भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह (Yuvraj Singh) के पिता योगराज सिंह (Yograj Singh) अपने बेबाक स्वभाव और साफ-साफ बोलने के लिए जाने जाते हैं। क्रिकेट हो या निजी जिंदग वे हमेशा अपनी बात खुलकर रखते हैं। इसी दौरान उन्होंने अपने जीवन से जुड़े ऐसे खुलासे किए हैं जिसने उनके प्रशंसकों को हैरान कर दिया है। योगराज ने कहा कि उनका जीवन अब एक ऐसे मोड़ पर है जहां उन्हें अपने अकेलेपन की आदत सी हो गई है और वे “मरने के लिए तैयार” हैं।
अकेलेपन में गुज़रती शामें, खाने के लिए दूसरों पर निर्भर
विंटेज स्टूडियो को दिए एक इंटरव्यू में योगराज ने अपने हालात का दर्द बयां किया। उन्होंने साफ कहा कि: "मैं शाम को अकेला बैठा रहता हूं, घर पर कोई नहीं होता। खाने के लिए मैं अजनबियों पर निर्भर रहता हूं, कभी एक, कभी दूसरा। हालांकि, मैं किसी को परेशान नहीं करता। अगर मुझे भूख लगती है तो कोई न कोई मेरे लिए खाना ले आता है। मैंने घर में नौकर और रसोइये रखे हैं, वे खाना परोसकर चले जाते हैं।"
योगराज की दुख भरी बातों में भी परिवार के लिए गहरा लगाव छिपा है। उन्होंने आगे कहा: "मैं अपनी मां, बच्चों, बहू, नाती-पोतों, परिवार के सभी लोगों से प्यार करता हूं। लेकिन, मैं कुछ नहीं मांगता। मैं मरने को तैयार हूं। मेरा जीवन पूरा हो गया है, भगवान जब चाहें, मुझे अपने साथ ले जा सकते हैं। मैं भगवान का बहुत आभारी हूं, मैं प्रार्थना करता हूं और वह देते रहते हैं।"
सबसे बड़ा झटका, जब पत्नी और बेटा छोड़कर चले गए
योगराज सिंह ने बताया कि उनके जीवन का सबसे कठिन क्षण तब आया जब उनकी पहली पत्नी शबनम कौर और बेटा युवराज उन्हें छोड़कर अलग हो गए। उन्होंने कहा:
"जब हालात ऐसे हो गए कि युवी और उसकी मां मुझे छोड़कर चले गए, तो मुझे सबसे बड़ा झटका लगा। जिस औरत के लिए मैंने अपनी पूरी जिंदगी, अपनी पूरी जवानी समर्पित कर दी, वो मुझे छोड़कर कैसे जा सकते हैं? इस तरह बहुत सी चीजें बर्बाद हो गईं। मैंने भगवान से पूछा कि जब मैंने सबके साथ सब कुछ सही किया, तो ये सब क्यों हो रहा है। हो सकता है मैंने कुछ गलतियां की हों, लेकिन मैं एक निर्दोष इंसान हूं, मैंने किसी के साथ कुछ बुरा नहीं किया। मैं भगवान के सामने रोया।"
टूटी शादी, दूसरा परिवार और फिर वही अकेलापन
योगराज और शबनम की शादी आपसी मतभेदों के कारण टूट गई थी। युवराज ने भी एक इंटरव्यू में बताया था कि वे अपने माता-पिता को तलाक देने की सलाह दे चुके थे क्योंकि घर में बहुत लड़ाई होती थी। पहली शादी टूटने के बाद योगराज ने दूसरी शादी की, दो और बच्चे हुए, लेकिन वक्त ने उन्हें फिर उसी अकेलेपन पर ला खड़ा किया।
उन्होंने कहा:
"यह भगवान की लीला थी, मेरे लिए जो लिखा था। बहुत गुस्सा और बदले की भावना थी। फिर क्रिकेट मेरी जिंदगी में आया, बंद हो गया, युवी को क्रिकेट खेलने दिया, वह खेला और चला गया। फिर, मेरी दोबारा शादी हुई, मेरे दो बच्चे हुए, वे भी अमेरिका चले गए। कुछ फिल्में भी रिलीज हुईं, समय बीतता गया और मैं वापस वहीं आ गया जहां से यह सब शुरू हुआ था। मैं खुद से पूछ रहा था कि मैंने यह सब किसलिए किया? क्या अब तुम्हारे साथ कोई है? यह मेरे साथ होना चाहिए था, अच्छे के लिए हुआ।"
करियर छोटा रहा, लेकिन संघर्ष लंबा
योगराज ने भारत के लिए एक टेस्ट और 6 वनडे खेले। करियर चोटों के कारण छोटा रहा, लेकिन उन्होंने क्रिकेट को कभी छोड़ा नहीं कोचिंग, अभिनय और अपने बेटे युवराज के करियर में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।