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Written By गायत्री शर्मा

चलो एक बार फिर से अजनबी ...

जिंदगी जिंदादिली का नाम है

रोमांस
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पति-पत्नी का रिश्ता सात फेरों से बँधा सात जन्मों का होता है। एक-दूसरे का हाथ थामे दो अजनबी विवाह के वचनों के साथ अपने नवजीवन की शुरुआत करते हैं जिसमें उमंग, उत्साह व उल्लास होता है।

मन-वचन और कर्म से दंपति एक-दूसरे को अपनाकर गृहस्थाश्रम में प्रवेश करते हैं। एक-दूसरे का शारीरिक आकर्षण उनके रिश्तों की डोर को कुछ सालों तक मजबूती से बाँधे रखता है। उम्र के साथ-साथ यह आकर्षण भी कम होता जाता है और धीरे-धीरे अतृप्ति के कारण पति-पत्नी एक-दूसरे से कटने लगते हैं।

शादी के पहले दस साल पति-पत्नी की जिंदगी एक-दूसरे की शारीरिक आपूर्ति व बच्चों के पैदा होने में निकल जाते हैं और जब पति-पत्नी का एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने का समय आता है तब तक वे एक-दूसरे से ऊब चुके होते हैं।

  'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों ....' किसी गीत की ये पंक्तियाँ दांपत्य जीवन की ताजगी बनाए रखने का सबसे बेहतरीन मंत्र भी है। अजनबी बनकर फिर से नई ताजगी के साथ जीवन...      
हालाँकि दांपत्य संबंधों की बुनियाद में 'सेक्स' है लेकिन उसके साथ-साथ जुड़ी भावनाएँ भी। ये भावनाएँ हमेशा वही रहना चाहिए, जो पहले थीं। खेलकर फेंका तो खिलौनों को जाता है, इंसानों को नहीं।

जिंदगी रुकने का नाम नहीं है। यह तो निरंतर गतिमान रहे तो ही मजा है। रिश्तों पर भी यही सिद्धांत लागू होता है। पति-पत्नी के रिश्ते में भी निरंतर नएपन व विविधता की आवश्यकता होती है।

'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों ....' किसी गीत की ये पंक्तियाँ दांपत्य जीवन की ताजगी बनाए रखने का सबसे बेहतरीन मंत्र भी है। अजनबी बनकर फिर से नई ताजगी के साथ जीवन की नई शुरुआत की जा सकती है।

एक-दूसरे से ऊबने के बजाय क्यों न फिर से युवा बनकर जीवन में प्रेम का रंग भरा जाए? आज जरूरत है जीवन की बैटरी को चार्ज कर अपनी जीवनशैली में फिर से नयापन लाने की।