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Written By ND

नेताजी ने किया सच का सामना!

व्यंग्य

नेताजी ने किया सच का सामना! -
राज चड्ढा
नेताजी के निधन का समाचार फैलते ही मोहल्ले में हर्ष की लहर दौड़ गई। जो उनकी सूरत से नफरत करते थे उन्होंने भी और जो दिनभर नेताजी के यहाँ दरबार लगाए रहते थे उन्होंने भी राहत की साँस ली और छो़ड़ी।

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यमदूत नेताजी को यमराज के दरबार में लेकर आए। चित्रगुप्त ने कम्प्यूटर से नजर उठाई और नेताजी को ताकीद की, 'पहले तुम्हारा पोलिग्राफिक टेस्ट होगा। एक-एक कर ग्यारह सवाल तुमसे पूछे जाएँगे। चूँकि यह यमलोक है, तुम्हारा देश नहीं, अतः यहाँ सच बोलना होगा। तुम्हारे पाप कितने ही भयंकर क्यों न हों, प्रत्येक प्रश्न के सही उत्तर पर तुम्हारे 10 प्रतिशत पाप क्षमा कर दिए जाएँगे।

इस प्रकार यदि तुमने 10 प्रश्नों के ठीक उत्तर दिए तो पूर्णतः पाप मुक्त हो जाओगे, किंतु धरती पर नहीं भेजे जाओगे। 11 वें प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है। वह भी अगर तुमने ठीक-ठीक दे दिया तो यमलोक एक्सटेंशन का प्रशासन तुम्हें दे दिया जाएगा और यदि एक भी प्रश्न का उत्तर गलत दिया तो तुम अनंतकाल तक नर्क की यातनाएँ भोगोगे।'

नेताजी थो़ड़े विचलित हुए। आज तक उनसे किसी ने इस भाषा में बात नहीं की थी, पर मजबूर थे। उनके चेले या तो धरती पर थे या मरकर नर्क भोग रहे थे। यहाँ साथ देने वाला कोई नहीं था।

चित्रगुप्त ने कम्प्यूटर का बटन दबाया और एक-एक कर प्रश्न पूछना शुरू किया :

* क्या यह सच है कि 10 वीं की परीक्षा में तीसरी बार फेल होने के बाद जब स्वाधीन भारत में तुम्हें चपरासी की नौकरी मिलना संभव न था, तुम राजनीति में आए?

-जी हाँ, यह सच है।

पोलिग्राफिक मशीन के परिणाम कम्प्यूटर में देखने के बाद चित्रगुप्त बोले, 'तुम्हारा उत्तर सही है। तुम्हारे 10 प्रतिशत पाप कम हुए।'

* दूसरा प्रश्न- क्या यह सच है कि तुम्हारे पिताजी जाने-पहचाने नेता थे, अतः राजनीति के धंधे में तुमने दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति की?

-जी, सच है।

* सही उत्तर। तुम 20 प्रतिशत पाप मुक्त हुए। अब तीसरा प्रश्न- तुम जनसेवा के नाम से राजनीति में आए और तुमने इस बात की बराबर की चिंता की कि वीआईपी से लेकर आमजन तक तुम्हारी सेवा करते रहें।

-सच्ची बात है।

* लाई डिटेक्टर का जवाब भी 'सच' है। तुम्हारे 30 प्रतिशत अपराध क्षमा किए जाते हैं। अब चौथा प्रश्न- क्या यह सच है कि अपने हर चुनाव में तुमने पैसा देकर टिकट खरीदा और शराब बाँटकर वोट?

जी , सच है।

पुरस्कारस्वरूप उन्हें नर्क की एक्सटेंशन ब्रांच का प्रभारी बना दिया गया। जब वे कार्यभार ग्रहण करने के लिए ऑफिस जा रहे थे, उन्होंने देखा - नर्क में प्रवेश के लिए लगी लाइन में अधिकतर उनके नजदीकी रिश्तेदार और चमचे ही हैं। नेताजी को बहुत संतोष हुआ।
* सही उत्तर देने के कारण तुम्हारे और 10 प्रतिशत पाप नष्ट हुए। पाँचवाँ प्रश्न- भरपूर पैसा और शराब बाँटने और जातिवाद का जहर फैलाने के बाद भी जब तुम्हें अपनी जीत पर भरोसा नहीं हुआ तो तुमने अपने क्षेत्र में दंगा करवाने के लिए धर्मस्थल में माँस के टुक़ड़े फिंकवा दिए थे!

-जी हाँ!

* सही जवाब! तुम्हारे 50 प्रतिशत पाप क्षमा हुए। तुम्हारे साहस की हम प्रशंसा करते हैं। छठवाँ सवाल- चुनावों के दौरान जब तुम मतदाताओं से लंबे-चौ़ड़े वादे कर रहे थे, तब भी जानते थे कि ये सब झूठे वादे हैं।

-सच है।

* पोलिग्राफिक मशीन भी यही कह रही है। सच बोलने पर तुम्हारे वे पाप निरंतर कम हो रहे हैं, जो तुमने धरती पर कभी सच न बोलकर और पाप कर्म करके एकत्र किए थे। तुम्हारा सातवाँ सवाल- चुनावों के दौरान जब जनता तुम्हारे नारों को अपने विश्वास की तराजू पर तौल रही थी, तुम बूथ-कैप्चरिंग की बिसात बिछाने में व्यस्त थे?

-सच है।

* पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर विरोधी पार्टी के मतदान एजेंटों को खरीदने तक तुमने एक-एक बिंदु पर गंभीर चिंतन-मनन किया और उसकी व्यूह-रचना में सफल भी हुए?

-मुझे स्वीकार है।

* 80 प्रतिशत पाप क्षम्य होने से अब तुम्हारी आत्मा के ऊपर (यदि वह कहीं शेष रह गई हो तो) केवल 20 प्रतिशत पापों का बोझ रह गया है। अगले दो प्रश्नों के उत्तर भी तुमने ठीक-ठाक दिए तो तुम पाप मुक्त होने का गौरव प्राप्त कर सकते हों। घोर पापी होने के उपरांत भी तुम केवल सत्य वचन बोलने के कारण निरंतर पाप मुक्ति की ओर ब़ढ़ रहे हो। नौवाँ प्रश्न- क्या यह सच है कि लाठी और बंदूकों के जोर पर तुमने आधे से अधिक मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया था और विधिवत मतदान प्रारंभ होने से पहले ही मशीनों में तुम्हारी विजय सुनिश्चित हो चुकी थी?

-सच है महाराज!

* तुम्हारे 90 प्रश पाप नष्ट हुए। लास्ट बट वन क्वश्चन। तुम्हारी इस सारी कारगुजारी से तुम्हारी पार्टी का हाईकमान भली-भाँति परिचित था और वह इस विजय अभियान की सफलता पर तुम्हारी पीठ थपथपा रहा था।

-यह भी सच है, किंतु चित्रगुप्तजी, कृपया इस तथ्य का प्रसारण मत कीजिएगा अन्यथा (मैं तो मर चुका हूँ) मेरी संतान का भविष्य चौपट हो जाएगा। वह भी राजनीति में है।

* वाह! वाह! वाह! वाह! नेताजी, दसों प्रश्नों के सही उत्तर देने पर तुम पूर्णतः पाप मुक्त घोषित किए जाते हो। अत्यंत साहसपूर्वक सच का सामना करने पर तुम्हें लख-लख बधाइयाँ। अब ग्यारहवाँ और अंतिम प्रश्न। इसका उत्तर देना अनिवार्य है। उत्तर यदि गलत हुआ तो तुम्हें घोर कुंभी-पाक नर्क में डाल दिया जाएगा और यदि सही हुआ तो यमलोक का एक्सटेंशन-ब्रांच का तुम्हें ब्रांच-यमराज बना दिया जाएगा।

वैसे भी धरती पर जाने और वहाँ फिर से राजनीति करने योग्य तुम (अपने सच्चे जवाबों के कारण) बचे नहीं हो। रही बात स्वर्ग की तो वहाँ नेता जाति के लिए पूर्णतः प्रवेश-निषेध का बोर्ड लग चुका है। अतः उत्तर सोच-समझकर देना।

ग्यारहवाँ और आखिरी प्रश्न- क्या यह सच है कि एक नेता के रूप में तुम्हारी आश्चर्यजनक सफलता का मात्र एक ही रहस्य है कि तुमने अपनी आत्मा को खूँटी पर टाँग दिया था। सत्य न बोलने की प्रतिज्ञा कर ली थी। वरिष्ठ नेताओं की चाटुकारिता,कार्यकर्ताओं का शोषण और मतदाताओं को धोखा देना ही अपना ध्येय बना लिया था। पैसा तुम्हारे लिए भगवान और पद तुम्हारे लिए परम पद हो गया था?

पाठक मित्रों! आपने ठीक सोचा। नेताजी का उत्तर इस बार भी पॉजीटिव ही था।

उन्होंने कहा, 'सच है' और पुरस्कारस्वरूप उन्हें नर्क की एक्सटेंशन ब्रांच का प्रभारी बना दिया गया। जब वे कार्यभार ग्रहण करने के लिए ऑफिस जा रहे थे, उन्होंने देखा - नर्क में प्रवेश के लिए लगी लाइन में अधिकतर उनके नजदीकी रिश्तेदार और चमचे ही हैं। नेताजी को बहुत संतोष हुआ। बोले,' चलो यहाँ भी देशसेवा के लिए काम की कोई कमी नहीं है।'