इन मंदिरों पर चले अदालती आदेश
भारत में धार्मिक स्थल और इससे जुड़ी मान्यताओं को लोगों की आस्था के साथ जो़ड़ कर देखा जाता है। लेकिन देश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जो किसी न किसी कारण अदालती मामलों में उलझे तो किसी पर अदालत ने कोई आदेश दिया।
केरल का सबरीमाला मंदिर
केरल के सबरीमाला मंदिर का मामला प्रवेश मान्यताओं से जुड़ा था। यहां 10-50 साल की उम्र वाली महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। मामला लंबे समय से उच्चतम न्यायालय में है, जिसे हाल में उच्चतम न्यायलय ने संवैधानिक बेंच को भेजा है।
हाजी अली दरगाह, मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह का मसला भी बंबई उच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है। दरगाह में पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था लेकिन न्यायालय ने अगस्त 2016 में इस प्रतिबंध को महिलाओं के मौलिक अधिकारों के खिलाफ मानते हुए राज्य को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। साथ ही हाजी अली ट्रस्ट को भी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के आदेश दिए।
शनि सिंगनापुर मंदिर
महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित इस शनि मंदिर में पिछले साल तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित था, जिसके चलते मामला बंबई उच्च न्यायालय पहुंचा। न्यायालय ने आदेश दिया कि पूजा स्थलों में जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है। अदालत के इस फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी।
त्रयंबकेश्वर मंदिर, नासिक
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल त्रयंबकेश्वर मंदिर के अंदर महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। लेकिन बंबई उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि अगर महिलाओं को मंदिर के भीतरी भाग में प्रवेश की अनुमति नहीं है तो वहां पुरूषों का प्रवेश भी वर्जित होना चाहिए। जिसके बाद से अब महिलाएं और पुरुष दोनों ही मंदिर के भीतरी भाग में नहीं जाते।
पद्मनाभस्वामी मंदिर
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर देश का सबसे अमीर मंदिर है। इस मंदिर का रखरखाव त्रावणकोर का पूर्व शाही परिवार करता है। पूरा मसला इसकी दौलत से जुड़ा है। मंदिर ट्रस्ट धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हुए इसकी तिजौरी खोलने के पक्ष में नहीं है, लेकिन सरकार इसकी दौलत का ब्यौरा चाहती है।