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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 27 फ़रवरी 2013 (15:29 IST)

धनकुबेरों पर नहीं लगेगा ज्यादा कर

आर्थिक समीक्षा में संकेत

आर्थिक समीक्षा
नई दिल्ली। धनकुबेरों पर
FILE
ज्यादा कर लगाने के विवाद के बीच आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि कर दायरा बढ़ाकर राजस्व संग्रह बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए न कि कर की दर बढ़ाकर।


समीक्षा में कहा गया कि बजाय कर बढ़ाने के कराधान का दायरा बढ़ाकर कर-सकल घरेलू का अनुपात बढ़ाना ज्यादा अच्छा है। क्योंकि कर की दर बढ़ाने से कर लगाने योग्य गतिविधियों के प्रोत्साहन पर असर पड़ता है और यह कर चोरी को प्रोत्साहित करता है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन समेत कई विशेषज्ञों ने अरबपतियों पर ज्यादा कर लगाने की सिफारिश की है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन के नेतृत्व में एक समूह द्वारा तैयार सर्वेक्षण में कहा गया कि मितव्ययिता के जरिए कर-सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात को बढ़ाकर राजकोषीय मजबूती हासिल करना ज्यादा अच्छा है। सिर्फ मितव्ययिता का जरिया अपनाने से विकास संबंधी व्यय प्रभावित होगा।

कर-सकल घरेलू उत्पाद अनुपात 2007-08 में 11.9 फीसद पर पहुंच गया था, लेकिन 2009-10 में यह घटकर 9.6 फीसद रह गया। 2011-12 में 9.9 फीसद पर था।

समीक्षा में कहा गया कि कर-सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात को 11 फीसद से ऊपर रहना दीर्घकालिक स्तर पर राजकोषीय पुनर्गठन की प्रक्रिया को बरकरार रखने के लिए महत्वपूर्ण है। अप्रैल से दिसंबर 2012 में सकल कर संग्रह 15 फीसद से बढ़कर 6.81 लाख करोड़ रुपए हो गया।

हालांकि कर संग्रह में बढ़ोतरी बजट 2012-13 में तय अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले काफी कम है। (भाषा)