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Written By ND

नादानी न बन जाए परेशानी

नादान बालाओं जरा संभलकर

रोमांस इश्क प्रेम प्यार मोहब्बत मानसी
मानसी

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हेलो दोस्तो! जब दो लोग एक-दूसरे को पसंद करते हैं तो एक-दूसरे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं। आपस में संवाद बनाने के लिए मिलने-जुलने का बहाना ढूँढते हैं। आम बातचीत के दौरान ही उन्हें अहसास होने लगता है कि उनकी दोस्ती थोड़ा अपनापन लिए हुए है। अपनी इस भावना को टटोलने के लिए वे थोड़ा समय एक-दूसरे के साथ बिताना चाहते हैं। इस प्रकार वे एक दो डेट पर बड़ी उत्सुकता से जाते हैं। पर, तीसरे डेट पर जाने से लड़का कतराने लगता है। वह उस तथाकथित प्रेम कहानी को वहीं पर बाय-बाय कह देना चाहता है।

लड़की बेचारी समझ ही नहीं पाती है कि आखिर उससे भूल कहाँ पर हुई है। वह सोचती है कि उसका दिल प्यार में लड़के की बनिस्बत कहीं ज्यादा डूबा हुआ था। उसने इस रिश्ते को बेहद गंभीरता से लिया था। अब इन लड़कियों को कौन बताए कि तमाम गड़बड़ की जड़ उनकी यही भावुकता एवं जल्दबाजी है। इस लव-मंत्र में उतावली प्रेमिकाओं को कुछ ऐसे राज बताए जा रहे हैं जिन्हें जान लेने के बाद उनके प्रेमी कभी गधे के सिर से सींग की तरह गायब नहीं होंगे।

महबूबा मैडम अभी दूसरी डेट पर ही गई हैं। अच्छे मूड में दोस्तों, कैरिअर, ग्लैमर, सोसाइटी, रिश्वतखोरी, फिल्म, गाने, डिस्को की बातें हो रही हैं। अगर रात के खाने पर गए हैं तो खाने का मजा लिया जा रहा है। जायके की गप्पें चल रही हैं पर मैडम एक कॉमन टॉपिक की गपशप को निहायत ही निजी मोड़ दे देंगी। वह अचानक बोलने लगेंगी कि मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं। घर में कम से कम दो बच्चे तो होने ही चाहिए। कितने प्यारे लगते हैं न!

यह सुनते ही हो सकता है नया प्रेमी इतनी तेजी से वहाँ से भाग जाए कि आपको पूरा बिल चुकाना पड़ जाए। अगर किस्मत अच्छी है और उस लड़के में थोड़ी तमीज है तो वह खुद को संयत कर कहेगा बहुत देर हो रही है, थोड़ी जल्दी करना चाहिए और फिर विनम्रता से बोलेगा, 'लगता है, गलती से मैं दूसरा बटुवा ले आया। बुरा मत मानना थोड़ा पैसा तुम्हें भी देना होगा।' आपको यह समझते देर नहीं लगेगी कि यह आपकी आखिरी डेट है। उसके बाद लड़कियाँ लड़कों को चालू, दगाबाज और न जाने कितने ही ऐब गिनाते हुए मिल जाएँगी पर उन्हें अपनी गलती बिल्कुल नहीं दिखेगी।

एक बात तो सच है कि लड़कियाँ दोस्ती को परिपक्व नहीं होने देती हैं। उन्हें सीधे सातों जन्म का साथ दो मुलाकातों में ही दिखने लगता है। अपनी भावनाओं और भविष्य का भार वे जल्द से जल्द किसी और के कंधे पर रख देना चाहती हैं। यह सरासर गलत है। कोई भी गंभीर व्यक्ति बिना जाने-समझे इतनी दूर का करार नहीं कर सकता है। शुरुआत में सारे लड़के बड़े ही नारीवादी विचार को प्रोत्साहन देने वाले दिखना चाहते हैं। उनकी बातचीत से ऐसा लगता है जैसे वे लड़के और लड़की दोस्तों में किसी प्रकार का फर्क नहीं समझते हैं। उसे महिलाओं की आजादी में पूरा विश्वास है। बस ये भोली लड़कियाँ झट एक पेशकश रख देती हैं, 'क्यों न तुम्हारे दूसरे (पुरुष) दोस्तों के साथ मिलकर धमाल किया जाए। सब मिलकर घूमते हैं मजा आएगा और खुदा न खास्ता कोई मिल गया और आप हँस-हँसकर उनसे बातें करने लगीं तो आपकी प्रेम कहानी यहीं पर दम तोड़ देगी।'
जी हाँ, दूसरा राज यह है कि जब तक प्रेमी खुद अपने दोस्तों से न मिलाए, आप जिक्र न करें और जब मिलें तो दूरी बनाए रखें।

'अब मुझे चलना चाहिए। ओह! कितना समय हो गया। लगता है, कुछ ज्यादा ही हम लोग साथ बैठ गए।' आपके द्वारा इसे बोलते ही सामने वाले को लगेगा कि अरे यह तो लगता है बोर हो गई है। मेरे साथ बैठकर इसे मजा नहीं आया। इसको समय देना बेकार है। हमेशा यही सुनाती रहेगी कि तुम बहुत देर तक बिठा लेते हो। नादान अव्यावहारिक लड़कियो! जाना भी हो तो यह कहना चाहिए कि तुम्हारे साथ समय कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता है। काश मुझे इतनी मोहलत मिली होती कि मैं अभी घंटों बैठ पाती। पर आज तो लगता है जाना ही पड़ेगा।

अरे वाह! यह टीशर्ट या शर्ट कितनी शानदार है पर यह टाइट हो रही है। पहले का है न। लगता है तुम इधर मोटे हो गए हो। अरे यार कंट्रोल करो। देखो मोटा-होना आसान है पर चर्बी उतारनी, नानी याद आ जाएगी। आपने तो एक सांस में अपनापन का पूरा छौंक मार डाला पर आपको यह नहीं पता है कि मोटा बोलकर आपने उसकी जो बेइज्जती की है उसकी आपको महँगी कीमत चुकानी पड़ेगी। प्रेमी का मन इतना खट्टा हो जाएगा कि वह आपकी परछाईं से भी दूर भागेगा। क्या तुम शुरू से ही इतने टची हो?

सच तुम बहुत जल्दी बुरा मान जाते हो। क्या सचमुच तुम्हें पता नहीं चलता कि कोई तुम्हारी इतनी परवाह करता है? चलो मेरी फिक्र न करो पर किसी की सही भावना को तो समझो। तुम्हारे लिए कोई दिन-रात चिंता करता है पर तुम्हें क्या! आपके इस इमोशनल लेक्चर के बाद यह बात आप पक्की जान लें कि वह इस प्रेम की पाठशाला से अपना नाम कटवा चुका होगा। ऐसे भाव-विभोर भाषण के लिए आपको किसी अन्य शागिर्द की तलाश करनी पड़ेगी।

'एक बात कहूँ, तुम न बहुत ही जल्दी-जल्दी बोलते हो और सबसे खराब क्या लगता है कि अक्सर अपने विषय से भटक जाते हो। इतना बोल जाते हो पर पता ही नहीं चलता कि तुम कहना क्या चाहते हो। मेरी मानो तो थोड़ा ठहराव के साथ बोला करो। ऐसा करने से तुम्हारी बातचीत का फोकस नहीं बदलेगा।' आपका यह महान ज्ञान आपकी बर्बादी का सबब बन जाएगा। आप इसके बाद उसकी बातचीत को तरसेंगी। आपका नाम उनकी लिस्ट से कट जाएगा। हो सकता है वह इस टिप्पणी पर विचार कर अपनी वाक विद्या को सुधार लें पर आपको वह सुधारा हुआ रूप सुनने को कभी नसीब नहीं होगा।

तो प्रेमिकाओं हर समय भावनाओं की गठरी संभालें और माताश्री की भूमिका के अलावा भी कुछ नया सोचना चाहिए यानी थोड़ी दूरी रखते हुए व्यावहारिकता के साथ अच्छी दोस्ती। समय के साथ हो सकता है यह दोस्ती प्रेम में बदल जाए।