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Last Modified: गुरुवार, 18 अप्रैल 2024 (15:25 IST)

भाजपा का अबकी बार 400 पार का नारा कितनी दूर-कितनी पास?

भाजपा का अबकी बार 400 पार का नारा कितनी दूर-कितनी पास? - Will BJP be able to win 400 seats in Lok Sabha elections?
अबकी बार 400 पार के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी भाजपा के दावे पर अब विपक्ष ने सवालिया निशाना लगाया था। लोकसभा चुनाव की पहले चऱण की वोटिंग के ठीक पहले विपक्ष के नेता राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने दावा किया कि भाजपा 150 सीटों पर सिमट रही है। विपक्ष के दावे में कितना दम है और क्या वकाई भाजपा लोकसभा चुनाव में अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ 400 पार का लक्ष्य हासिल कर सकेगी, यह अब बड़ा सवाल बन गया है।

उत्तर भारत में भाजपा की मजबूत पकड़-2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA  ने 543 में से 350 सीटों पर जीत हासिल की थीं, जिसमें भाजपा ने अकेले 303 सीटें जीती थी। भाजपा की इस प्रचंड जीत में उत्तर भारत के वोटर्स की बड़ी भूमिका थी और भाजपा ने उत्तर भारत में बड़ी जीत हासिल की थी।

2014 को लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा उत्तर भारत में लगातार अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर भारत के कई राज्यों में विपक्ष का लगभग सूफड़ा ही साफ कर दिया था। देश के सबसे राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 80 लोकसभा सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं पीएम  मोदी के गृह राज्य गुजरात में पार्टी को 26 में से 26 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। वहीं मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों से 28, छत्तीसगढ़ में सभी 11, हरियाणा की सभी 10 सीटें भाजपा ने जीती थी। इस तरह हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, दिल्ली और उत्तराखंड की भी सारी लोकसभा सीटों पर भाजपा ने 2019 में अपना कब्जा जमाया था।  ऐसे में 400 आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी के पास अब दक्षिण के राज्यों की ओर ही जाना होगा.

दक्षिण विजय के बिना 400 पार का लक्ष्य अधूरा-2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत में बड़ी जीत हासिल करने वाली भाजपा को दक्षिण भारत में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। दक्षिण और पूर्वात्तर के 11 ऐसे राज्य थे, जहां भाजपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इनमें तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, नागालैंड, लक्षद्वीप, आंध्र प्रदेश, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम और दादर एवं नागर हवेली शामिल थे। दक्षिण के 11 राज्यों से 93 लोकसभा सीटें आती है, जिसमें आंध्र प्रदेश (25 सीट), तमिलनाडु (39 सीट), केरल (20 सीट), मेघालय (2 सीट) और मिजोरम, नागालैंड,लक्षद्वीप, सिक्किम, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और दादर एवं नागर हवेली में 1-1 लोकसभा सीट हैं।

ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को 400 सीटें जीतने का टारगेट पूरा करना है, तो उसे दक्षिण विजय करना जरूरी है। यहीं कारण है कि इस बार भाजपा ने अपना पूरा फोकस दक्षिण के राज्यों पर किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण भारत से सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना पर खासा फोकस किया है। पीएम मोदी इन राज्यों में जनवरी से ताबड़तोड बड़े-बड़े कार्यक्रम कर रहे है और चुनाव की तारीखों के एलान के बाद भी पीएम मोदी लगातार दक्षिण के राज्यों में पहुंच रहे है।

इसके साथ भाजपा ने इस बार दक्षिण भारत के किला को भेदने के लिए गठबंधन में कई नए और पुराने साथियों को फिर जोड़ा है। इनमें आंध्र प्रदेश में पुराने साथी तेलुगू देशम पार्टी को फिर से अपने साथ जोड़ने के साथ फिल्म कलाकार पवन कल्याण की जनसेना पार्टी को भी गठबंधन मे शामिल किया है। साथ ही तमिलनाडु में अभिनेता आर. शरत कुमार की अकिला इंडिया सामाथुवा मक्कल काची पार्टी और टीटीवी. दिनाकरन की अम्मा मक्कल मुन्नेत्रा काझागम पार्टी से हाथ मिलाया है। इसके अलावा भाजपा ने कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी. देवेगौड़ा की जनता दल(एस) को अपने साथ मिलाया है।

ऐसे में जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने दक्षिण भारत की पूरी चुनावी कमान अपने हाथों में ले रखी और भाजपा राममंदिर के साथ-साथ कॉमन सिविल कोड और सीएए के मुद्दें को दक्षिण भारत में अपने चुनाव प्रचार में खूब उछाल रही है तब देखना दिलचस्प होगा कि क्या दक्षिण भारत का वोटर्स भाजपा और NDA  के साथ आता है और उसका 400 सीटें जीतने का सपना साकार होता है।
 

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