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Written By DW
Last Updated : शनिवार, 25 मार्च 2023 (08:56 IST)

ई-ईंधन क्या है और भविष्य में यह कितना उपयोगी होगा?

ई-ईंधन क्या है और भविष्य में यह कितना उपयोगी होगा? - what is e fuel and how it help make cars co2 free
यूरोपीय संघ के नए कानून ने 2035 के बाद इंटरनल कंबशन इंजन से चलने वाले सभी वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है। यूरोपीय संघ के नियमों के अनुसार 2035 से बेची जाने वाली सभी नई कारों में शून्य सीओ2 उत्सर्जन की आवश्यकता होगी, जिससे जीवाश्म ईंधन से चलने वाली नई कारों को बेचना प्रभावी रूप से असंभव हो जाएगा।
 
कानून में यह भी कहा गया है कि केवल उन नए वाहनों की बिक्री की जानी चाहिए जिन्हें एक निर्दिष्ट समय सीमा के बाद ई-ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है।
 
यूरोपीय संघ के मुताबिक 2035 के बाद केवल कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन न करने वाले वाहनों की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए, यानी ब्लॉक में पारंपरिक ईंधन वाहनों की बिक्री असंभव हो जाएगी।
 
जर्मनी ने अन्य यूरोपीय देशों के साथ इस रास्ते का समर्थन किया है, लेकिन जर्मनी का कहना है कि इंटरनल कंबशन इंजन वाले वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। हालांकि नया ईयू कानून प्रौद्योगिकी को मौत की सजा के रूप में दंडित कर रहा है, क्योंकि इंटरनल कंबशन इंजन वाले ऐसे किसी भी वाहन का इंजन कार्बन डाइऑक्साइड के छोड़े बिना नहीं चल सकता है।
 
ई-ईंधन क्या है?
सिंथेटिक ई-फ्यूल के उत्पादन में वर्षों लगे हैं, उन्हें अब तेल से चलने वाली कारों और ट्रकों के लिये ऐसे विकल्प के रूप में प्रोत्साहित किया जा रहा है जिनका जलवायु पर असर नहीं होता। ये ईंधन पानी और नवीनीकृत बिजली से पैदा ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल करते हैं। उसे सीओ2 के साथ मिलाकर डीजल, गैसोलीन या केरोसीन जैसा सिंथेटिक ईंधन बनाया जाता है।
 
जब एक सामान्य इंजन में ईंधन का इस्तेमाल होता है तो, तो कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होता है। हालांकि, अवधारणा यह है कि ये वाहन उतना ही कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं जितना ईंधन के उत्पादन के लिए हवा से लिया जाता है। इस तरह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की कुल मात्रा न्यूट्रल रहेगी।
 
जर्मनी और इटली की राय है कि 2035 के बाद भी ऐसे वाहनों की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए, जो सीओ2 न्यूट्रल ईंधन पर चलते हैं।
 
ये वाहन कौन बनाता है?
यात्री वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए बैटरी से चलने वाली ई-कारों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। अब लगभग सभी वाहन निर्माताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीक के साथ-साथ निर्माण और बिक्री का बचाव भी किया जा रहा है। ये वाहन निर्माता भारी बैटरी के पक्ष में नहीं हैं।
 
हालांकि अभी बड़े पैमाने पर ई-ईंधन का उत्पादन नहीं हो रहा है, लेकिन इस संबंध में पहला संयंत्र 2021 में चिली में शुरू हुआ था।  जर्मनी के ही प्रौद्योगिकी सिरमौर सीमेंस एनर्जी के साथ मिलकर पोर्शे, कम कीमत वाली पवन ऊर्जा की मदद से कार्बन न्यूट्रल ई-ईंधन बनाना चाहती है।
 
पोर्शे के समर्थन से इस संयंत्र के माध्यम से साढ़े पांच लाख लीटर ई-ईंधन का उत्पादन का लक्ष्य है।
 
ई-ईंधन के समर्थक
ई-ईंधन के समर्थकों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन मौजूदा वाहनों का उपयोग करना जारी रखेगा और इलेक्ट्रिक वाहनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हालांकि इस ईंधन के आलोचकों का कहना है कि ई-ईंधन का उत्पादन बहुत महंगा और इसमें भारी मात्रा में ऊर्जा की खपत होती है।
 
जर्मन ऊर्जा एजेंसी के कराए एक अध्ययन के मुताबिक, ई-ईंधन पर चलने वाले वाहनों की खपत बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों से पांच गुना ज्यादा होती है। भविष्य में उनसे प्रति किलोमीटर का सफर करीब आठ गुना ज्यादा महंगा होगा।
 
एए/सीके (रॉयटर्स)