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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 (07:47 IST)

शिक्षा में AI पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं विशेषज्ञ

शिक्षा में AI पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं विशेषज्ञ - schools targeted with ai learning apps despite experts doubts
एडटेक सेक्टर यानी शिक्षा से जुड़ी तकनीक का क्षेत्र कोविड महामारी के दौरान तेजी से बढ़ा। उस समय स्कूल बंद थे और बच्चे घर पर स्क्रीन के सामने पढ़ाई कर रहे थे। इसलिए तकनीकी समाधानों की मांग में भी भारी तेजी देखी गई। 
 
जब स्कूल फिर से खुले, तो मांग कम हो गई। इसके बाद एडटेक कंपनियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जोड़कर और मार्केटिंग के जरिए निवेशकों को लुभाने की कोशिश की। माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और ओपनएआई जैसी बड़ी कंपनियां भी स्कूलों के लिए अपने एआई प्रोडक्ट्स प्रमोट कर रही हैं या स्टार्टअप्स के साथ पार्टनरशिप कर रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहला एआई प्रोग्राम शुरू किया है।
 
दुनिया में कई देशों के शिक्षा मंत्रालयों ने एआई एप्स लाने की योजना बनाई है, लेकिन विरोध करने वाले भी हैं। यूनेस्को ने पिछले साल कोविड के दौरान ऑनलाइन लर्निंग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि तकनीकी समाधानों का जल्दी से लागू होना "त्रासदी" थी। इससे असमानता बढ़ी और पढ़ाई के नतीजे खराब हुए।
 
इस बात की काफी चर्चा हुई है कि कैसे चैटजीपीटी पढ़ाई-लिखाई के तरीके बदल रहा है। लेकिन यूनेस्को के मानोस एंटोनिनिस ने कहा कि एआई का कुछ फायदा हो सकता है, लेकिन अभी यह समस्याएं ज्यादा पैदा कर रहा है। उन्होंने चिंता जताई कि कंपनियां डेटा को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। उनके एल्गोरिदम पक्षपाती हैं, और उनका ध्यान शिक्षा से ज्यादा मुनाफे पर है। 
 
एंटोनिनिस ने कहा, "दुर्भाग्य से शिक्षा भविष्य के उपभोक्ताओं तक पहुंचने का जरिया बनाया गया है।"
 
एडटेक में निवेश घटा 
महामारी के दौरान 2021 में निवेशकों ने एडटेक में 17 अरब डॉलर का निवेश किया था। लेकिन इस साल यह घटकर सिर्फ 3 अरब डॉलर रह गया है। लेकिन तकनीकी समाधानों को लेकर उत्साह कम होता नहीं दिख रहा है। अमेरिकी राज्य नॉर्थ कैरोलाइना से लेकर दक्षिण कोरिया तक शिक्षकों को जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
 
ब्रिटेन ने एक होमवर्क ऐप 'स्पार्क्स मैथमेटिक्स' लॉन्च किया है। यह एल्गोरिदम से बच्चों की पढ़ाई को उनकी जरूरतों के हिसाब से ढालता है। उन्होंने हाल ही में एआई प्रोग्राम्स पर और धन लगाने का एलान किया, ताकि शिक्षकों का काम कम हो सके। चीन शिक्षा में एआई के इस्तेमाल को काफी बढ़ावा दे रहा है। उसका नेशनल एजुकेशन प्लेटफॉर्म इसका प्रमुख हिस्सा है।
 
विकासशील देशों में भी सरकारें एएआई और अन्य तकनीकी समाधानों को लेकर उत्साहित हैं। लेकिन वहां इसके सामने भारी चुनौतियां हैं। भारत में महामारी के दौरान बाइजू (बीवाईजेयूएस) जैसे एडटेक स्टार्टअप्स को खूब बढ़ावा दिया गया। लेकिन जब दिल्ली के स्कूल पिछले महीने प्रदूषण के कारण बंद हुए, तो कोई हाईटेक ऐप मददगार साबित नहीं हो पाया। इसकी वजह यह है कि अब भी बड़ी आबादी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट नहीं है।
 
शिक्षकों और अभिभावकों की चिंता
दिल्ली की 29 वर्षीय टीचर वंदना पांडे कहती हैं, "ऑनलाइन क्लास लेना उनके लिए संभव ही नहीं है। बच्चों के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट ही नहीं हैं।” भारत में एडटेक सेक्टर की कई कंपनियां मुश्किल में हैं। बाइजू पर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप हैं और हाल ही में कंपनी दिवालिया घोषित होने से बाल-बाल बची।
 
अमीर देशों में एआई का स्वागत ठंडा रहा है। अमेरिका में सिर्फ छह फीसदी हाई स्कूल शिक्षकों को लगता है कि एआई का इस्तेमाल शिक्षा के लिए अच्छा होगा। फ्रांस ने एक होमवर्क ऐप 'एमआईए' लाने का एलान किया था, लेकिन इसे राजनीतिक संकट के कारण रद्द कर दिया।  ब्रिटेन में भी स्पार्क्स ऐप को लेकर पैरेंट्स खुश नहीं हैं।
 
एक अभिभावक ने ऑनलाइन फोरम पर लिखा, "एक भी बच्चा ऐसा नहीं जो इसे पसंद करता हो।"
 
एक अन्य अभिभावक ने कहा कि ऐप से "किसी विषय की पढ़ाई का मजा जाता रहता है।" बड़ी संख्या में अभिभावकों ने ऐसी टिप्पणियां की हैं कि उनके बच्चे ऐप को बिल्कुल पसंद नहीं कर रहे हैं।
 
एडटेक कंपनियों के वादों पर सवाल
लगभग सभी एडटेक उत्पाद यह वादा करते हैं कि वे शिक्षा को "पर्सनलाइज" करेंगे। इसके लिए एआई का इस्तेमाल किया जाता है, जो बच्चों के काम की निगरानी कर उनके हिसाब से पढ़ाई की योजना तैयार करता है। ब्रिटेन से लेकर भारत तक अधिकारी इस लक्ष्य की तारीफ कर चुके हैं।
 
लेकिन, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ एंटोनिनिस का कहना है कि पर्सनलाइजेशन का यह तर्क "हमें यह भूलने पर मजबूर कर सकता है कि शिक्षा का बड़ा हिस्सा सामाजिक है और बच्चे एक-दूसरे के साथ संवाद से सीखते हैं।"
 
पूर्व शिक्षक और अब जेनरेटिव एआई पर काम करने वाले सलाहकार लियोन फर्जे भी पर्सनलाइजेशन को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, "एआई को पर्सनलाइज्ड लर्निंग का समाधान बताया जा रहा है, लेकिन यह 'पर्सनल' एक तरह की 'अलगाव' वाली पर्सनलाइजेशन लगती है।"
 
एंटोनिनिस और फर्जे, दोनों ने चेतावनी दी कि तकनीक कोई रामबाण समाधान नहीं है। यह केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में मददगार उपकरण हो सकती है। असल मेहनत हमेशा इंसानों को ही करनी होगी।
 
फर्जे ने कहा, "तकनीकी समाधान शिक्षकों और छात्रों के सामने खड़ी बड़ी सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक चुनौतियों को हल नहीं कर सकते।"
वीके/एनआर (एएफपी)
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