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Last Updated : शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 (17:38 IST)

लंदन में लगा 'राज-सिमरन' का स्टैच्यू, शाहरुख खान बोले- अंदाजा ही नहीं था कि डीडीएलजे इतना बड़ा फिनोमेनन बन जाएगा

London Leicester Square
यश राज फ़िल्म्स की महाकाव्य ब्लॉकबस्टर 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (डीडीएलजे) के 30वें वर्ष का जश्न मनाते हुए, शाहरुख खान और काजोल ने लंदन के प्रतिष्ठित लीसेस्टर स्क्वायर में राज और सिमरन की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। 
 
यह प्रतिमा ऐतिहासिक है, क्योंकि यह पहली भारतीय फ़िल्म है जिसे लीसेस्टर स्क्वायर में ऐसी सम्मानजनक जगह मिली है। यह मूर्ति अब हैरी पॉटर, मैरी पॉपिन्स, पैडिंगटन, सिंगिन’ इन द रेन, बैटमैन और वंडर वुमन जैसे वैश्विक पॉप-कल्चर आइकन के साथ शामिल हो गई है।
 
कांस्य प्रतिमा डीडीएलजे के उस प्रतिष्ठित पल को दर्शाती है जिसमें राज और सिमरन अपने मशहूर पोज़ में नज़र आते हैं— एक ऐसा दृश्य जिसने दक्षिण एशियाई समुदायों के बीच पॉप संस्कृति पर स्थायी छाप छोड़ी है।
 
लॉन्च के दौरान अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए शाहरुख खान ने कहा, सच कहूं तो अंदाज़ा ही नहीं था कि डीडीएलजे ऐसा फिनोमेनन बन जाएगा! मैं सौभाग्यशाली हूं कि इस तरह की सिनेमा का हिस्सा बना। मुझे लगता है कि हममें से किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह लोगों के दिलों में इतने गहरे उतर जाएगा। यकीनन आदित्य चोपड़ा और टीम को भरोसा रहा होगा कि यह अच्छी फिल्म है, लेकिन इसकी इस विशाल पहचान की कल्पना किसी ने नहीं की थी।
 
लंदन में डीडीएलजे की प्रतिमा की अहमियत पर एसआरके ने कहा, यह हम दोनों (काजोल और मेरे) और भारतीय फिल्म उद्योग के लिए बेहद व्यक्तिगत है। यूके, खासकर लंदन, हमारे स्टारडम की यात्रा का बड़ा हिस्सा रहा है। जब हम विदेश बाजार में तेज़ी से बढ़ रहे थे, तब सबसे बड़ा बाजार यूके था।
 
शाहरुख ने कहा, डीडीएलजे की शूटिंग 30-40 दिनों की एक फन ट्रिप जैसी थी—स्विट्ज़रलैंड और इंग्लैंड में तेज़ और मुक्त अंदाज़ में। लीसेस्टर स्क्वायर में तो हमने बिना बताए एक त्वरित दृश्य शूट कर लिया था! यह भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का क्षण है, और यह उचित भी है कि इस तरह का सम्मान यूके में मिला, जहां से भारतीय फ़िल्मों के वैश्विक प्रभाव की शुरुआत हुई।
 
काजोल ने कहा, 30 साल हो गए और हम यह कहते हुए गर्व महसूस करते हैं कि यह दुनिया की सबसे लंबी चलने वाली फिल्म है, सिर्फ भारत में नहीं। यह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुकी है और इसका हिस्सा होना बेहद रोमांचक है। हमने कभी नहीं सोचा था कि  डीडीएलजे  भारतीयों और दक्षिण एशियाई समुदायों के लिए वैश्विक पहचान बन जाएगी। यह विदेश में बसे भारतीयों के लिए एक भावनात्मक प्रतीक जैसा बन गया है।
 
अपने प्रशंसकों के लिए इस प्रतिमा के महत्व पर काजोल ने कहा, यूके में रहने वाले, या यहां आने वाले भारतीयों के लिए यह एक ऐसी जगह होगी जहां वे फिल्म की यादों को जी सकेंगे। यह उन्हें घर की याद दिलाएगी और उनके भीतर की अपनत्व की भावना को और मज़बूत करेगी। उम्मीद करती हूं कि हर भारतीय और दक्षिण एशियाई इसे देखकर वही भाव महसूस करेगा जो हमने इस फिल्म के दौरान महसूस किए थे।
 
डीडीएलजे राज और सिमरन की कहानी है— दो एनआरआई जिनकी प्रेम यात्रा यूरोप से शुरू होकर भारत तक पहुंचती है, जिसकी शुरुआत किंग्स क्रॉस स्टेशन से चलने वाली ट्रेन में होती है। जिस लोकेशन पर यह प्रतिमा स्थापित हुई है, वह बेहद प्रतीकात्मक है, क्योंकि लीसेस्टर स्क्वायर उसी दृश्य का हिस्सा है जहाँ राज और सिमरन पहली बार रास्ते में एक-दूसरे से टकराते हैं।
 
1995 में रिलीज होने के बाद डीडीएलजे वैश्विक स्तर पर एक सांस्कृतिक घटना बन गई और आज भी भारत में अपना रिकॉर्ड-तोड़ सिनेमाई प्रदर्शन जारी रखे हुए है। यहां तक कि पूर्व अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी भारत दौरे के दौरान इस फिल्म का ज़िक्र किया था। हाल ही में इसका स्टेज म्यूज़िकल कम फॉल इन लव – द डीडीएलजे म्यूजिकल मैनचेस्टर में प्रस्तुत किया गया।