कुछ शब्दों में अपनी बात कहने का प्लैटफॉर्म ट्विटर भारत सरकार की नजरों से उतरता दिख रहा है और इसकी जगह भारत में बनाया गया ऐसा ही मंच कू लेता दिखाई दे रहा है।
भारत में ही बनाए गए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म 'कू' को सरकारी मान्यता का एक बड़ा संकेत देते हुए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णन ने वहां अपना अकाउंट शुरू कर लिया है। इसी महीने पद संभालने वाले वैष्णव का ट्विटर पर भी अकाउंट है जहां उनके दो लाख 58 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
लेकिन कू पर अपने एक संदेश में वैष्णव ने अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया कंपनियों पर सख्त रवैया अपनाने का संकेत दिया और कहा कि इस बात की समीक्षा की जाएगी कि सोशल मीडिया कंपनियां नए सख्त नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं।
'कू' का मकसद
सरकार के मीडिया रिलेशन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि कोशिश ये है कि ट्विटर का एक विकल्प खड़ा किया जाए।' बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े एक व्यक्ति के मुताबिक ऐसे जज्बात मोदी सरकार के कई मंत्रियों के हैं जो ट्विटर की उनकी टिप्पणियों पर हालिया सख्तियों और कार्रवाइयों से चिढ़े हुए हैं।
खबरों पर भरोसा कम
संस्थान ने पाया कि भारत में सिर्फ 38 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर से नीचे है। पूरी दुनिया में 44 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं। फिनलैंड में खबरों पर भरोसा करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है (65 प्रतिशत) और अमेरिका में सबसे कम (29 प्रतिशत)। भारत में लोग टीवी के मुकाबले अखबारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रवादी सरकार के अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर से संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। बीते कुछ महीनों में एक के बाद एक ऐसी कई बातें हुई हैं जिनसे दोनों के रिश्तों में खटास आई है। फरवरी में भारत सरकार ने ट्विटर को किसान आंदोले के दौरान मोदी सरकार की तीखी आलोचना करने वाले कुछ अकाउंट्स और ट्वीट्स को हटाने को कहा था।
ट्विटर ने कहा कि भारत के कुछ आग्रह भारतीय कानून के ही खिलाफ हैं और मानने से इनकार कर दिया। सरकार को यह नागवार गुजरा। उसके बाद भारत ने सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ और कड़े नियम लागू करने का आदेश दिया जिस पर ट्विटर पूरी तरह सहमत नहीं था।
अब स्थिति यह है कि ट्विटर के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में पांच मामलों में पुलिस की जांच चल रही है। कई वीडियो पोस्ट किए जाने को लेकर दर्ज हुए मुकदमों में भी ट्वटिर को पक्ष बनाया गया है।
ट्विटर से सरकार के रिश्ते बिगड़ने का फायदा घेरलू कंपनी कू को हुआ, जो आठ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। सरकार और ट्विटर के विवाद के दौरान सिर्फ दो दिन में कू को डाउनलोड करने वालों की संख्या 10 गुना बढ़कर 30 लाख हो गई।
सिर्फ 16 महीने इस प्लैटफॉर्म पर अब उपयोग करने वालों की संख्या 70 लाख तक पहुंच गई है।
ट्विटर का रुख
ट्विटर के भारत में एक करोड़ 75 लाख से ज्यादा उपभोक्ता हैं। भारतीय मंत्रियों द्वारा कू के समर्थन पर ट्विटर ने कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उसका कहना है कि वह कई मंत्रियों और अधिकारियों के साथ सीधे काम करता है और आपदा प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर दुनिया के कुछ सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले व्यक्तियों में से हैं। उनके लगभग सात करोड़ फॉलोअर्स हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने कू पर अपना अकाउंट नहीं बनाया है।
सरकार के कई मंत्री और विभाग ट्विटर के साथ-साथ कू का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, कू को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब ना भारत सरकार ने दिए हैं और ना ही भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने।
कू का उभार
नई सोशल मीडिया साइट कू ने पिछले कुछ दिनों में ही कई लंबी छलांगें लगाई हैं। पिछले महीने नाईजीरिया की सरकार ने कू पर अपना अकाउंट बनाया था। भारत में व्यापार मंत्रालय ने भी कू पर अपना खाता खोल दिया है जिसके 12 लाख फॉलोअर्स हैं। ट्विटर पर इस मंत्रालय के 13 लाख फॉलोअर्स हैं।
कई राज्य सरकारें और अन्य विभाग भी इस वेबसाइट की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग ने ट्विटर पर अपने 21 हजार फॉलोअर्स को कू पर आने को कहा है, जहां फिलहाल इसके 962 फॉलोअर्स हैं।
कू ने भरोसा जताया है कि जल्दी ही सभी उसके प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करेंगे। कंपनी के सह-संस्थापक मयंक बिड़वाटका ने कहा कि अब तो बस कुछ महीनों की बात है और आप देखेंगे कि लगभग सभी कू पर होंगे।
वीके/एए (रॉयटर्स)