Last Modified: भोपाल ,
मंगलवार, 28 अप्रैल 2009 (12:50 IST)
बंजर जमीन पर लहलहाएँगे पौधे
-सुनील मिश्रा जल्द ही बंजर धरती पर भी हरे-भरे पौधे लहलहाएँगे। बंजर जमीन पर हरियाली लाने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मलाजखंड में किए गए एक प्रयोग के अच्छे नतीजे मिले हैं। यहाँ तांबे की खानों से निकले अनुपजाऊ रेतीले अपशिष्ट पर एक कवक (फंजाई) से पौधे उगाए गए हैं। 6 महीने पहले रोपे गए इन पौधों में से 80 फीसद अभी तक जीवित हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट के तहत मलाजखंड में नवंबर 2008 में पौधे रोपे गए थे, जिनमें से 80 फीसद अभी तक जीवित हैं। इससे साबित हो गया है कि एक कवक की मदद से बंजर जमीन को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है। नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की मलाजखंड खानों के आसपास मीलों क्षेत्र में अनुपजाऊ रेत (ओबीडी) बिछी हुई है। इसमें कोई भी पोषक तत्व न होने के कारण कुछ भी नहीं उगता है।
बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. एसपी गौतम की पहल पर सीपीसीबी के सहयोग से बंजर जमीन को हरा-भरा प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। बोर्ड की वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. रीता कोरी के निर्देशन में चल रहे इस प्रोजेक्ट के तहत मलाजखंड के 500 हैक्टेयर के रेतीले इलाके में से 1 हैक्टेयर का चुनाव पौधारोपण के लिए किया गया था।
यहाँ पर अरबस्कुलर माइकोराइजा नामक कवक को गड्ढों में डालकर उसके ऊपर पेड़-पौधे लगाए गए थे। बोर्ड के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए प्रोजेक्ट के निरीक्षण में नवंबर 2008 में यहाँ रोपे गए शीशम, नीम, जेट्रोफा, बाँस, आँवला, जामुन आदि के पौधों में से 80 फीसद जीवित पाए गए है।
प्रोजेक्ट सफल : सचिव मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य आरके जैन ने कहा कि मलाजखंड में बोर्ड ने जो प्रोजेक्ट शुरू किया था, उसमें अच्छी सफलता मिली है। इसे और आगे बढ़ाया जाएगा।