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Last Updated : गुरुवार, 25 अप्रैल 2019 (11:05 IST)

लड़कियां कैसे वीडियो गेम बनाएंगी

लड़कियां कैसे वीडियो गेम बनाएंगी | video games
वीडियो गेम बनाने वालों और खेलने वालों की दुनिया में अब तक पुरुषों का ही दबदबा रहा है। लेकिन अगर लड़कियां गेम बनाएं तो कैसी दिखेगी अरबों डॉलर वाली वीडियो गेम की दुनिया।
 
 
आठ साल की उम्र में लंदन की अलेक्सा ने वीडियो गेम खेलना शुरु किया। रेसिंग, पहेलियां सुलझाने और कई तरह के काल्पनिक किरदारों वाली वर्चुअल दुनिया का यह खेल उसे खूब भाते। लेकिन लंबे समय तक उसे एहसास नहीं हुआ कि ऐसे वीडियो खेल खेलने वाली उसके जैसी लड़कियां बहुत कम होती हैं। अब 10 साल की हो चुकी अलेक्सा ने बताया, "मेरी क्लास में कोई लड़की गेम नहीं खेलती। केवल लड़के खेलते हैं। ज्यादातर गेम्स बने भी लड़कों के हिसाब से ही हैं।"
 
लेकिन अलेक्सा इसे बदलने के बारे में सोचने लगी है। अमेरिकी ट्रेनिंग संस्था 'गर्ल्स मेक गेम्स' की एक वर्कशॉप में हिस्सा लेने के बाद तो खास तौर पर ऐसा ही सोचने लगी है। वह कहती है, "मैं चाहूंगी कि ज्यादा जेंडर-न्यूट्रल चीजें बनें। ऐसा ना हो कि लड़कियों के गेम गुलाबी या इंद्रधनुषी और लड़कों के गेम हमेशा लड़ाई और रेसिंग वाले ही हों।"
 
इस संस्था का मकसद ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को पुरुषों से भरी वीडियो गेम इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए प्रेरित और तैयार करना है। अलेक्सा कहती है, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं खुद भी वीडियो गेम बना सकती हूं। मुझे लगता था कि ये तो केवल आदमी ही करते हैं लेकिन अब मैं इस बारे में खुद सोचने लगी हूं।"
 
वर्कशॉप और समर कैंप के माध्यम से 'गर्ल्स मेक गेम्स' संस्था अब तक विश्व के 50 से ज्यादा शहरों में करीब 6,000 लड़कियों को ट्रेनिंग दे चुकी है। वे लड़कियों को प्रोग्रामिंग करना और आसान वीडियो गेम डिजाइन करना सिखाते हैं और विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (STEM विषयों) में उनकी दिलचस्पी जगाने की कोशिश करते हैं।
 
अमेरिका में करीब 60 फीसदी लड़कियां वीडियो गेम खेलती हैं। पियू रिसर्च सेंटर की 2015 की रिपोर्ट दिखाती है कि लड़कियों के मुकाबले 84 फीसदी अमेरिकी लड़के गेम खेलते हैं। अमेरिकी कंप्यूटर और वीडियो गेम इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करने वाले एंटरटेनमेंट सॉफ्टवेयर एसोसिएशन की मानें तो अमेरिका में वीडियो गेम खेलने वाले कुल लोगों में पुरुषों की तुलना में महिलाएं करीब आधी हैं। विश्व में मोबाइल गेमिंग और गेमिंग कनसोल का बाजार 2018 में करीब 135 अरब डॉलर का था। गेमिंग एनेलिटिक्स कंपनी न्यूजू का अनुमान है कि 2021 तक यह बढ़कर 174 अरब डॉलर हो जाएगी।
 
अमेरिका के इंटरनेशनल गेम डिवेलपर्स एसोसिएशन के अनुसार, वीडियो गेम बनाने वालों में केवल 22 फीसदी महिलाएं हैं। इस इंडस्ट्री ने 2014 में "गेमरगेट" नाम का एक बड़ा आंदोलन देखा, जब पुरुष गेमरों ने गेमिंग की दुनिया में फैले सेक्सिज्म को लेकर काफी उत्तेजित टिप्पणियां कीं। 2014 में ही 'गर्ल्स मेक गेम्स' संस्था की शुरुआत करने वाली लैला शबीर कहती हैं, "जरूरी है कि लड़िकयों को गेम बनाना सिखाया जाए। उनकी आवाज इस इंडस्ट्री से बिल्कुल ही गायब है। इसलिए आपको इस बाजार में केवल एक ही किस्म के गेम दिखाई देते हैं।"
 
साल 2018 में अमेरिका के सबसे ज्यादा बिकने वाले गेम- शूटिंग और रेसिंग वाले "रेड डेड रिडेम्पशन 2", "एनबीए 2K19" और "मारियो कार्ट 8"। शबीर बताती है कि जब यह खेलने वाले लड़के बड़े होते हैं और गेम बनाते हैं तो वे उसी किस्म के गेम बनाते हैं जो लड़कों को ज्यादा अपील करें और फिर यह चक्र चलता रहता है।" वे कहती हैं, "हम इसी चक्र को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जिससे हम गेमिंग की दुनिया में ज्यादा से ज्यादा विविधता और तरह तरह की आवाजें ला सकें।"
 
आरपी/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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