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लोहड़ी पर्व 2023 : लोहड़ी उत्सव की परंपरा और मान्यताएं, जानें 10 खास बातें

लोहड़ी पर्व 2023 : लोहड़ी उत्सव की परंपरा और मान्यताएं, जानें 10 खास बातें - Lohri Celebration 2023
Happy Lohri 2023 10 baten 
 
- अनिरुद्ध जोशी 

happy lohri : लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति के आसपास या कभी-कभी मकर संक्रांति के दिन की मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में खासतौर पर मनाया जाने वाला लोहड़ी लोहड़ी उत्सव इस बार मत-मतांतर के चलते कई स्थानों पर 13 जनवरी और 14 जनवरी 2023 की रात को मनाया जाएगा। अत: साल 2023 में 14 और कई जगहों पर 15 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) मनाई जाएगी। 14 जनवरी को लोहड़ी पूजन का शुभ मुहूर्त रात 8.57 मिनट पर। 
 
 
आइए यहां जानते हैं लोहड़ी उत्सव के बारे में 10 खास बातें।
 
1. कब मनाते हैं लोहड़ी- वर्ष की सभी ऋतुओं पतझड, सावन और बसंत में कई तरह के छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिन में से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी है जो बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी, पौष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।

 
2. लोहड़ी का अर्थ- लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है।
 
3. अग्नि के आसपास उत्सव- लोहड़ी की संध्या को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं। अग्नि की परिक्रमा करते और आग के चारों ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं। इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लेते हैं।

 
4. लोहड़ी का आधुनिक रूप- आधुनिकता के चलते लोहड़ी मनाने का तरीका बदल गया है। अब लोहड़ी में पारंपरिक पहनावे और पकवानों की जगह आधुनिक पहनावे और पकवानों को शामिल कर लिया गया है। लोग भी अब इस उत्सव में कम ही भाग लेते हैं।
 
5. सुंदरी एवं मुंदरी से भी जुड़ा है यह त्योहार- कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी।

 
6. माता सती से जुड़ा त्योहार- पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नीं सती ने आत्मदाह कर लिया था। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है।
 
7. फसल-मौसम का उत्सव- वैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का सबंध भी पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं।

 
8. ईरान का चहार- शंबे सूरी- ईरान में भी नववर्ष का त्योहार इसी तरह मनाते हैं। आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी बिल्कुल एक जैसे त्योहार हैं। इसे ईरानी पारसियों या प्राचीन ईरान का उत्सव मानते हैं।
 
9. विशेष पकवान- लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं।

 
10. नव वधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव- जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है। प्राय: घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है। इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है।

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