कर्ज के बोझ तले दबी शिवराज सरकार के लिए लाड़ली बहना योजना के तहत 3 हजार रुपए देने का एलान कितना आसान?
Ladli Behna Yojana:मध्यप्रदेश में चुनावी साल में शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना योजना (ladli behna yojana) को लॉन्च कर दिया है। लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत प्रदेश की लगभग सवा करोड़ महिलाओं को रविवार को एक हजार रुपए की राशि दे दी गई। लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत महिलाओं के खातों में पैसा ट्रांसफर करने के मुख्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि जैसे-जैसे पैसों का प्रबंध होता जाएगा, वैसे-वैसे योजना की राशि बढ़ाई जाएगी और आने वाले समय यह राशि 3 हजार कर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम में कहा “योजना शुरू तो एक हजार रुपए से शुरु हुई है, लेकिन केवल एक हजार नहीं दूंगा अभी तो शुरू किया है मैने, अभी तो ये अंगड़ाई है। आगे भाई के मन में और बात है तो सुनो मेरी बहनों तुम्हारे भाई ने 1 हजार रूपया से शुरु किया है लेकिन धीरे-धीरे 1 हजार रूपया से इसको बढ़ाता जाऊंगा। पैसे का इंतजाम कर लूंगा और आगे बढ़ा लूंगा उसके बाद जैसे ही पैसे का इंतजाम हुआ तो 1250 रुपए कर दूंगा। फिर और आगे जैसे ही पैसे का इंतजाम हुआ बढ़ाकर कर दूंगा 1500 रूपया महीना। अभी यहां नहीं रुकूंगा। जैसे-जैसे आने वाले साल में पैसे का इंतजाम हो जाएगा तो साढ़े 1700 रुपया करूंगा। उसके बाद फिर 2000 रूपया महीना कर दूंगा। 2 हजार पर भी नहीं दूंगा उसके बाद फिर जैसे-जैसे पैसे का इंतजाम होगा 2000 से साढ़े 2200, साढ़े 2200 से 2500, 2500 से साढ़े 2700 और फिर साढ़े 2700 से 3000 कर दी जाएगी। हर महीने 3 हजार की राशि कर दी जाएगी”।
लाड़ली बहना योजना के लिए कितना खर्च?-चुनावी साल में गेमचेंजर मानी जानी वाली शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने वर्तमान में पांच साल के लिए 60 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया था। एक हजार हर महीना देने की लाड़ली बहना योजना के लिए पहले साल के 12 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है। अगर सरकार लाड़ली बहना योजना में वर्तमान में दी जाने वाली राशि एक हजार से बढ़ाकर तीन हजार करती है तो एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 80 हजार करोड़ करोड़ रुए खर्च होंगे। वहीं योजना के लिए पात्रता की उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल करने के सरकार के फैसले के बाद योजना के उपर खर्च करने वाली राशि में इजाफा होना तय है।
कर्ज के बोझ तले दबी सरकार-चुनावी साल में वोटरों को लुभाने के लिए सरकार जमकर मुफ्त की रेवड़ी बांट रही है। रिजर्व बैंक की हाल में राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज: ए स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2022-23 प्रकाशित रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है। अगर देखा जाए तो मध्यप्रदेश में वर्तमान में सरकार 3 लाख 85 हजार करोड़ के भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबी है। कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है। वहीं चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं को जमीन पर उतराने के लिए सरकार को नए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 55 हजार करोड़ के कर्ज लेने की जरुरत पड़ेगी, जो कि जीएसडीपी का 28 प्रतिशत है।
वहीं प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर आज 50 हजार रूपए का कर्जा है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 3.14 लाख करोड़ का बजट पेश किया। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक मध्यप्रदेश गंभी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति को इस बात से समझा जा सकता है कि पिछले वर्ष 2022-2023 में राज्य ने 2.79 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया था, जबकि सरकार पर 3.31 लाख करोड़ रुपये का बढ़ता कर्ज था। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि सरकार लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 3 हजार रुपए देने के लिए इतनी भारी भरकम राशि का प्रबंध कहां से करेगी यह भी बड़ा सवाल है।
कांग्रेस ने बताया झूठी घोषणाओं का जुमला-चुनावी साल में सरकार की लाड़ली बहना योजना को लेकर कांग्रेस सरकार पर बेहद अक्रामक है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इसे सौदेबाजी की सियासत बताय है। वहीं कांग्रेस का दावा है कि लाड़ली बहना योजना को लेकर महिलाओं में कोई उत्साह नहीं है और यह योजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 18 साल की 22000 झूठी घोषणाओं की तरह ही, एक झूठा जुमला है।
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जबलपुर से लाड़ली बहना योजना का आरंभ किया। मुझे यह देखकर तसल्ली हुई कि जबलपुर की माताएं बहने शिवराज जी के स्वभाव को भलीभांति जान गई हैं इसलिए उनके कार्यक्रम में कुर्सियां खाली रही और जो बहनें आई हुई थी वह शिवराज जी की झूठी घोषणा सुनकर उनके भाषण के दौरान ही सभा स्थल से चली गई। केके मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह अपने भाषण में महिलाओं के सम्मान के नाम पर बोली लगाना शुरू की वह अत्यंत निंदनीय है। हजार दूंगा 12000 दूंगा डेढ़ हजार दूंगा 2,000 दूंगा! क्या यह भाषा मुख्यमंत्री को शोभा देती है। खरीद-फरोख्त से बनी सरकार के मुखिया अब वोट खरीदने के लिए मंडी में बोले जाने वाली खरीद-फरोख्त की भाषा बोलने लगे हैं।