमें पाकिस्तान को उसी की जमीन पर करारा जवाब देने की रणनीति रची जाती है। आलिया भट्ट की ‘राज़ी’ में हम पहले देख चुके हैं कि किस तरह एक भारतीय एजेंट को दुश्मन देश के सिस्टम में प्लांट किया जाता है। धुरंधर भी इसी थीम पर आगे बढ़ती है, लेकिन कहीं ज्यादा आक्रामक और सिनेमैटिक अंदाज़ में कहानी को प्रस्तुत करती है।
 
फिल्म में दिखाया गया ऑपरेशन धुरंधर उस भारतीय युवक की यात्रा है जिसे पाकिस्तान भेजा जाता है। वहां वह अंडरवर्ल्ड, आईएसआई, स्थानीय नेताओं, हथियारों के सौदागरों और माफिया तक में घुसपैठ बनाता है, ताकि भारत के खिलाफ बनने वाली साजिशों का पता लगा सके और साथ ही इन नेटवर्क्स को भीतर से तोड़ सके। धुरंधर दो भागों में बनी है और इसका दूसरा भाग 19 मार्च 2026 को रिलीज होगा। पहला पार्ट साढ़े तीन घंटे से भी ज्यादा लंबा है और इसकी प्रस्तुति वेबसीरीज और फिल्म, दोनों का मिश्रण लगती है। वेबसीरीज की तरह हर विवरण को फैलाया गया है, वहीं बड़े पर्दे की तरह इसे लार्जर-देन-लाइफ ट्रीटमेंट दिया गया है।
 
रणवीर सिंह के किरदार हमज़ा अली की बैकस्टोरी का हल्का सा टच पहले पार्ट के अंत में दिखाया गया है कि कैसे वह जेल में सजा काट रहा था, जीवन में कोई मकसद नहीं था और इसी खालीपन के बीच उसे एजेंसी प्रशिक्षण दे कर पाकिस्तान भेजती है। अनुमान है कि दूसरे पार्ट में उसकी असल कहानी और उसके व्यक्तिगत संघर्षों को ज्यादा महत्व मिलेगा।
 
चैप्टर-बेस्ड नैरेटिव के जरिए फिल्म यह दर्शाती है कि कैसे पाकिस्तान में माफिया, हथियारों का कारोबार, आईएसआई और राजनीति की गंदी साझेदारी आतंकवाद को जिंदा रखती है और भारत के खिलाफ साजिश रचती है। निर्देशक आदित्य धर ने 1999 के आईसी-814 हाईजैक, 2001 के पार्लियामेंट अटैक, 26/11 मुंबई अटैक जैसी वास्तविक घटनाओं और किरदारों को कल्पना की डोर से बांधकर एक काल्पनिक लेकिन विश्वसनीय कथा रची है। अजीत डोभाल, इलियास कश्मीरी और नबील गाबोल की झलक किरदारों और कहानी में स्पष्ट रूप से महसूस होती है, जिनके इर्द-गिर्द हमज़ा को फिट किया गया है।

Dhurnandhar movie review in Hindi
 
फिल्म का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के ल्यारी में सेट है जहां हमज़ा सबसे पहले रहमान डकैत (अक्षय खन्ना) की गैंग में शामिल होता है और फिर धीरे-धीरे आईएसआई के मेजर इक़बाल (अर्जुन रामपाल), स्थानीय नेता जमील यमली (राकेश बेदी) और एसपी चौधरी असलम (संजय दत्त) के करीब पहुंचता है। इस पहले पार्ट में पाकिस्तान की राजनीति, बलोच संघर्ष, आईएसआई की रणनीति, हथियार फैक्ट्रियों और अंडरवर्ल्ड की दुनिया को बेहद विस्तार से दिखाया गया है। इसी कारण कहीं-कहीं लगता है कि रणवीर सिंह के किरदार को हीरोगिरी दिखाने के मौके कम मिले हैं। वह बहादुरी के कुछ कारनामे करता है, लेकिन अक्सर रहमान, असलम या आईएसआई की नजरों में जगह बनाने के मकसद से, ना कि भारत के लिए बड़े कदम उठाने के रूप में। दर्शक एक भारतीय एजेंट से जिस स्तर का दमदार एक्शन और शार्प इंटेलीजेंस एक्सपोज़र चाहते हैं, वह थोड़ा कम मिलता है, जिससे हल्की मायूसी होती है।
 
संभावना है कि दूसरे भाग में हमज़ा का असली एजेंट मोड ज्यादा उभरकर सामने आएगा, क्योंकि पहले भाग में अक्षय खन्ना, राकेश बेदी, अर्जुन रामपाल और संजय दत्त के किरदार कहानी में कहीं ज्यादा प्रभाव छोड़ते हैं। बावजूद इसके, फिल्म पूरी अवधि में दर्शकों को जोड़े रखती है। दमदार कलाकारों का एक्टिंग शो, उनके खतरनाक और परतदार किरदार और आदित्य धर का स्टाइलिश डायरेक्शन फिल्म को प्रभावशाली बनाते हैं।
 
फिल्म में कई दृश्य रोमांच पैदा करते हैं, जैसे अर्जुन रामपाल और संजय दत्त की धमाकेदार एंट्री, रणवीर द्वारा अक्षय खन्ना को बचाने वाला सीक्वेंस, कई हाई-टेंशन चेज़ और हथियारों की डीलिंग वाले सीन काफी शानदार बने हैं। शाश्वत सचदेव का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की रफ्तार को मजबूत बनाए रखता है और पुराने गानों के रीमिक्स बेहद खूबसूरती से इस्तेमाल किए गए हैं।
 
फिल्म का दूसरा हाफ थोड़ा खिंचता है और कुछ बातें सिनेमाई स्वतंत्रता की वजह से अविश्वसनीय भी लगती हैं, जैसे अंडरग्राउंड मीटिंग्स में हमज़ा का शामिल होना या हमले की साजिशों से उसे सीधे अवगत कराना। अगर उसका चरित्र खुद इन बातों को खोजता, तो कहानी और भी रोमांचक लगती और उसके कैरेक्टर की ग्रोथ अधिक दिखाई देती। हमज़ा की लव स्टोरी भी लंबी खिंची लगती है जिसे थोड़ा कम किया जा सकता था।
 
फिल्म बीच-बीच में यह भी संकेत देती है कि भारतीय इंटेलिजेंस पाकिस्तान को सबक सिखाने को तैयार था, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व में मौजूद कमजोरी के कारण कार्रवाई अधूरी रह जाती है। उन्हें बस ऐसे व्यक्ति या सरकार का इंतज़ार है जो दुश्मन को घुसकर जवाब देने का साहस रखे। फिल्म के दूसरे पार्ट में शायद ऐसी सरकार मिले। 
 
अभिनय के मामले में रणवीर सिंह पूरी मजबूती से खरे उतरते हैं। लंबे बाल, दाढ़ी और बदला हुआ फिजिकल अपीयरेंस उनके किरदार को विश्वसनीय बनाता है। सारा अर्जुन ने भी आत्मविश्वास के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। सपोर्टिंग कास्ट में अक्षय खन्ना गहरी छाप छोड़ते हैं, संजय दत्त बेहद खतरनाक और इंटेंस लगे हैं, अर्जुन रामपाल लगातार दहशत बनाए रखते हैं, जबकि राकेश बेदी और आर माधवन अपने किरदारों में पूरी तरह ढले नजर आते हैं।
 
“गरीब हूं पर नाकामयाब नहीं” और “हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मन कुछ हिंदुस्तानी हैं, दूसरे नंबर पर पाकिस्तान है” जैसी लाइनें प्रभाव छोड़ती हैं। हालांकि कुछ अपशब्द भी मौजूद हैं। सेट डिजाइन, सिनेमेटोग्राफी और लोकेशन्स बेहद रिच दिखते हैं। एक्शन काफी बर्बर है। गोलियों से सिर उड़ना, उंगलियां काटना, तारों से शरीर को बंधक बनाना, सिर कुचल देना, ये दृश्य कमज़ोर दिल वालों के लिए नहीं हैं।
 
कुल मिलाकर, धुरंधर की पैकेजिंग शानदार है। कहानी अधूरी है लेकिन दिलचस्प मोड़ पर खत्म होती है, जिससे दूसरे पार्ट के लिए उत्सुकता बढ़ जाती है। यदि रणवीर के किरदार को और ज्यादा उभार मिलता तो पहले पार्ट का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता।
 
  • DHURANDHAR (2025)
  • निर्देशक: आदित्य धर
  • गीत: इरशाद कामिल
  • संगीत: शाश्वत सचदेव 
  • कलाकार: रणवीर सिंह, सारा अर्जुन, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, आर माधवन, अर्जुन रामपाल, राकेश बेदी
  • सेंसर सर्टिफिकट : ए (केवल वयस्कों के लिए) * 3 घंटे 34 मिनट 1 सेकंड  
  • रेटिंग : 3/5