अगर ठीक से खाना नहीं खाएंगे, तो बीमार हो जाएंगे। पौधों के साथ भी ऐसा ही होता है। अगर इसका ध्यान ना रखा जाए, तो खेत मर सकते हैं। पौधों के लिए पोषण की जरूरत को समझने के लिए पौधों, फसलों और खेती के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। हर पौधे के लिए पोषक पदार्थों की जरूरत अलग होती है जो उसकी संरचना और भौगोलिक जरूरतों पर निर्भर करती है। एक फसल के लिए पोषक पदार्थों की भूमिका को समझना भी जरूरी है।
एक उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं। हम जानते हैं कि हमारे जीवन के लिए संतुलित भोजन बहुत जरूरी है। मां हमेशा बच्चों को हरी सब्जियां खिलाना चाहती है, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से हो सके। ठीक इसी तरह पौधों को भी संतुलित पोषक आहार की जरूरत होती है, ताकि पौधों का विकास ठीक तरह से हो सके।
अनुकूल मौसम और पानी के अलावा पौधों को संक्रामक कीड़ों व बीमारियों से बचाना भी जरूरी होता है। पौधों के उचित विकास के लिए मैक्रो एवं माइक्रो पोषक तत्व जरूरी होते हैं। ये पौधे की प्रतिरक्षी क्षमता बढ़ाते हैं और उसे बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम पौधों के लिए जरूरी मैक्रो पोषक हैं।
पौधों को इन तत्वों की जरूरत अधिक मात्रा में होती है। नाइट्रोजन क्लोरोफिल बनाने के लिए जरूरी है। इसी तरह फॉस्फोरस पौधे के विकास के लिए आवश्यक है। यह उसे बीमारियों से लड़ने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है। पोटेशियम पौधे में स्टार्च और शुगर के स्तर को बनाए रखने के लिए जरूरी है। यह बीमारियों से लड़ने में पौधे की मदद करता है।
माइक्रो पोषक जैसे कैल्शियम, मैग्निशियम और सल्फर भी पौधे के विकास के लिए जरूरी हैं। ये तत्व पौधे को कम मात्रा में चाहिए होते हैं। मैग्निशियम अन्य पोशक पदार्थों के अवशोषण में मदद करता है। आयरन, मैंग्नीज, जिंक, कॉपर, बोरॉन, मॉलीब्डेनम और क्लोरीन जैसे पोषक पदार्थ क्लोरोफिल बनाने, मैटाबोलिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मिट्टी में पोषक पदार्थों की कमी का असर भी पौधे के विकास पर पड़ता है। अगर पौधे को पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में न मिलें, तो पौधा जीवित नहीं रह पाता। उसका विकास ठीक से नहीं हो पाता और पोषक पदार्थों की कमी के कारण वे मर भी सकते हैं। इसके अलावा बीज बोने और उगाने की विभिन्न अवस्थाओं में उसकी उचित देखभाल भी जरूरी होती है।
पौधों के स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उसमें पोषक पदार्थों की कमी न हो। इसका पता लगाने के तीन तरीके हैं: मिट्टी की जांच, पौधे का विश्लेषण और खेत की जांच।
जांच के ये तरीके मात्रात्मक और गुणात्मक प्रकार के हैं। फलों और सब्जियों में पोषण सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी एवं पौधे के ऊतकों के लिए सैम्पलिंग प्रोग्राम होने चाहिए। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरता पर भी पौधे का विकास निर्भर करता है। अगर मिट्टी में नियमित रूप से एक के बाद एक फसल उगाई जा रही है, तो उसकी उर्वरकता बनाए रखने के लिए उर्वरकों को इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
किसानों को बीज बोने और पौधे के विकास के दौरान पोषण से भरपूर उर्वरक डालने चाहिए। मिट्टी की उर्वरकता बनी रहने से पौधे का विकास ठीक से होता है।
- रोबिन एडविन (आईएएनएस)