जानिए कहाँ खर्च होगा आपका धन
धन भाव बताता है आर्थिक योग
द्वितीय भाव धन व आर्थिक स्थिति को बताता है। इससे परिवार सुख व पैतृक संपत्ति की भी सूचना मिलती है। द्वितीय भाव में जो राशि होती है, उसका स्वामी द्वितीयेश कहलाता है। इसे धनेश भी कहते हैं।1.
धनेश लग्न में होने से परिवार से प्रेम रहता है, आर्थिक व्यवहार में पटुता हासिल होती है। 2.
धनेश धन स्थान में हो तो परिवार का उत्कर्ष होता है व आर्थिक स्थिति हमेशा अच्छी रहती है।3.
धनेश तृतीय में हो तो भाई-बहनों की उन्नति व लेखन से आर्थिक लाभ का सूचक है।4.
धनेश चतुर्थ में हो तो माता-पिता से सतत सहयोग व लाभ मिलता है, चैन से जीवन बीतता है।
5.
धनेश पंचम में हो तो कला से धनार्जन, संतान के लिए सतत खर्च करना पड़ता है।6.
धनेश षष्ठ में हो तो कमाया गया धन बीमारियों के लिए खर्च होता है, अतिविश्वास से धोखा होता है।7.
धनेश सप्तम में हो तो पत्नी/पति व घर के लिए ही सारा धन खर्च होता रहता है। 8.
धनेश अष्टम में हो तो गलत तरीके से पैसा कमाने की वृत्ति रहती है व उससे आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं। 9.
धनेश नवम में हो तो आर्थिक योग उत्तम, व्यवसाय के लिए दूर की यात्रा के योग आते हैं। 10.
धनेश दशम में होने पर नौकरी से लाभ, पैतृक संपत्ति भरपूर मिलती है।11.
धनेश ग्यारहवें स्थान में होने पर मित्र-संबंधियों से सतत सहयोग व लाभ मिलता है। 12.
धनेश व्यय में हो तो बीमारी, कोर्ट-कचहरी में धन व्यय होता है। दान-धर्म में भी खर्च होता है।