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Last Modified: बुधवार, 2 अगस्त 2017 (11:39 IST)

विपक्ष के सफाए के मिशन पर मोदी सरकार

विपक्ष के सफाए के मिशन पर मोदी सरकार - Bharatiya Janata Party
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ताधारी गठबंधन ने विपक्षी दलों को नेस्तनाबूद करने का अभियान तेज कर दिया है। बीजेपी पूरे देश में अपना विस्तार करने के साथ ही संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी बहुमत की फिराक में है।
 
नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में जो जीत हासिल की वह बीते 30 सालों में भारत के किसी राजनीतिक दल को मिली सबसे बड़ी जीत है। हालांकि इसके बावजूद उन्हें संसद के ऊपरी सदन पर नियंत्रण हासिल नहीं हो सका और बीते तीन सालों के संसदीय कार्यों में यह उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा साबित हुआ है। भारतीय जनता पार्टी ने कुछ हद तक इस समस्या से निजात पा ली है। हाल ही में राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों का भी समर्थन मिला और वह जीत गए।
 
उसके तुरंत बाद बीजेपी बिहार में सत्ताधारी गठबंधन में भारी फेरबदल कर विपक्ष से सत्तापक्ष में आ गयी। रातोंरात हुए इस फेरबदल ने बीजेपी के विरोधियों को कुछ सोचने समझने का भी मौका नहीं दिया। बिहार की बाजी पलट कर बीजेपी ने 2014 में मिली जीत के बाद सबसे बड़ी हार का गम भुला दिया।कई लोगों का मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अपनी जीत की दिशा में आखिरी कांटे को भी बिहार का मैदान मार कर निकाल दिया है।
 
महागठबंधन को तोड़ कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में दोबारा शामिल हुए नीतीश कुमार ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत मे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर चुने जाने को कोई चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के दोबारा चुने जाने में कोई संदेह नहीं है, कोई नहीं है जो उन्हें चुनौती दे सके।" प्रेस कांफ्रेंस में अपने फैसले की वजहों को सही ठहराते हुए नीतीश कुमार ने यह भी कहा, "मैं अपने काम और सरकार के प्रदर्शन से सारे आलोचकों का मुंह बंद कर दूंगा।"
 
बिहार की सरकार के साथ ही बीजेपी को राज्यसभा में करीब 10 सीटों का फायदा हुआ है और अब गठबंधन के पास कुल 89 सीटें हैं। हालांकि बहुमत के लिए जरूरी 123 के आंकड़े से यह अब भी बहुत दूर है लेकिन फिर भी फासला थोड़ा कम हुआ है। अब बीजेपी ने अपना ध्यान ऐसी जगह लगाया है जहां बीजेपी को फायदा होने के साथ ही कांग्रेस को धक्का भी पहुंचेगा।
 
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुजरात से राज्यसभा के लिए चुने जाने की तैयारी में हैं। बीजेपी यह भी चाहती है कि गुजरात से तीसरी सीट भी उन्हें मिल जाये जो अब तक सोनिया गांधी के प्रमुख राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के पास रही है। पटेल की सीट छीन कर बीजेपी कांग्रेस को बड़ा चोट पहुंचाने की कोशिश में है।
 
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई कहते हैं, "अगर उनका प्रमुख सहयोगी कांग्रेस का समर्थन हासिल नहीं कर सका तो इसका मतलब है कि पार्टी पर सोनिया गांधी की पकड़ खत्म।" राजदीप सरदेसाई ने नरेंद्र मोदी की जीवनी भी लिखी है।
 
अहमद पटेल प्रतिक्रिया देने के लिए नहीं मिल सके।
 
उधर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव का कहना है, "गुजरात चुनाव के नतीजे साबित करेंगे कि कांग्रेस टूट कर बिखर चुकी है और पार्टी के पास अपने सदस्यों और देश को देने के लिए कुछ नहीं है।" 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले पार्टी के आधे दर्जन विधायक कांग्रेस से अलग हो चुके हैं। कांग्रेस ने इसके जवाब में अपने 40 से ज्यादा विधायकों को गुजरात से बाहर बेंगलुरु के इगलटन कंट्री क्लब रिसॉर्ट में ले जा कर रखा है।
 
कांग्रेस में बगावत का बिगुल शंकर सिंह बाघेला ने फूंका है जो पार्टी को "बिना पतवार की नाव" बताते हुए कहते हैं कि वो चुनाव नहीं जीत सकती। बाघेला का कहना है, "पार्टी में असंतोष लंबे समय से पनप रहा है लेकिन कांग्रेस मुख्यालय में किसी का ध्यान इस तरफ नहीं है।" उधर कांग्रेस प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल का कहना है कि बीजेपी नहीं जानती, "यह विचारधारा की लड़ाई है।"
 
एनआर/एके (रॉयटर्स)